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शिक्षक संगठन ने ऐजूकेशन पोर्टल से उपस्थिति को बताया अमानवीय, सरकार से आदेश वापसी की मांग

akvlive.in

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डिंडौरी न्यूज़ । प्रदेश में शिक्षकों की उपस्थिति अब ऑनलाइन ऐजूकेशन पोर्टल 3.0 के जरिए दर्ज करने के सरकार के निर्णय पर शासकीय शिक्षक संगठन ने कड़ा एतराज जताया है। संगठन ने इसे न केवल अव्यावहारिक बल्कि शिक्षकों के साथ अमानवीय व्यवहार करार देते हुए कहा है कि यह फैसला शिक्षकों पर अविश्वास और अनावश्यक दबाव डालने जैसा है।

क्या है मामला?

मध्यप्रदेश शासन के समग्र शिक्षा अभियान, लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा 1 अगस्त 2025 से पूरे प्रदेश में शिक्षकों की उपस्थिति ऐजूकेशन पोर्टल 3.0 के माध्यम से दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। इसके लिए राज्य के 330 विकासखंडों से मास्टर ट्रेनर भोपाल में प्रशिक्षण ले चुके हैं। डिंडोरी जिले के मास्टर ट्रेनर भी 25 जुलाई को भोपाल में प्रशिक्षण लेकर लौटेंगे और जिले के शिक्षकों को ट्रेनिंग देंगे।

लेकिन डिंडोरी जिले में अब तक न तो पोर्टल अपडेट हुआ है और न ही शिक्षकों का डेटा ठीक से अपलोड हुआ है। कई स्कूलों के स्टाफ की जानकारी तक पोर्टल पर उपलब्ध नहीं है। ऐसे में शिक्षकों ने सवाल उठाया कि जब पोर्टल ही अधूरा है तो उनकी उपस्थिति दर्ज कैसे होगी?

जमीनी हकीकत: नेटवर्क और बिजली की समस्या

जिला शिक्षक संगठन के अध्यक्ष राम कुमार गर्ग ने कहा कि डिंडोरी जैसे आदिवासी बहुल और दुर्गम अंचल में आज भी बिजली और नेटवर्क की गंभीर समस्या है। कई गाँवों में मोबाइल नेटवर्क नहीं आता और बिजली भी घंटों गुल रहती है। इन हालात में शिक्षकों के लिए रोज़ाना पोर्टल पर उपस्थिति दर्ज करना असंभव होगा।

उन्होंने कहा कि अगर उपस्थिति पोर्टल पर नहीं हुई तो शिक्षकों के वेतन पर भी संकट खड़ा होगा। यह एक तरह से शिक्षकों पर मानसिक दबाव डालने जैसा है।

शिक्षकों पर अविश्वास क्यों?

शिक्षक संगठन का कहना है कि सरकार शिक्षकों पर भरोसा करने के बजाय हर बार उनके ऊपर नए-नए आदेश थोप देती है। “शिक्षक प्रदेश के भविष्य को गढ़ने का कार्य करते हैं, परीक्षाओं के बेहतर परिणाम दिलाते हैं, बीएलओ की ज़िम्मेदारी निभाते हैं, जनगणना और अन्य सरकारी योजनाओं में भी अहम भूमिका निभाते हैं। बावजूद इसके सिर्फ शिक्षकों की उपस्थिति ऑनलाइन करना बाकी विभागों की तुलना में भेदभावपूर्ण और अपमानजनक है,” संगठन अध्यक्ष ने कहा।

शिक्षक संगठन की सरकार से मांग

शिक्षक संगठन ने दो टूक कहा कि अगर सरकार को सभी कर्मचारियों की उपस्थिति पर नियंत्रण चाहिए तो सभी विभागों के लिए एक जैसी व्यवस्था लागू की जाए। केवल शिक्षकों के लिए ऑनलाइन उपस्थिति अनिवार्य करना अमानवीय है।

संगठन का ऐलान

शिक्षक संगठन ने सरकार से इस आदेश को तुरंत वापस लेने की मांग की है। संगठन ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने शिक्षकों की समस्याओं पर विचार नहीं किया और आदेश वापस नहीं लिया तो संगठन इस फैसले का खुलकर विरोध करेगा।

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