– बजाग जनपद की परसवाह पंचायत में वित्तीय अनियमितता का खुला खेल, जिम्मेदार मौन
डिंडौरी न्यूज़ | जिले के जनपद पंचायत बजाग अंतर्गत ग्राम पंचायत परसवाह से एक गंभीर वित्तीय अनियमितता का मामला सामने आया है, जहां शासन द्वारा छोटे बच्चों के लिए स्वीकृत आंगनबाड़ी भवन की राशि का जमकर दुरुपयोग किया गया है। मामला बेहद चौंकाने वाला है क्योंकि यहां भवन की नींव रखने से 7 महीने पहले ही लाखों रुपये आहरित कर लिए गए, लेकिन जमीनी स्तर पर एक भी ईंट नहीं रखी गई।
जानकारी के अनुसार, वर्ष 2022 में पुचछाटोला में एक नए आंगनबाड़ी केंद्र के निर्माण के लिए 11 लाख रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति मिली थी। इस केंद्र का उद्देश्य छोटे बच्चों को सुरक्षित और सुविधाजनक शिक्षा और पोषण का वातावरण उपलब्ध कराना था। परंतु तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी भवन निर्माण की शुरुआत तक नहीं हुई।
चौंकाने वाली बात यह है कि जनवरी 2025 में ग्राम पंचायत परसवाह के सरपंच और सचिव द्वारा इस योजना की राशि में से साढ़े तीन लाख रुपये निकाल लिए गए, जबकि ज़मीन पर कोई कार्य शुरू नहीं हुआ। यह राशि निजी स्वार्थ में खर्च कर ली गई है, जिसका कोई हिसाब नहीं है। बच्चों के लिए जो भवन बनना था, वह आज भी सपना बना हुआ है, और बच्चे अब भी किराए के जर्जर भवन में पढ़ाई करने को मजबूर हैं।
सूत्रों के अनुसार, एकीकृत बाल विकास परियोजना (ICDS) द्वारा ग्राम पंचायत को कई बार पत्र भेजे गए और निर्माण कार्य शीघ्र शुरू करने के निर्देश दिए गए, पर हर बार पंचायत की ओर से या तो टालमटोल किया गया या कोई उत्तर नहीं दिया गया।
– न सिर्फ लापरवाही, बल्कि खुला भ्रष्टाचार
यह मामला केवल लापरवाही का नहीं बल्कि योजनाबद्ध भ्रष्टाचार का प्रतीक बन चुका है, जिसमें ग्राम के ही जनप्रतिनिधियों ने अपने कर्तव्यों से मुँह मोड़ते हुए बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। विभागीय अधिकारी भी मूकदर्शक बने बैठे हैं, जिससे साफ है कि इस लापरवाही और घोटाले को कहीं न कहीं संरक्षण प्राप्त है।
– प्रशासन की निष्क्रियता ने खोली व्यवस्था की पोल
सवाल यह उठता है कि आखिर शासन-प्रशासन कब तक इन मामलों को अनदेखा करता रहेगा? यदि बच्चों के लिए स्वीकृत राशि तक को सुरक्षित नहीं रखा जा सकता, तो शासन की योजनाएं आखिर किसके लिए हैं? ग्राम पंचायत परसवाह में भ्रष्टाचार अब आम बात हो गई है, और यह मामला उसकी एक बानगी मात्र है।
आवश्यक है कठोर कार्रवाई
अब यह देखना होगा कि जिला प्रशासन इस गंभीर वित्तीय अनियमितता पर क्या रुख अपनाता है। यदि जल्द कठोर कार्रवाई नहीं की गई तो यह न केवल भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद करेगा, बल्कि भविष्य की कई योजनाओं की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठेंगे।