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Dindori News: करंजिया थाना प्रभारी ने कानून को दिखाया ठेंगा, डीएम के आदेश के बाद भी दर्ज नहीं किया एफआईआर.?

akvlive.in

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– कलेक्टर के नाम पर फर्जीवाड़ा होने, जिला प्रशासन के पत्र के बाद भी दर्ज नहीं किया FIR..?

– एफआईआर दर्ज करने के हेतु जारी पुलिस मैनुअल की उड़ाई धज्जियां

डिंडौरी न्यूज। डिंडौरी जिले में आए दिन फर्जीवाड़े के कई मामले सामने आते ही रहते हैं, लेकिन हद तो तब हो गई जब फर्जीवाड़े करने वालों ने कलेक्टर के लेटर हेड पर फर्जी आदेश जारी करते हुए डिंडौरी कलेक्टर का फर्जी हस्ताक्षर भी कर दिया है, इतना ही नहीं फर्जी आदेश बनाने वाले ने कलेक्टर अनूपपुर के वॉट्सएप पर यह आदेश भेज दिया, फर्जी हस्ताक्षर से जारी आदेश को नगर परिषद कार्यालय अमरकंटक में भी जमा किया गया है, जब अनूपपुर कलेक्टर ने डिंडौरी कलेक्टर से जारी आदेश के संबंध में बात की तब इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है।

कलेक्टर डिंडौरी के फर्जी लेटर हेड पर जारी आदेश में उल्लेख है कि,,

कलेक्टर डिंडौरी के नाम जारी फर्जी आदेश

” कपिलधारा कक्ष क्रमांक 834 नर्मदा नदी का दक्षिणी क्षेत्र जो कि ग्राम पंचायत कबीर वन मंडल करंजिया जिला डिंडौरी में आता है, सार्वजनिक भागीदारी अर्धशासकीय मेसर्स बाल वाहनी जन कल्याण सेवा समिति को पर्यटन मंत्रालय भोपाल द्वारा सुपुर्द किया गया नगर परिषद अमरकंटक के द्वारा जो कार्य कक्ष क्रमांक 834 में किया जा रहा है उसे तत्काल बंद करने के निर्देश भोपाल पर्यटन मंत्रालय द्वारा अब कक्ष क्रमांक 834 का रख रखाव समिति के अधीनस्थ किया जाएगा “

मामले को लेकर एडीएम सुनील शुक्ला द्वारा 02 जून को करंजिया थाना प्रभारी को पत्र लिखकर तत्काल ज्ञात अज्ञात आरोपी के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने का लेख किया गया, लेकिन करंजिया थाना प्रभारी ने मामला दर्ज न करते हुए टाल मटोल कर रहे हैं। यह हाल तब है जब जिले के प्रशासनिक मुखिया के नाम की फर्जी आदेश जारी कर धोखाधड़ी करने का प्रयास किया गया। मामला दर्ज न होने पर जिला दंडाधिकारी नेहा मारव्या ने 05 जून को थाना प्रभारी करंजिया को आदेश जारी कर तत्काल एफआईआर दर्ज करते हुए समक्ष में उपस्थित होकर अवगत कराने के आदेश दिए हैं, जिला दंडाधिकारी के आदेश के 04 दिन बाद भी करंजिया थाना प्रभारी ने FIR दर्ज नहीं किया है।

जब एडीएम और कलेक्टर के आदेश के बाद भी करंजिया पुलिस मामला दर्ज करने में कोताही बरत रही हैं तो आमजनों के शिकायत पर पुलिस द्वारा कितने संजीदगी से कार्यवाही किया जाता होगा अंदाजा लगाया जा सकता है।

करंजिया थाना प्रभारी नरेंद्र पाल का कहना है कि पत्र प्राप्त हुआ था लेकिन मूल पत्र संलग्न न होने से पत्र वापस लौटा दिया है, मूल पत्र लाने हेतु तहसीलदार को पत्र लिखा है जब मूल पत्र मिलेगा तभी एफआईआर दर्ज होगी, अन्यथा नहीं होगी..?

गौरतलब है कि डिंडौरी कलेक्टर के फर्जी हस्ताक्षर से आदेश जारी किए गए हैं यह गंभीर मसला है, आरोपियों ने अनूपपुर कलेक्टर के वॉट्सएप पर भी लेटर सेंड किया है इसके साथ ही नगर परिषद अमरकंटक में भी लेटर जमा किया है। जिले के प्रशासनिक मुखिया कलेक्टर के नाम पर फर्जी आदेश जारी हो गया और थाना प्रभारी प्रशासन से मूल पत्र लाने हेतु तहसीलदार को पत्र लिख रहे है इससे ज्यादा शर्मनाक बात क्या हो सकती हैं।

अपराध की जांच, जाली दस्तावेजों की बरामदगी पुलिस करेगी या फिर शिकायत कर्ता को स्वयं जांच/विवेचना कर चार्जशीट थाना प्रभारी को सौंपी जाएगी। यदि करंजिया पुलिस गंभीरता से मामले पर पड़ताल करती तो अब तक आरोपी और फर्जी आदेश जारी करने वाले कानून के गिरफ्त में होते लेकिन करंजिया थाना प्रभारी की राजशाही इतनी है कि वह कलेक्टर/जिला दंडाधिकारी के आदेश को भी ठेंगा दिखा रहे हैं।

– एफआईआर दर्ज करने हेतु पुलिस को जारी प्रमुख निर्देश , TI ने कानून और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों दिखाया ठेंगा..? 

1. धारा 154 – दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC)

कोई भी व्यक्ति यदि संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) की सूचना देता है, तो थाना प्रभारी उस सूचना को एफआईआर के रूप में अनिवार्य रूप से दर्ज करेगा।

सूचना मौखिक या लिखित रूप में दी जा सकती है।

मौखिक सूचना को लिखित में लेकर पढ़कर सुनाया जाएगा और शिकायतकर्ता से हस्ताक्षर लिए जाएंगे।

एक प्रति निशुल्क शिकायतकर्ता को दी जाती है।

2. माननीय उच्चतम न्यायालय का निर्देश (Lalita Kumari बनाम उत्तर प्रदेश केस, 2013)

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संज्ञेय अपराध की सूचना मिलने पर एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है।

प्रारंभिक जांच केवल उन्हीं मामलों में की जा सकती है जिनमें प्रथम दृष्टया अपराध स्पष्ट नहीं है।

एफआईआर दर्ज न करने पर संबंधित पुलिस अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।