डिंडौरी न्यूज। धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर डिंडौरी में इस वर्ष भी जनजातीय गौरव दिवस हर्षोल्लास और सांस्कृतिक गरिमा के साथ मनाया गया। प्रतिमा स्थल पर हर वर्ष की तरह श्रद्धांजलि कार्यक्रम तो हुआ ही, साथ ही इस बार जनजातीय कार्य विभाग एवं शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय प्राचीन डिंडौरी के संयुक्त सहयोग से मड़ई मेले का आयोजन कर एक नई पहल की गई, जिसने कार्यक्रम में विशेष आकर्षण जोड़ा।
– विद्यालय प्रबंधन की जिम्मेदारी पूर्ण तैयारी के साथ
कार्यक्रम की सुचारू व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए विद्यालय के प्राचार्य सतीश कुमार धुर्वे द्वारा मेला एवं कार्यक्रम स्थल पर स्टाफ की ड्यूटी लगाई गई। शिक्षकों और विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी से पूरा आयोजन व्यवस्थित और प्रभावी रहा।
– सरकार की पहल—जनजातीय गौरव दिवस को बड़े स्तर पर मनाने की तैयारी
केंद्र और राज्य सरकार द्वारा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में बृहद स्तर पर मनाने के निर्देश दिए गए थे। इसी क्रम में जनजातीय कार्य विभाग द्वारा जिले के स्कूलों में विविध कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसके तहत बाबा साहब आंबेडकर स्वरोजगार योजना एवं टांट्या मामा स्वरोजगार योजना के माध्यम से बेरोजगार युवाओं को रोजगार से जोड़ने की दिशा में लक्ष्य निर्धारित किए गए।

– युवाओं के लिए स्वरोजगार पर विशेष शैक्षणिक संवाद
स्वरोजगार योजनाओं से लाभान्वित होने वाले एवं लाभ लेने वाले युवा वर्ग को व्यापार और उद्यमिता से जुड़ी बुनियादी समझ प्रदान करने हेतु एक विशेष शैक्षणिक संवाद आयोजित किया गया।
इस संवाद में नगर के वरिष्ठ एवं प्रतिष्ठित व्यवसायी अवधराज बिलैया को आमंत्रित किया गया। उन्होंने उपस्थित युवाओं को व्यापार की बारीकियों, बाजार की समझ, पूंजी प्रबंधन, ग्राहक विश्वास एवं सफल उद्यमी बनने के मंत्रों से अवगत कराया। उनके अनुभवजन्य मार्गदर्शन को युवाओं ने बड़े ध्यान से सुना और भविष्य में स्वयं का रोजगार स्थापित करने की प्रेरणा ग्रहण की।
– मड़ई मेले में संस्कृति, संवाद और स्वरोजगार का संगम
मड़ई मेले में पारंपरिक कला, संस्कृति और जनजातीय विरासत का प्रदर्शन हुआ। साथ ही युवा वर्ग के लिए आयोजित संवाद कार्यक्रम ने इस आयोजन को और अधिक सार्थक बनाया। जनजातीय समाज की गौरवशाली परंपरा, शिक्षा, आत्मनिर्भरता और आधुनिक सोच का यह समन्वय जनजातीय गौरव दिवस के वास्तविक उद्देश्यों को दर्शाता है।
कुल मिलाकर, भगवान बिरसा मुंडा जयंती पर आयोजित यह संयुक्त आयोजन न केवल सांस्कृतिक उत्सव रहा, बल्कि युवाओं को स्वरोजगार के नए विकल्पों से जोड़ने वाला प्रेरक कार्यक्रम भी सिद्ध हुआ।










