
जबलपुर। मध्यप्रदेश उच्च न्यालय में एक ऐसा मामला सामने आया जहां शिकायतकर्ता पर कोर्ट को गुमराह कर झूठे तथ्य परसोना महँगा पड़ा। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए शिकायतकर्ता पर 20 हज़ार का जुर्माना लगाते हुए, उक्त मामले की जाँच करने पुलिस अधीक्षक निवाडी को निर्देशित कर दोषियों पर कार्यवाही के निर्देश दिये है ।
क्या है पूरा मामला –
दिनांक 16/3/23 को अजय यादव व अंकित यादव का विवाद विपिन, आनंद, शिवम् व बादाम से हुआ जहां पीड़ित पक्ष ने पुलिस थाने में भारतीय दंड सहिता, 1860 के अन्तर्गत विभिन्न धराओ में मामला पंजीबद्ध किया गया। पुलिस के द्वारा कार्यवाही नहीं करने पर मामला उच्च न्यायालय पहुँच जहां न्यायालय ने पुलिस अधीक्षक को विधि संगत कार्यवाही के निर्देश दिया थे। इस दौरान दिनांक 31/07/23 को भगोड़े शिवम् यादव की खेत में करंट लगने से मृत्यु हो गई थी परंतु भगोड़े शिवम् यादव के परिवार ने अभियुक्त अजय यादव व अन्य के ख़िलाफ़ झूठे बयान देकर आत्महत्या के लिए उकसाना एवं अन्य धराओ के ख़िलाफ़ मामला पंजीबद्ध कराया था।
जिसको उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी जिसमे आरोप लगाये गये थे की अजय यादव और उसके परिवार के लोगो ने मिलकर शिवम् यादव को घटना दिनांक से एक दिन पश्चात भगोड़े शिवम् यादव और उसके साथी मुकुल को बोला था की तुम को तो मर जाना चाहिए फिर शिवम् की मृत्यु के उपरांत मुकुल और शिवम् के परिवार के कथनों के आधार पर पुलिस द्वारा भारतीय दंड सहिता की धारा 306 का मर्ग क़ायम किया गया जिसके आधार पर एफ़आईआर दर्ज की गई थी।
उच्च न्यायालय ने पूरे प्रकरण की सुनवाई कर निष्कर्ष पर पहुँची की धारा 306 का अपराध क़ायम नहीं होता है और एफ़आईआर को निरस्त किया साथ ही शिकायतकर्ता पर 20 हज़ार का जुर्माना लगाया और पुलिस अधीक्षक निवाडी को निर्देशित किया की मुकुल यादव व उसके परिवार के ख़िलाफ़ कार्यवाही कर जाँच करने के निर्देश दिये। मामला में पैरवी अधिवक्ता मनन अग्रवाल व सम्यक् जैन ने की।