डिंडौरी न्यूज। नर्मदा नदी पर प्रस्तावित बसनिया (ओढारी) बांध को लेकर डिंडोरी और मंडला जिले के ग्रामीणों का विरोध लगातार तेज होता जा रहा है। इसी कड़ी में कल ग्राम फूलवाही, विकासखंड मेंहदवानी में पहुंची सर्वे टीम को ग्रामीणों ने काम नहीं करने दिया और वापस लौटा दिया।
प्रशासनिक अमला भारी पुलिस बल और अधिकारियों के साथ गांव पहुंचा था। इसमें नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक मेंहदवानी, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के अधिकारी, शहपुरा थाना प्रभारी एवं बिछिया चौकी प्रभारी मौजूद थे। सर्वे शुरू होते ही गांव वालों ने विरोध शुरू कर दिया और दिनभर अधिकारियों से नोकझोंक चलती रही।
ग्राम सभा की अनुमति जरूरी
ग्रामीण महिलाओं सरिता बाई कुंजाम और गिरजा बाई कुंजाम ने साफ कहा कि यह क्षेत्र पांचवीं अनुसूची में आता है, इसलिए ग्राम सभा की अनुमति के बिना कोई सर्वे या भूमि अधिग्रहण नहीं हो सकता। उपस्थित ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से कहा कि किसी भी शर्त पर वे अपनी जमीन नहीं देंगे।
अधूरी प्रक्रिया पर उठाए सवाल
ग्रामीणों ने प्रशासन से सवाल किया कि जब अब तक परियोजना का पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) और पर्यावरणीय मंजूरी ही नहीं आई है, तो भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया कैसे शुरू की जा सकती है? वहीं हाल ही में डिंडौरी कलेक्टर द्वारा धारा 19 के तहत जिन किसानों की जमीन अधिग्रहित करने की सूचना जारी की गई है, उस पर भी लोगों ने कड़ी आपत्ति जताई।
ज्ञात हो कि प्रस्तावित बसनिया (ओढारी) बांध से डिंडोरी जिले के 13 गांव और मंडला जिले के 18 गांव प्रभावित होंगे। करीब 2735 परिवारों की 2443 हेक्टेयर निजी भूमि, 2107 हेक्टेयर वन भूमि और 1793 हेक्टेयर शासकीय भूमि डूब क्षेत्र में आएगी।
ग्रामीणों ने सुनाई अपनी आवाज
सर्वे रोकने के दौरान मेंहदवानी के जनपद अध्यक्ष राम प्रसाद तेकाम, कनेरी ग्राम पंचायत के सरपंच फुलचंद कुर्राम, कुटरई के उप-सरपंच हरीचंद बरकड़े, पारम्परिक ग्राम सभा संचालक मनोहर सिंह मरकाम, समाजसेवी घनश्याम मरकाम, प्रमोद कुंजाम, देव सिंह पन्द्राम और तुलसी बाई उईके समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।
ग्रामीणों ने चेताया है कि जब तक ग्राम सभाओं की अनुमति नहीं मिलेगी और परियोजना की सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी नहीं होंगी, तब तक गांव में किसी भी तरह का सर्वे नहीं होने दिया जाएगा।