– सफाई कर्मचारी ने रिश्वतखोरी और अन्याय के खिलाफ कलेक्टर से लगाई गुहार
डिंडौरी /मेहंदवानी। जिले के मेहंदवानी स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में कार्यरत सफाई कर्मचारी अजय दास लारिया ने बैंक में चल रही कथित रिश्वतखोरी और मनमानी के खिलाफ कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने बैंक मैनेजर पर गंभीर आरोप लगाते हुए विस्तृत शिकायत प्रस्तुत की है, जिसमें रिश्वत लेने, शोषण और मनमाने ढंग से नौकरी से निकालने का जिक्र है।
अजय लारिया, जो वर्ष 2012 से बैंक में झाड़ू-पोंछा, सफाई, पानी लाने और फाइल व्यवस्था जैसे कार्यों में लगे हुए थे, ने बताया कि वर्ष 2021 से बैंक मैनेजर संजीव डोंगरे और वर्तमान मैनेजर मनीष कुमार सनौदिया द्वारा लोन पास कराने के एवज में हितग्राहियों से रिश्वत ली जाती थी। आरोप है कि इस कार्य में सफाई कर्मचारी का उपयोग किया जाता था। अजय का कहना है कि मैनेजर द्वारा उसे निर्देशित किया जाता था कि वह हितग्राहियों से “खर्चा” के नाम पर पैसे वसूले और अपनी पत्नी तुलसी के नाम से खुले खाते में जमा करवाए। बाद में ये पैसे निकालकर मैनेजर को दे दिए जाते थे। शिकायत में अजय ने इस खाते की जानकारी भी दी है।

एक मामला जिसने किया सब उजागर
23 अप्रैल को बजरू सिंह भारतीया नामक ग्रामीण का 15 लाख रुपए का लोन पास हुआ था। मैनेजर द्वारा अजय को निर्देशित किया गया कि बजरू से ₹7000 “खर्चा” लिया जाए। अजय ने वह रकम ली, लेकिन उसी समय उसकी पत्नी की डिलीवरी थी, जिससे उसने ₹5000 इलाज में खर्च कर दिए और शेष ₹2000 बैंक मैनेजर को दे दिए। इस पर जब उसने मैनेजर को जानकारी दी और बाकी पैसे वेतन से काटने की बात कही, तो मैनेजर बुरी तरह नाराज हो गए।
फोन पर मिला नौकरी से बाहर होने का आदेश
5 मई की सुबह करीब 9:15 बजे बैंक के कर्मचारी शारदा प्रसाद मिश्रा ने अजय को फोन कर सूचित किया कि बैंक मैनेजर के आदेशानुसार अब से उसे बैंक नहीं आना है। उसके बाद से अजय की सेवा समाप्त कर दी गई और उसे बिना किसी नोटिस या वैधानिक प्रक्रिया के नौकरी से निकाल दिया गया।
वीडियो से मिले अहम सुराग
मामले को और गंभीर बनाते हुए एक वीडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें एक शिक्षक खुले तौर पर यह स्वीकार कर रहा है कि उसने बैंक मैनेजर को लोन पास कराने के बदले ₹7000 की रिश्वत दी थी। इस वीडियो से बैंक मैनेजर पर लगे आरोपों को बल मिला है।
कलेक्टर से न्याय की मांग
अब अजय लारिया अपनी पत्नी और नवजात बच्चे के साथ कलेक्टर कार्यालय पहुंचा है और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। अजय का कहना है कि वह वर्षों से बैंक की सेवा कर रहा था और इस प्रकार बिना सुनवाई के नौकरी से निकालना न केवल अन्यायपूर्ण है बल्कि उसके परिवार की आजीविका पर भी संकट है।