– उपयंत्री कमलेश धूमकेती, सहायक यंत्री बिजेंद्र सारीवान घर बैठे कर रहे मूल्यांकन और भौतिक सत्यापन
– लगभग 12 लाख रु मटेरियल का मूल्यांकन सत्यापन कर मनरेगा पोर्टल पर दर्ज किया,पहली बारिश में ढही 15 लाख की पुलिया..?
– चहेते सप्लायर एमएस एसएम कॉन्ट्रेक्शन प्रो सुदर्शन के बिल पर कमीशन ले रहे उपयंत्री धूमकेती
Dindori News, डिंडौरी न्यूज़ । विगत दिनों कलेक्टर नेहा मारव्या ने जिला मुख्यालय के समीपी ग्राम पंचायत चटुवा का औचक निरीक्षण करते हुए वर्तमान में कराए गए निर्माण कार्यों की निरीक्षण करने की मंशा जाहिर की तब सहायक यंत्री बिजेंद्र सारीवान ने कलेक्टर को भ्रमित करते हुए पूर्व वर्षों में कराए पुलिया का निरीक्षण करा दिया, जब कलेक्टर ने ग्रामीणों से जानकारी ली तो उन्होंने सहायक यंत्री के दावों की पोल खोलते हुए बताया कि पुलिया दो वर्ष पहले बनाया गया था। कार्य प्रारंभ होकर पूर्ण हो जाता है तब भी अधिकारी निरीक्षण करने मौके पर नहीं जाते जिससे निर्माण कार्यों के नाम पर भ्रष्टाचार और बंदरबाट चरम पर है।
किस तरह डिंडौरी जनपद पंचायत का तकनीकी अमला घर बैठे ग्राम पंचायतों के कार्यों का गुणवत्ता और तकनीकी मापदंडों को पूरा करा रहें हैं इसके एक नहीं बल्कि अनेक उदाहरण सामने है।
डिंडोरी में विकास कार्यों के नाम पर सरकारी धन की लूट थमने का नाम नहीं ले रही है, जिसकी बानगी ग्राम पंचायत सिलहरी में देखी जा सकती है, महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत करीब 15 लाख रुपये की लागत से बनी पुलिया पहली ही बारिश में ढह गई, जिससे निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने सरपंच, सचिव और उपयंत्री पर गंभीर आरोप लगाए हैं। जनपद सदस्य ममता देवी मरावी ने बताया कि “निम्हा नाले पर बनी इस पुलिया में तय मानकों की पूरी तरह अनदेखी की गई। पुलों को आड़ा-तिरछा रखकर ढलाई की गई, साइड वॉल छोटी बनाई गई और पुलिया के ऊपर कांक्रीट न डालकर मिट्टी और मुरम से काम पूरा कर दिया गया।”
पुलिया के क्षतिग्रस्त होने के बाद अब जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी भ्रष्टाचार पर परदा डालने के लिए फिर से मिट्टी-मुरम डालकर लीपापोती करने में जुटे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि महिला जनपद सदस्य के विरोध के बावजूद पंचायत में वित्तीय अनियमितताएं जारी हैं और जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई करने के बजाय भ्रष्टाचारियों के संरक्षक बने हुए हैं।
अब सवाल उठता है कि जब स्थानीय जनप्रतिनिधि और ग्रामीण इतने स्पष्ट तौर पर अनियमितताओं की शिकायत कर रहे हैं, तब भी क्यों जिम्मेदारों की ओर से कोई कठोर कदम नहीं उठाया जा रहा? आखिर किसकी रहमत से ऐसे लोग बेखौफ सरकारी धन का दुरुपयोग करते जा रहे हैं?

– तकनीकी मापदंडों को ठेंगा, चहेते सप्लायर के बिल से कमीशन
ग्राम पंचायत सिलहरी में पुलिया निर्माण निमहा नाला के नाम पर लगभग 15 लाख रुपए की राशि स्वीकृत किया गया है, निर्मित एजेंसी और उपयंत्री कमलेश धूमकेती द्वारा उक्त प्राक्कलन में प्रावधानित मटेरियल की राशि लगभग 12 लाख रुपए मूल्यांकन किया गया जिसे सहायक यंत्री बिजेंद्र सारीवान द्वारा सत्यापित कर मनरेगा पोर्टल में भुगतान हेतु दर्ज किया गया है। जबकि मापदंड के अनुसार न तो साइडवाल बना है, न ही की वाल बनाया गया है, ग्रामीणों ने बताया कि साइड वाल कम से कम डेढ़ मीटर खुदाई कराया जाना था लेकिन बगैर मजबूत बेस के ही मनमानी कार्य कराया गया है, यदि जिला प्रशासन द्वारा उक्त कार्य का उच्च स्तरीय मूल्यांकन कराने की कार्रवाई की जाती है तो मनरेगा में किस तरह फर्जीवाड़ा कर कागजों में मनमानी मूल्यांकन/सत्यापन कर लाखों रुपए का बंदरबाट किया जा रहा का खुलासा हो सकता है। वहीं सूत्रों की माने तो उपयंत्री द्वारा चहेते सप्लायर के नाम पर फर्जी बिल लगाकर कमीशन लिया जा रहा है।
#Corruption Exposed in Dindori Poor-Quality Culvert Collapses After First Rain