मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य डिंडौरी जिले में में निवासरत विशेष संरक्षित पिछड़ी बैगा जनजाति को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए अब तक अरबों खरबों रुपए लुटाए गए हैं लेकिन आज भी बैगाओ की हालत जस की तस बनी हुई है, जबकि इनके हित में योजनाएं क्रियान्वयन करने वाले अधिकारी कर्मचारी आज फर्श से अर्श पर पहुंच चुके हैं ।
बैगा विकास की योजनाओं में किस तरह से भ्रष्टाचार और बंदरबाट का खेल किया जाता रहा है इसकी बानगी पोषण आहार घोटाले में देखी जा सकती हैं।
वर्ष 2013 में संरक्षण सह विकास योजना स्वास्थ्य मद के अंतर्गत बैगा जनजाति की गर्भवती महिलाओं एवं अन्य महिलाओं का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण एवं आवश्यक दवा पोषण आहार का प्रदाय प्रति गांव 5000 रु प्रतिमाह की दर से 12 माह हेतु 29 ग्रामों के लिए 17.40 लाख रुपए की अग्रिम राशि बैंकर्स चैक क्रमांक 51083 दिनांक 14.03.2013 के द्वारा जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग डिंडौरी को प्रदाय किया गया था।
विभागीय अधिकारियों ने बगैर कार्ययोजना के मनमानी पूर्वक 17.40 रु को खुरबुर्द करते हुए बंदरबांट कर लिया था। भ्रष्टाचार और राशि गबन को लेकर पत्रकार चेतराम राजपूत द्वारा शासन प्रशासन सहित उच्च स्तर पर शिकायत की गई थी।
इस संबंध में न्यायालय में दायर परिवाद के अनुसार, योजना के तहत वर्ष 2012-13 में 29 ग्रामों बैगा ग्रामों की महिलाओं को लाभ पहुंचाने हेतु ₹17 लाख 40 हजार की राशि स्वीकृत की गई थी, किंतु संबंधित अधिकारियों द्वारा निर्धारित शर्तों का पालन न करते हुए राशि का उपयोग स्वेच्छानुसार अन्य मदों में किया गया।

योजना के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य परीक्षण, दवा एवं पोषण आहार हेतु दी गई राशि का उपयोग लाभार्थियों तक नहीं पहुंचाया गया। इसके बजाय योजना में गड़बड़ी कर राशि का दुरुपयोग किया गया। इस मामले की शिकायत पहले कलेक्टर, परियोजना अधिकारी एवं संभागायुक्त जबलपुर को दी गई थी। शिकायत के आधार पर अपर कलेक्टर कार्यालय द्वारा की गई जांच में भी यह तथ्य सामने आया कि “उपयोग राशि का व्यय एवं उपयोग संबंधित परियोजना अधिकारियों द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार नहीं किया गया।”
शिकायतकर्ता के अनुसार, मामले की पुष्टि होने के बावजूद किसी भी अधिकारी के विरुद्ध न तो विभागीय कार्रवाई की गई और न ही राशि जारी करने वाले बैगा विकास अभिकरण द्वारा कोई कार्रवाई की गई।
शिकायतकर्ता ने 10 अक्टूबर 2017 को थाना सिटी कोतवाली, डिंडौरी में लिखित आवेदन प्रस्तुत किया, परंतु थाना प्रभारी द्वारा आवेदन लेने से ही इनकार कर दिया गया। बाद में सिटी कोतवाली डिंडौरी को उक्त शिकायत रजिस्टर्ड डाक से भेजी गई, किंतु फिर भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की ।

पत्रकार चेतराम राजपूत द्वारा जुलाई 2018 में माननीय न्यायालय में साक्ष्यों सहित परिवाद पेश कर विभागीय अधिकारियों के विरुद्ध आरोप लगाया था कि राज्य सरकार की योजनाओं का धन अपने निजी लाभ के लिए दुरुपयोग किया है, जो भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी, 403, 406, 408, 409, 420, 464, 467, 468, 471, 34 के तहत दंडनीय अपराध है। अधिवक्ता गम्भीरदास महंत द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत परिवाद में न्यायालय से प्रार्थना की गई है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध अपराध दर्ज कर दंडात्मक कार्रवाई की जाए।

– कार्यक्रम और परियोजना अधिकारियों ने किया बंदरबांट
2013 में बैगा विकास अभिकरण द्वारा जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग डिंडौरी को 17.40 लाख रुपए जारी करते हुए तत्काल कार्ययोजना प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे लेकिन विभागीय अधिकारियों ने 29 गांवों की बजाय सभी विकास खंडों के 202 गांव के नाम परियोजना कार्यालयों को राशि पुनर्वितरण कर दिया और बगैर कार्ययोजना तैयार किए ही जारी राशि का उपयोगिता और पूर्णता प्रमाण पत्र जारी कर दिया। परियोजना अधिकारियों ने सोन पापड़ी, मूंगफली के नाम पर पैसे निकाले तो वहीं बजाग़ और डिंडौरी परियोजना कार्यालय में योजना से जुड़े कोई दस्तावेज ही नहीं मिले। डिंडौरी परियोजना अधिकारी गिरीश बिल्लौरे को 34 गांव 270000 रु, उदयवती तेकाम शहपुरा को 19 गांव 95000 हजार रुपए, मेहनद्वानी उदयवती तेकाम को 37 गांव हेतु 185000, अमरपुर त्रिलोक सिंह भवेदी को38 गांव हेतु 190000 रु, समनापुर खिल्ली नेति को 28 गांव हेतु 410000 रु, करंजिया नीतू तिलगाम को 23 गांव हेतु 230000, रु, बजाग मनमोहन कुशराम को 23 गांव हेतु 360000 लाख रुपए जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग डिंडौरी द्वारा दिनांक 04/04/2013 को जारी किया गया था।

कार्यक्रम अधिकारी सहित 07 परियोजना अधिकारियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी डिंडौरी श्रीमती कमला उईके द्वारा परिवाद पर तर्क श्रवण कर दस्तावेजों के अवलोकन किया गया। प्रकरण में प्रस्तुत दस्तावेजों एवं प्रारंभिक साक्ष्य के अवलोकन से अभियुक्तगण के विरुद्ध प्रथम दृष्टया धारा 420/34 भादवि के तहत संज्ञान लेने जाने हेतु पर्याप्त आधार विद्यमान होने की स्थिति में परिवाद पत्र धारा 420/34 भादवि के तहत पंजीबद्ध किया जाने का आदेश पारित किया गया है। तत्कालीन कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती कल्पना तिवारी, परियोजना अधिकारी शहपुरा श्रीमती उदयवती तेकाम, तत्कालीन डिंडौरी परियोजना अधिकारी श्री गिरीश बिल्लौरे, तत्कालीन बजाग परियोजना अधिकारी श्री मनमोहन कुशराम, तत्कालीन परियोजना अधिकारी करंजिया श्रीमती नीतू तिलगाम, तत्कालीन परियोजना अधिकारी मेहंदवानी उदयवती तेकाम, तत्कालीन परियोजना अधिकारी समनापुर श्रीमती खिल्ली नेति एवं परियोजना अधिकारी अमरपुर त्रिलोक सिंह भवेदी के विरुद्ध माननीय न्यायालय द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (Code of Criminal Procedure, 1973) 120B, 403, 406, 408, 409, 420, 464, 467, 468, 471, 34,भादवि के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया है। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी डिंडौरी श्रीमती कमला उईके द्वारा अभियुक्तों की उपस्थिति हेतु 29/12/2025 नियत करते हुए उपस्थिति हेतु सूचना पत्र जारी की गई है।








