डिंडौरी न्यूज। सिंगरौली जिले में अडानी समूह को आवंटित कोल ब्लॉक, बड़े पैमाने पर वन कटाई तथा आदिवासी समुदायों के दमन के विरोध में शुक्रवार को जिला मुख्यालय डिंडौरी में राष्ट्रपति महामहिम को संबोधित ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन जिला कलेक्टर के माध्यम से भेजा गया, जिसे मध्यप्रदेश आदिवासी कांग्रेस के जिलाध्यक्ष उमाशंकर सिंगराम के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल ने प्रस्तुत किया।
ज्ञापन में उल्लेख किया गया कि सिंगरौली में कोल ब्लॉक आवंटन के चलते लगभग 1400 हेक्टेयर वनभूमि का डायवर्जन किया जा रहा है, जो पाँचवीं अनुसूची क्षेत्र में आती है। इस क्षेत्र में अधिकतर आबादी अनुसूचित जनजाति तथा विशेष रूप से संवेदनशील जनजातीय समूह से संबंधित है। बावजूद इसके ग्रामसभा की सहमति, आदिवासी अधिकारों व संवैधानिक प्रावधानों की खुली अनदेखी की गई है।
प्रतिनिधि मंडल ने आरोप लगाया कि सिंगरौली पुलिस प्रशासन द्वारा आदिवासी परिवारों को नजरबंद कर पेड़ कटवाए जा रहे हैं, जो न केवल अमानवीय है बल्कि संविधान सम्मत अधिकारों का घोर उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि वन कटाई, विस्थापन और दमनकारी कार्रवाइयों से ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है।
आदिवासी कांग्रेस द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में उल्लेख है कि अडानी समूह को आवंटित कोल ब्लॉक व पावर प्लांट हेतु भूमि आवंटन को तत्काल रद्द किया जाए। दबाव रहित, विधिवत ग्रामसभा आयोजित कर वास्तविक सहमति ली जाए। पाँचवीं अनुसूची के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई कर निलंबन किया जाए। पेसा कानून व FRA का कड़ाई से पालन हो। सिंगरौली में जारी अवैध जंगल कटाई पर तत्काल रोक लगे।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आवश्यक कार्रवाई करे। आदिवासी समुदाय पर दर्ज फर्जी मुकदमे वापस लिए जाएं और दमनकारी कार्रवाई बंद की जाए। ग्रामसभा की प्रक्रियाओं की निगरानी राष्ट्रीय जनजातीय आयोग व जनप्रतिनिधियों की समिति द्वारा कराई जाए। मुआवजा वितरण प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी हो। शांतिपूर्ण मुलाकात के लिए पहुंचे मप्र आदिवासी कांग्रेस अध्यक्ष रामू टेकाम की गिरफ्तारी को असंवैधानिक बताया गया और प्रशासन की कार्यप्रणाली की निंदा की गई।
उमाशंकर सिंगराम ने कहा कि सरकार और प्रशासन को आदिवासी समुदाय की संस्कृति, आजीविका और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना आवश्यक है। यदि मांगों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो आंदोलन तेज किया जाएगा। ज्ञापन सौंपने के दौरान समय बड़ी संख्या में कार्यकर्ता व आदिवासी नेता मौजूद रहे हैं।








