डिंडौरी। जिला मुख्यालय के समीप स्थित ग्राम पंचायत धनुआसागर में वर्ष 2016 के दौरान लगभग 3 करोड़ रुपए की लागत से मॉडल स्कूल का निर्माण कराया गया था। हाल ही में मध्यप्रदेश सरकार ने इस मॉडल स्कूल को सीएम राइज विद्यालय के रूप में उन्नत किया है, जिसके लिए नया भवन निर्माणाधीन है। इसी बीच पूर्व में निर्मित मॉडल स्कूल भवन की मरम्मत एवं सुधार कार्य हेतु पुलिस हाउसिंग बोर्ड मध्यप्रदेश द्वारा करीब 2 करोड़ रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई है।स्वीकृति के अनुसार भवन में कोटा फ्लोरिंग, खिड़की–दरवाजों का परिवर्तन, शौचालय निर्माण तथा अन्य संरचनात्मक मरम्मत कार्य किए जाने हैं।

गंभीर अनियमितताओं के आरोप
स्थानीय नागरिकों ने आरोप लगाया है कि मरम्मत कार्य में ठेकेदार और संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग हो रहा है। ग्रामीणों के मुताबिक—भवन के ऊपरी हिस्से में कोटा लगाते समय रेत–सीमेंट के मसाले की जगह डस्ट (धूल) का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो निर्माण गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। शौचालयों में अमानक स्तर के टाइल्स लगाए जा रहे हैं, जिनकी गुणवत्ता निर्धारित मानकों से कम बताई जा रही है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि निर्माण स्थल पर तकनीकी मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है और निगरानी भी केवल कागजी स्तर पर की जा रही है।
– अधिकारियों पर संरक्षण का आरोप
ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस हाउसिंग बोर्ड के कुछ अधिकारियों के संरक्षण में ठेकेदार मनमानी करते हुए गुणवत्ताहीन कार्य करा रहा है। करोड़ों की राशि के बावजूद निर्माण सामग्री और कार्य की गुणवत्ता दोनों संतोषजनक नहीं हैं। इससे न केवल सरकारी धन की हानि हो रही है, बल्कि भविष्य में विद्यार्थियों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है।

चंद महीनों में जर्जर हुआ सीसी रोड़
मुख्य मार्ग से सीएम राइज भवन तक पहुंच हेतु लोक निर्माण विभाग द्वारा लगभग 38 लाख रुपए की लागत से विगत वर्षों सीसी सड़क का निर्माण कराया गया था, घटिया निर्माण कार्य के चलते बनते ही सड़क से गिट्टी और रेत अलग अलग हो गए हैं जिससे सड़क पर धूल का गुबार उठ रहा है
स्थानीय जनता में गहरा असंतोष
अनियमितताओं से आक्रोशित ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल जांच कर गुणवत्ता परीक्षण, घटिया निर्माण पर रोक तथा जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि यदि समय रहते हस्तक्षेप नहीं किया गया तो करोड़ों की सरकारी राशि व्यर्थ हो जाएगी और भवन की आयु भी कम हो जाएगी।
स्थानीय लोगों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि कार्य की गुणवत्ता में सुधार नहीं हुआ तो वे जिला प्रशासन के समक्ष सामूहिक शिकायत दर्ज कराएंगे।










