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करोड़ों की लागत से बना ‘सांदीपनि विद्यालय’, लेकिन बच्चों के लिए रास्ता नहीं! सिस्टम की नाकामी से शहपुरा के छात्र अब भी जर्जर स्कूल भवन में पढ़ने को मजबूर

akvlive.in

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Dindori News, डिंडौरी न्यूज । जिले के शहपुरा से महज चार किलोमीटर दूर ग्राम चरगांव में करोड़ों की लागत से बना ‘सांदीपनि विद्यालय’ आज भी अपने बच्चों का इंतजार कर रहा है। करीब 39 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुआ यह सीएम राइज स्कूल शिक्षा के सपने तो सजोए हुए है, लेकिन स्कूल तक पहुँचने वाला सड़क और पुल आज तक नहीं बन पाने से बच्चों को इसमें पढ़ने का अधिकार ही नहीं मिल पा रहा।

नया भवन एक साल पहले ही पूरी तरह तैयार हो गया था, लेकिन चरगांव में मुख्य सड़क से स्कूल भवन तक 800 मीटर का कच्चा रास्ता और पुल निर्माण अधूरा पड़ा है। इसके कारण छात्र-छात्राओं को अब भी शहपुरा नगर के जर्जर कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पढ़ाई करनी पड़ रही है। यहां भवन पहले से ही बच्चों की संख्या के हिसाब से काफी छोटा है, जिससे नए एडमिशन लेने वाले बच्चों को वापस लौटना पड़ रहा है।

बच्चों का भविष्य अधर में

स्थानीय लोगों का सवाल है कि जब शासन ने करोड़ों रुपये खर्च कर अत्याधुनिक स्कूल भवन तैयार कर दिया, तो वहाँ तक पहुँचने के लिए पक्की सड़क और पुल क्यों नहीं बनाए गए? क्या सिर्फ़ आलीशान बिल्डिंग बनवा देने से बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो जाएगा?

प्राचार्य और जनशिक्षक की अपील

सांदीपनि विद्यालय (सीएम राइज स्कूल) शहपुरा के प्राचार्य यशवंत कुमार साहू ने बताया —

“विद्यालय का नया भवन शहपुरा से 5 किलोमीटर दूर चरगांव में तैयार हो चुका है, लेकिन वहाँ तक जाने का मुख्य मार्ग अब भी कच्चा है और पुल का निर्माण अधूरा है। हमने जिला पंचायत और सहायक आयुक्त को पत्र लिखकर अवगत कराया, लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकला। सड़क और पुल नहीं बने तो बच्चों को भारी परेशानी होगी।”

इसी तरह जन शिक्षा केंद्र शहपुरा के जनशिक्षक अश्वनी कुमार साहू ने कहा —

“हमारे सांदीपनि विद्यालय का नया भवन अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है, लेकिन अफसोस की बात है कि एप्रोच रोड और पुल नहीं बनने से हम शिफ्ट नहीं हो पा रहे हैं। यदि जल्द ही सड़क बन जाए तो बच्चे सुरक्षित और सुविधाजनक तरीके से स्कूल पहुँच सकेंगे और बेहतर माहौल में पढ़ाई कर सकेंगे।”

सवालों के घेरे में सिस्टम

स्थानीय ग्रामीणों और अभिभावकों में भी नाराजगी है। उनका कहना है कि चुनावी घोषणाओं में बच्चों की शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता बताने वाला सिस्टम अब बच्चों को सड़क और पुल जैसी बुनियादी सुविधा तक नहीं दे पा रहा।

अब देखना यह होगा कि क्या जिम्मेदार विभाग और जनप्रतिनिधि इस समस्या पर गंभीरता दिखाकर जल्द कोई ठोस कदम उठाएंगे या फिर करोड़ों की लागत से बना सांदीपनि विद्यालय यूँ ही वीरान खड़ा रहेगा और बच्चों का सपना अधूरा ही रह जाएगा।