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पिपरिया पहुंचे पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, बैगा आदिवासियों की ज़मीनों के संरक्षण के लिए संघर्ष ऐलान

akvlive.in

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Dindori News, डिंडौरी न्यूज। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह रविवार को डिंडोरी ज़िले के पिपरिया गांव पहुंचे, जहां उन्होंने बैगा जनजाति की ज़मीनों पर हुए कथित फर्जीवाड़े के खिलाफ जनसंघर्ष की शुरुआत की। इस दौरान उन्होंने ज़मीन हड़पने के मामले को न सिर्फ़ आर्थिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान से जुड़ा मुद्दा बताया।

– आदिवासियों की 1000 एकड़ ज़मीन पर धोखाधड़ी का आरोप

दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि बाक्साइट खनन के नाम पर भू-माफियाओं और दलालों के माध्यम से कटनी के प्रभावशाली लोगों को बैगा आदिवासियों की ज़मीनें धोखे से हस्तांतरित की गईं। उन्होंने कहा,

> “जिन दस्तावेज़ों में सिर्फ़ 2 एकड़ ज़मीन दर्ज थी, उनमें 22 एकड़ की रजिस्ट्री कराई गई। यह पूरी तरह से सुनियोजित साज़िश है, जिसके तहत बैगाओं की लगभग 1000 एकड़ पुश्तैनी ज़मीन छीन ली गई है।”

उन्होंने आरोप लगाया कि यह प्रक्रिया न केवल विधि के विरुद्ध है, बल्कि यह आदिवासियों की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जड़ों पर हमला है।

– कानूनविदों की राय और कानूनी संघर्ष

मौके पर मौजूद अधिवक्ता सम्यक जैन ने भी दस्तावेजों की प्रारंभिक जांच के आधार पर कहा कि मामला गंभीर है और इसमें ज़रूर गड़बड़ी हुई है। उन्होंने बताया कि पीड़ित आदिवासी परिवारों को न्याय दिलाने के लिए हर संभव कानूनी रास्ता अपनाया जाएगा।

> “यह केवल एक संपत्ति विवाद नहीं है, यह हक, गरिमा और जीवन जीने के अधिकार की लड़ाई है,” उन्होंने कहा।

– कांग्रेस पार्टी ने दिया समर्थन, विधानसभा और अदालत में उठेगा मामला

दिग्विजय सिंह ने आश्वासन दिया कि कांग्रेस पार्टी इस लड़ाई को न केवल ज़मीनी स्तर पर लड़ेगी, बल्कि विधानसभा और न्यायालयों तक लेकर जाएगी। उन्होंने प्रशासन से निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

> “हम यह सुनिश्चित करेंगे कि बैगा समाज के साथ न्याय हो। जिनकी ज़मीनें छीनी गई हैं, उन्हें वापस दिलाने के लिए अंतिम सांस तक लड़ेंगे,” उन्होंने कहा।

पिपरिया के बैगा समाज की आपबीती

पिपरिया गांव में आयोजित जनसभा में बड़ी संख्या में ग्रामीणों, बुजुर्गों और युवाओं ने भाग लिया। उन्होंने अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया कि किस प्रकार जालसाजी से उनके नाम पर ज़मीन की रजिस्ट्री कर दी गई, जबकि उन्हें कानूनी प्रक्रिया की जानकारी तक नहीं दी गई थी।

ग्रामीणों ने बताया कि दस्तावेज़ों पर उनके अंगूठे तो ले लिए गए, लेकिन बाद में पता चला कि ज़मीन किसी और के नाम पर हो गई है। कई परिवारों को जबरन उनकी ही ज़मीन से बेदखल कर दिया गया।

सामाजिक और संवैधानिक महत्व

बैगा जनजाति को संविधान द्वारा विशेष संरक्षण प्राप्त है और उनकी ज़मीनें गैर-आदिवासियों को बेचना कानूनी रूप से प्रतिबंधित है। ऐसे में ज़मीन हड़पने की घटनाएं न केवल कानून का उल्लंघन हैं, बल्कि आदिवासी संस्कृति और आजीविका पर सीधा हमला हैं।

पीड़ितों में जागी उम्मीद की किरण

दिग्विजय सिंह की इस सक्रियता से ग्रामीणों में एक नई उम्मीद जगी है। उन्हें भरोसा है कि इस जनसंघर्ष के माध्यम से वे अपनी खोई हुई ज़मीनें और अधिकार वापस पा सकेंगे।

Chetram Rajpoot

चेतराम राजपूत मध्यभूमि के बोल समाचार पत्र के संपादक हैं। 2013 से इस दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने madhyabhoomi.in को विश्वसनीय समाचार स्रोत बनाया है, जो मुख्यधारा की मीडिया से अलग, विकास, समानता, आर्थिक और सामाजिक न्याय जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्रित है। हम सच्चाई और पारदर्शिता में विश्वास रखते हैं। मीडिया की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए सतत प्रयासरत हैं। बेखौफ कलम... जो लिखता है बेलिबास सच..

Chetram Rajpoot

चेतराम राजपूत मध्यभूमि के बोल समाचार पत्र के संपादक हैं। 2013 से इस दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने madhyabhoomi.in को विश्वसनीय समाचार स्रोत बनाया है, जो मुख्यधारा की मीडिया से अलग, विकास, समानता, आर्थिक और सामाजिक न्याय जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्रित है। हम सच्चाई और पारदर्शिता में विश्वास रखते हैं। मीडिया की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए सतत प्रयासरत हैं। बेखौफ कलम... जो लिखता है बेलिबास सच..

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