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दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर लगी आग, पुलिस को मिला नगदी का पहाड़!

न्यायपालिका और कानूनी बिरादरी को चौंका देने वाली असाधारण घटना में दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास में बड़ी मात्रा ...

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Chetram Rajpoot

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न्यायपालिका और कानूनी बिरादरी को चौंका देने वाली असाधारण घटना में दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास में बड़ी मात्रा में बेहिसाब नकदी मिलने की खबर सामने आई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह नकदी तब मिली, जब एक फायर ब्रिगेड आग बुझाने के लिए जज के आवास पर पहुंची। जस्टिस वर्मा उस समय अपने आवास पर नहीं थे। जब अग्निशमन कर्मियों को नकदी का ढेर मिला तो उन्होंने इसकी तस्वीरें और वीडियो बनाए और अपने सीनियर्स को सूचित किया।

दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में आग लगने की घटना ने नया मोड़ ले लिया है। इस आग को बुझाने पहुंची पुलिस और दमकल विभाग की टीम उस वक्त चौंक गई जब उन्हें वहां बंडलों में नगदी मिला। हालांकि, यह धन कितना था और कहां से आया, इसकी कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन इस घटना के बाद जस्टिस वर्मा का तबादला कर दिया गया है।
क्या है पूरा मामला?
दिल्ली के एक पॉश इलाके में स्थित जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में अचानक आग लग गई। सूचना मिलते ही दमकल और पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और आग बुझाने का काम शुरू किया। लेकिन जैसे ही राहत कार्य आगे बढ़ा, घर के अंदर से नगदी के बंडल बरामद होने लगे। नोटों की इस भारी मात्रा ने पुलिस और प्रशासन को भी हैरान कर दिया।
कैसा पैसा था? काला धन या मेहनत की कमाई?
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि यह पैसा आखिर कहां से आया? क्या यह कोई भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ मामला है, या फिर किसी कानूनी लेन-देन का हिस्सा था? सरकार और न्यायपालिका की ओर से इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया है। जस्टिस वर्मा का तबादला कर दिया गया, लेकिन कोई जांच नहीं हुई, कोई कार्रवाई नहीं हुई।
न्यायपालिका पर उठे सवाल, क्या तबादला ही हल है?
इस घटना के बाद लोकतंत्र के चौथे स्तंभ और न्यायपालिका की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। पत्रकार रवीश कुमार ने इसे लोकतंत्र का पतन करार देते हुए कहा कि –
“अगर न्यायपालिका को इतनी छूट दी जाएगी कि उनके घरों से बंडल के बंडल कैश निकलें और सिर्फ तबादला कर दिया जाए, तो फिर यही सुविधा आम जनता को क्यों नहीं?”
लोकतंत्र के स्तंभ हिल रहे हैं?
विपक्ष और कई सामाजिक संगठनों ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। सवाल यह है कि क्या अमृतकाल में न्यायपालिका भी भ्रष्टाचार के घेरे में आ चुकी है? अगर किसी अन्य संस्थान या अधिकारी के घर इतनी नगदी मिलती, तो क्या सिर्फ तबादला ही होता? अब देखना होगा कि क्या इस मामले में कोई जांच होगी या यह भी सत्ता और प्रभाव के खेल में दबकर रह जाएगा।

 

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