https://youtu.be/ZODYQEVojf0?si=wusdRjGemSxkIEeN
– बैगा आदिवासियों की जमीन खरीद पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का बड़ा खुलासा
– जाति प्रमाणपत्र और आर्थिक स्रोतों पर सवाल, हाईकोर्ट में जनहित याचिका की तैयारी….
डिंडौरी न्यूज | मध्यप्रदेश के जिले में बैगा आदिवासियों की सैकड़ों एकड़ जमीन की संदिग्ध तरीके से बिक्री और उसके पीछे दलालों व बाहरी लोगों की भूमिका को लेकर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने बड़ा खुलासा किया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष इंजीनियर कमलेश तेकाम ने प्रेसवार्ता के माध्यम से जानकारी दी कि कटनी जिले के चार व्यक्तियों ने स्वयं को आदिवासी बताकर वर्ष 2009 से अब तक लगभग 781.24 एकड़ जमीन खरीदी है। यह जमीनें विशेष रूप से बैगा आदिवासियों की बताई जा रही हैं।
अब सवाल यह है कि ये सभी व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले हैं, सरकारी योजनाओं के लाभार्थी हैं और मनरेगा जैसी मजदूरी योजना के अंतर्गत कार्यरत हैं, फिर भी इन्होंने करोड़ों रुपए की जमीनें कैसे खरीदीं?
इन गरीबी रेखा वाले मजदूरों ने खरीदी जमीन…
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के द्वारा जारी प्रेस नोट में उल्लेख किया गया है कि
– रघुराज सिंह पिता श्यामलाल – निवासी सुतली, जिला कटनी।
डिंडोरी जिले में 411.50 एकड़ जमीन खरीदी।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ₹1.20 लाख की राशि स्वीकृत।
गरीबी रेखा के नीचे सूचीबद्ध, शासकीय राशन प्राप्तकर्ता।
2022 में “प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना” के तहत मुफ्त अनाज भी लिया।

– राकेश पिता मोलई, ग्राम बरमानी, बड़वारा (कटनी)।
पिपरिया माल और बघरेली में 45.63 एकड़ जमीन खरीदी।
प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थी।
मनरेगा में स्वयं व पत्नी के नाम से मजदूरी की।
बीपीएल कार्डधारी, नियमित राशन प्राप्त।
– नत्थू पिता राममिलन, ग्राम गोइंद्रा, तहसील विजयराघवगढ़ (कटनी)।
डिंडौरी जिले में 179.53 एकड़ जमीन खरीदी।
उनके मूल ग्राम में केवल 2.02 एकड़ पुश्तैनी भूमि दर्ज।
परिवार के 6 सदस्य सरकारी राशन योजना के लाभार्थी।
जाति विवाद: कोल जाति के हैं, पर डिंडोरी में गोंड जाति दर्ज है।
– प्रहलाद कोल पिता पद्दू, निवासी वार्ड क्रमांक 30, जोन 2, नगर निगम कटनी।
पिपरिया माल और हरो टोला रैयत में 109.42 एकड़ भूमि खरीदी।
बीपीएल राशन कार्डधारी, 3 सदस्य लाभार्थी।
सरकार से मुफ्त खाद्यान्न लिया गया।
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने इन चारों व्यक्तियों के खिलाफ गंभीर आपत्ति जताते हुए 5 प्रमुख बिंदुओं पर जांच और कानूनी कार्यवाही की मांग की है:
– आर्थिक स्थिति की जांच – क्या ये लोग वास्तव में करोड़ों की संपत्ति खरीदने में सक्षम थे? क्या इनकी आय वैध है?
– जाति प्रमाणपत्रों की जांच – क्या इन्होंने बैगा आदिवासियों की जमीन खरीदने के लिए झूठे या फर्जी जाति प्रमाणपत्र प्रस्तुत किए? कुछ व्यक्तियों के सरकारी रिकॉर्ड में अनुसूचित जाति दर्ज है, जो बैगा भूमि खरीद की पात्रता पर सवाल उठाता है।
– बाहरी उद्देश्य और खनिज लीज का संदेह – जमीन खरीद का उद्देश्य क्या था? क्या यह भूमि केवल बॉक्साइट खनन कंपनियों को लीज पर देने के लिए खरीदी गई?
– स्थानीय दलालों की भूमिका – ग्रामीणों की शिकायतों के अनुसार स्थानीय जमीन दलालों ने बैगा आदिवासियों की जमीनों को धोखे से बिकवाया। इन पर आदिवासी अत्याचार अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कर कार्यवाही की जाए।
– राजनैतिक चुप्पी और प्रशासन की निष्क्रियता – एक महीने से अधिक समय से यह मुद्दा मीडिया में है, फिर भी प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधि चुप क्यों हैं?

आंदोलन और कोर्ट का रुख….
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने यह भी स्पष्ट किया है कि जिन ग्रामीणों की जमीनें छल या फर्जी तरीके से बेची गईं हैं, उनकी रजिस्ट्री रद्द की जाए और जिन लोगों को उनकी जमीन बेचने का उचित मूल्य नहीं मिला, उन्हें तत्काल भुगतान किया जाए। साथ ही, पार्टी ने कहा कि खदान के लिए अधिग्रहित की गई जमीनों का वर्तमान बाजार मूल्य निर्धारित कर उसका लाभ वास्तविक मालिकों को दिलवाया जाए। प्रदेश अध्यक्ष इंजीनियर कमलेश तेकाम ने कहा की है कि पार्टी बहुत जल्द हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करेगी और इस मामले में वृहद आंदोलन भी चलाएगी।