पंकज शुक्ला, वरिष्ठ पत्रकार
– खनिज संपदा लूटने के लिए षड्यंत पूर्वक कटनी के गरीब परिवारों के लोगों ने खरीद लिया हजारों एकड़ जमीन
– सरकारी राशन और आवास योजना के बीपीएल लाभार्थी, कैसे खरीद ली करोड़ों की जमीन..चौंकाने वाला है खुलासा..
सुनने में भले अजीब लगे पर ऐसा हुआ है डिंडोरी जिले में यहां के मूल रूप से रहने वाले और आदिवासियों की लगभग 800 एकड़ जमीनें, पिपरिया माल गांव के कुल निजी भूमि के खसरों का 67% हिस्सा कटनी जिले के उन लोगों ने खरीद लिया जो कटनी जिले की बीपीएल सूची में शामिल है। इसका प्रमाण है प्रदेश शासन द्वारा केवल गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली अंतर्गत राशन दिया जाता है। और इन चारों लोगों के परिवार को यह राशन मिल रहा है। अतः स्पष्ट है कि ये लोग शासकीय रिकॉर्ड में दर्ज गरीब परिवार के सदस्य है। कोरोना काल में इन सभी के परिवारों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना के तहत मुफ्त राशन भी प्राप्त हुआ है। पर इन लोगों के नाम डिंडोरी जिले में जितनी जमीनें दर्ज है उतनी शायद किसी बड़े मालगुजार के पास भी नहीं होगी।
कटनी जिले के बडवारा जनपद की ग्राम पंचायत सुतली के रहने वाले रघुराज सिंह पिता श्यामलाल ने डिंडोरी जिले के ग्राम पिपरिया माल में 148.95 हेक्टयर और बगरैली सानी में 17.65 हेक्टयर = 166.60 हेक्टयर जमीनें जो एकड़ में 411.59 एकड़ होती है वर्ष 2015 से अब तक खरीदी गई है।

हमारे पास पुख्ता प्रमाण उपलब्ध है कि रघुराज सिंह के परिवार ने 17 फरवरी 2022 को शासकीय उचित मूल्य दुकान मोहनी से जनवरी और फरवरी माह का खाद्यान्न प्राप्त किया। इनके परिवार को मुफ्त राशन भी प्रदान किया गया। और इसी दरम्यान रघुराज सिंह द्वारा डिंडोरी जिले में जमीनें खरीदी गई तो अब तक 411 एकड़ भूमि है और ये सभी बैगा आदिवासियों की जमीनें है। जिनको लेकर अब यहां के ग्रामीण आरोप लगा रहे है की उनकी जमीनें बहला फुसला कर या धोखा देकर दलालों के माध्यम से नाम करवा दी गई है। ग्रामीणों के ये आरोप सच लगते है जब खरीददार का नाम गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारो की सूची में शामिल हो। इसके अलावा उक्त व्यक्ति को उसका पक्का मकान बनाने के लिए राशि 1.20 लाख रुपए प्रधानमंत्री आवास योजना से 8 अप्रैल 2022 को स्वीकृत की गई। इनके हिस्से में इनके पैतृक ग्राम में मात्र 2 एकड़ जमीन होने की जानकारी सूत्रों से मिलती है।
दूसरे नंबर पर नत्थू पिता राममिलन के नाम पर पिपरिया माल में 70.27 हे. और .39 हे. हर्रा टोला रैयत में = 70.66 हे. अर्थात 179.53 एकड़ जमीन खरीदी गई है। इनके परिवार के 6 सदस्य राशन कार्ड में दर्ज है जिन्हें उचित मूल्य पर शासन की योजनांतर्गत राशन प्रदाय किया जा रहा है। 22 अप्रैल 2025 को इनके परिवार ने 12 किलो गेहूं, 18 किलो चावल और 1 किलो नमक का उठाव किया है। इनका परिवार भी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना अंतर्गत इन्हें मुफ्त राशन भी दिया जाता रहा है।

तीसरा नंबर पर प्रहलाद पिता पद्दू निवासी वार्ड 31, कटनी है जिनके नाम पर पिपरिया में 32.34 हे. हर्रा टोला रैयत में 11.96 हे. कुल 44.30 हे. कुल 109.42 एकड़ जमीन खरीदी गई। इनके द्वारा ओम मां कृष वाहनी महिला उपभोक्ता सहकारी भंडार सी एल पी पाठक वार्ड से 12 मई 2025 को 6 किलो गेहूं, 9 किलो चावल और 1 किलो नमक का उठाव किया। परिवार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना का पात्र लाभार्थी है जिन्हें मुफ्त खाद्यान्न शासन द्वारा दिया जाता है।
चौथे नंबर पर है राकेश पिता मोलाई, निवासी ग्राम बरमानी जिला कटनी के नाम पर पिपरिया में 33.86 हे., बगरेली सानी में 1.81 हे.= 34.67 हे. कुल 85.63 एकड़ जमीन खरीदी गई। इनके परिवार के 6 सदस्यों का राशन 12 अप्रैल 2025 को 12 किलो गेहूं, 18 चावल और 1 किलो नमक प्राप्त किया। इस परिवार को भी मुफ्त राशन का लाभ मिला है।
इनको 4/4/ 2018 में पक्का मकान प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 1.20 लाख रुपए की स्वीकृति प्राप्त हुई।
इनका परिवार मनरेगा अंतर्गत अकुशल मजदूर है। इनके जॉब कार्ड के अनुसार राकेश सिंह ने 27/5/2023 तक मनरेगा में मजदूरी की, पुत्री 25/12/2024 तक कार्य करती रही पत्नी सुमित्रा बाई का नाम 21/04/2025 तक मस्टर में दर्ज है। राकेश सिंह को 13/6/2023 को 7 दिनों का मजदूरी भुगतान 1435 रुपए उनके सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, सलैया सिहोरा के खाते में किया गया। पुत्री को 817 रु. का मजदूरी भुगतान और 2/6/2023 को इसी खाते में पत्नी को 1200 रु. मजदूरी भुगतान किया गया। मनरेगा अंतर्गत सुमित्रा बाई का नाम वर्तमान में भी मस्टरोल में दर्ज है।
मूल गांव में इनकी अचल संपत्ति का ब्यौरा..!
रघुराज सिंह को पक्का मकान प्रधानमंत्री आवास योजना से मिला है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इनके मूल ग्राम में खसरा क्रमांक 290/3, 290/6, 342/1 और 174/3 में कुल 3.33 हे. भूमि दर्ज है। कुल 8.22 एकड़ जमीन में चार भाई बहनों के हिस्से में है रघुराज, रतन, उमा और रेणुका पिता श्यामलाल। इस तरह यह जमीन जो इनकी पैतृक भूमि है उसमें से रघुराज सिंह के हिस्से में 2.05 एकड़ जमीन है। यह जमीन 27/7/2015 से पैक्स पिपरियाकला द्वारा कृषि उपज की दृष्टिबंधक है।
नत्थू पिता राममिलन, निवासी गोइंद्रा, तहसील विजयराघवगढ़, जिला कटनी की इनके मूल ग्राम गोइंद्रा में 6 खसरों में अविभाजित भूमि दर्ज है, इनके हिस्से में कुल 0.820 हे. अर्थात कुल लगभग 2 एकड़ जमीन है।
राकेश पिता मोलई के मूल गांव बरमानी में इनकी लगभग 3.65 एकड़ पुस्तैनी कृषि भूमि होने की जानकारी सूत्रों से प्राप्त हुई है। पक्का मकान प्रधानमंत्री आवास योजना से स्वीकृत हुआ है।

जो व्यक्ति अपने परिवार के भरण पोषण के लिए खुले बाजार से राशन खरीदने में अक्षम है वह अपने जिले से बाहर आकर सैकड़ों एकड़ जमीन खरीदता है तो सवाल जरूर उठता है कि आखिर इनके पास इतना पैसा आया कहा से। पिपरिया माल की असिंचित कृषि भूमि की शासकीय दर 1.98 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर निर्धारित है। इस हिसाब से रघुराज सिंह की 148.95 हेक्टर की कीमत 29,492,100 (दो करोड़ चौरानबे लाख, बानबे हजार सौ रुपए)नत्थू पिता राममिलन की 70.27 हेक्टर 13,913,460 (एक करोड़ उन्तालीस लाख, तेरह हजार चार सौ साठ रुपए) राकेश पिता मोलाई, की 33.86 हेक्टर कीमत रुपए 6,704,280 (सड़सठ लाख, चार हजार दो सौ अस्सी रुपए) प्रहलाद पिता पद्दू, की 32.34 हेक्टेयर की कीमत 6,403,320 (चौसट लाख, तीन हजार तीन सौ बीस) कुल कीमत रुपए 56,513,160 (पांच करोड़ पैंसठ लाख, तेरह हजार एक सौ साठ) होती है। इन खरीदारों के पास इतनी बड़ी राशि कहा से, कब और कैसे आई यह बड़ा सवाल है। इतनी बड़ी रकम का लेनदेन वैधानिक तरीके से हुआ या नहीं!इस आय का वैधानिक स्त्रोत और उस पर निर्धारित टैक्स का भुगतान किया गया या नहीं इन विषयों की जांच होनी चाहिए।

फिर इन्होंने पिपरिया माल की अधिकांश अनुपजाऊ भूमि किस उद्देश्व से खरीद ली? इन सब बातों की जांच से यह स्पष्ट हो जाएगा कि ये गरीब लोग है जिनका उपयोग सिर्फ मोहरों की तरह किया का रहा है। जबकि यह पूरे सुनियोजित षड्यंत्र के पीछे बड़े पूंजीपतियों और खनन माफियाओं का हाथ है जो आदिवासियों की जमीनें हड़पकर उसमें छुपे कीमती खनिज से अपनी तिजोरियां भरने की तैयारी पूरी कर चुके है और शासन प्रशासन भी इनके सामने अक्षम बना हुआ है। जबकि गरीब परिवार के इन लोगों और जिनकी जमीनें खरीदी गई है दोनों का शोषण हो रहा है इनकी गरीबी, अशिक्षा और बेबसी का फायदा कथित माफियाओं के द्वारा उठाया जा रहा है। शासन प्रशासन इस पूरे मामले पर उठ रहे तमाम सवालों और पीड़ित आदिवासी परिवारों की शिकायतों के बाद भी आगे न्यायसंगत और बड़ी कार्यवाही कर पाएगी यह इसका सबको इंतजार रहेगा।