Dindori Corruption News,डिंडौरी। एक ओर केंद्र और राज्य सरकारें गांवों के सर्वांगीण विकास के लिए ग्राम पंचायतों को करोड़ों की राशि आवंटित कर बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करती हैं, वहीं दूसरी ओर आदिवासी बाहुल्य डिंडौरी जिले में कई पंचायतें इन निर्देशों को दरकिनार कर शासन की मंशा पर पानी फेरने में लगी हैं। ताजा मामला मेहंदवानी जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत राघोपुर का है, जहां सरपंच गंधु सिंह पट्टा और सचिव गोपी परस्ते द्वारा शासन के निर्देशों के विपरीत पेयजल परिवहन के नाम पर लाखों रुपए खर्च किए जाने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पंचायत द्वारा 15वें एवं 5वें वित्त आयोग से प्राप्त राशि का बिना ग्राम विकास कार्ययोजना (GPDP) के उपयोग किया गया। सूत्र बताते हैं कि पंचायत ने बोगस बिलों और गैर अनुमत्य कार्यों के नाम पर 3 से 4 लाख रुपए तक का भुगतान किया। वहीं जनपद पंचायत स्तर पर बैठे जिम्मेदार अधिकारी इस पूरे प्रकरण पर पर्दा डालने में जुटे हुए हैं।
दिशा-निर्देशों को दरकिनार कर पेयजल परिवहन में लाखों खर्च
पंचायत राज संचालनालय, मध्यप्रदेश द्वारा 05 जुलाई 2022 को जारी दिशा-निर्देशों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पेयजल परिवहन और मुर्मिकरण कार्य गैर अनुमत्य श्रेणी में आते हैं, जिन पर वित्त आयोग की राशि खर्च नहीं की जा सकती। इसके बावजूद राघोपुर पंचायत ने इन कार्यों में मोटी राशि व्यय की।


पंचायत अभिलेखों के अनुसार, मरावी कंस्ट्रक्शन को ₹54,000, 67200, यादव ट्रेडर्स को ₹51,600, दुर्गा ट्रेडर्स को ₹80,400 सहित अन्य कई फर्मों को बिना अनुमत्य कार्यों के नाम पर भुगतान किया गया।
सीईओ के आदेशों की अनदेखी, लीपापोती में जुटे अफसर
बताया जा रहा है कि कुछ माह पूर्व तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ ने 15वें और 5वें वित्त से किए गए कार्यों की भौतिक सत्यापन रिपोर्ट और उपयोगिता प्रमाणपत्र मांगा था। मगर जनपद पंचायत मेहंदवानी में तैनात अधिकारीयों ने जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया। शिकायतकर्ता द्वारा जब इस मामले को सीएम हेल्पलाइन में दर्ज कराया गया तो जांच अधिकारी ने वित्तीय अनियमितताओं को नजरअंदाज करते हुए सरपंच व सचिव को क्लीनचिट दे दी।

जवाबदेही से बचते दिखे जनपद सीईओ
जब इस संबंध में जनपद पंचायत सीईओ प्रमोद कुमार ओझा से पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो उन्होंने गैर-जिम्मेदाराना रवैया अपनाते हुए पल्ला झाड़ लिया। इससे यह साफ जाहिर होता है कि पंचायतों में व्याप्त भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं पर प्रशासनिक स्तर पर संरक्षण दिया जा रहा है।
जनता में आक्रोश, जांच की मांग तेज
ग्राम पंचायत में हुए इस वित्तीय घोटाले को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि शासन द्वारा भेजी जा रही राशि का लाभ आम जनता तक नहीं पहुंच पा रहा, बल्कि कुछ जिम्मेदारों की जेबें भरने में खर्च हो रहा है। ग्रामीणों ने इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की है।










