डिंडौरी/गोरखपुर,अखलाक कुरैशी की रिपोर्ट। करंजिया विकासखंड के ग्राम पंचायत जुगदेई में सिवनी नदी पर बना पुल विगत वर्षों से क्षतिग्रस्त हालत में पड़ा है। बरसात के दिनों में इसका एक हिस्सा बाढ़ में बह जाने से यह मार्ग पूरी तरह से बंद हो गया है। अब न वाहन निकल पा रहे हैं, न ही पैदल चलना आसान रह गया है। इससे दर्जनों गांवों के लोगों, विद्यार्थियों, किसानों और मरीजों की परेशानी कई गुना बढ़ गई है।
ग्रामीणों के अनुसार यह पुल बाहरपुर को जुगदेई-उमरिया मार्ग से जोड़ता है, जो आसपास के गांवों का मुख्य संपर्क मार्ग है। पुल क्षतिग्रस्त होने के बाद ग्रामीणों को कई किलोमीटर लंबा फेरा लगाकर झापाटोला और रुसा के रास्ते आना-जाना पड़ रहा है।
– विद्यार्थियों और किसानों पर सबसे बड़ा असर
जुगदेई के हाईस्कूल और बालक छात्रावास में पढ़ने वाले बच्चों को रोजाना जोखिम भरे रास्ते से स्कूल जाना पड़ रहा है। कीचड़ और दलदल भरी पगडंडियों पर फिसलते हुए बच्चे और कर्मचारी किसी तरह पहुंचते हैं। ग्रामीण व्यापारी भी अपनी कृषि उपज बाजार तक नहीं पहुंचा पा रहे, जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है।
– प्रशासन से नहीं मिली राहत
स्थानीय ग्रामीण गणेश कुमार, बोधीलाल यादव, नवल सिंह तेकाम, कंवल तेकाम, अमीर सिंह मरावी, मंगल पड़वार, जगदीश धार्या और रामा मोंगरे ने बताया कि कई बार जनसुनवाई और अधिकारियों को शिकायत करने के बावजूद कोई समाधान नहीं मिला। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष और अन्य जनप्रतिनिधियों को भी इस समस्या से अवगत कराया गया, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
क्या चाहते हैं ग्रामीण?
– ग्रामीणों ने प्रशासन के सामने स्पष्ट मांग रखी है
– सिवनी नदी पर ऊँचा और पक्का पुल बनाया जाए।
– झापाटोला से भवानी टोला तक पक्की सड़क बनाई जाए।
– इस मार्ग को प्राथमिकता में लेकर जल्द से जल्द मरम्मत और निर्माण कार्य शुरू कराया जाए।
ग्राम पंचायत जुगदेई के सरपंच संपत सिंह धुर्वे का कहना है कि यह मार्ग केवल गांव वालों की जरूरत नहीं बल्कि उनकी मजबूरी बन चुका है। शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य कार्यों के लिए ग्रामीणों को इसी रास्ते से गुजरना होता है, जो अब खतरनाक हो गया है।
– बरसात में और बिगड़ती स्थिति
बरसात के मौसम में यह स्थिति और खराब हो जाती है। छोटे वाहन गांव तक नहीं पहुंच पाते, चारपहिया वाहन गांव के मुहाने पर ही रुक जाते हैं। चारों तरफ कीचड़ और दलदल से रास्ता पूरी तरह जर्जर हो चुका है।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो वे बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।