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नियमों की धज्जियां : सरपंच और सचिव ने पंचायत की राशि से भरे अपने और अपनों के बैंक खाते

akvlive.in

Published

– सरपंच—सचिव की जुगलबंदी से फर्जी बिलों और निजी खातों में हुआ लाखों का भुगतान…

– जनपद पंचायत डिंडौरी अंतर्गत ग्राम पंचायत धमनगांव का मामला

डिंडौरी न्यूज़ | इन दिनों जनपद पंचायत डिंडौरी अंतर्गत ग्राम पंचायतों में के वित्तीय अनियमितताओं का मामला चरम सीमा पर पहुंच चुका है। ताजा मामला ग्राम पंचायत धमनगांव का आया है जहां सरपंच रचना परस्ते और सचिव छूनीलाल ग्वाले पर आरोप है कि दोनों ने आपसी सांठगांठ कर ग्राम पंचायत को मिली राज्य एवं केंद्रीय वित्तीय सहायता की राशि को फर्जी तरीके से हड़प लिया।

ई ग्राम स्वराज पोर्टल से अलग-अलग वर्क आईडी से किए गए भुगतान और सूत्रों के अनुसार, पंचायत में वर्ष 2023-24, 2024-25 और 2025-26 के दौरान 15वें वित्त आयोग की मद से प्राप्त लाखों रुपए का भुगतान संदिग्ध रूप से किया गया है। यह भुगतान कथित रूप से “सेर-सपाटा”, अन्य व्ययों और फर्जी फर्मों के नाम पर किया गया, जिसमें खुद सरपंच और सचिव के खाते तक लाभ पहुंचा है।

जबकि सरपंच और सचिव पंचायत की राशि को अपने व्यक्तिगत खाते में ट्रांसफर नहीं कर सकते – ऐसा करना पूरी तरह से अवैध और भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है। इसके पीछे स्पष्ट नियम और कानून हैं जो पंचायत राज व्यवस्था को पारदर्शी और जवाबदेह बनाए रखने के लिए बनाए गए हैं।

पंचायत की राशि का उपयोग ग्राम विकास, जन कल्याण, निर्धारित योजनाओं और निर्धारित खातों से ही हो सकता है। व्यक्तिगत खाते में ट्रांसफर करना, पंचायत निधि का गैर-कानूनी उपयोग माना जाता है।

बता दें कि शासन द्वारा 15वें वित्त की राशि के उपयोग के लिए स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं, जिनमें पारदर्शिता, प्रयोजन का निर्धारण, गसही बिल दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। लेकिन धमनगांव पंचायत में इन सभी नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गईं।

फर्जी बिल, अमान्य फोटो और बिना प्रयोजन कार्यों के नाम पर लाखों का भुगतान कर दिया गया। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कई भुगतान सरपंच और सचिव की खातों में सीधे भुगतान किया गए हैं।

जबकि 15वें वित्त आयोग के तहत पंचायतों को प्राप्त राशि का 60:40 अनुपात में विभाजन कर स्वच्छता (30%), शिक्षा (30%) और अधोसंरचना (40%) पर खर्च करना अनिवार्य है। यह खर्च जीपीडीपी (ग्राम पंचायत विकास योजना) के अनुसार ग्रामसभा की अनुमति के बाद ही होना चाहिए, लेकिन धमनगांव में यह योजना केवल कागजों पर दिख रही है — असल में राशि का उपयोग मनमानी और भ्रष्टाचार के लिए किया गया।

5वें वित्त की राशि भी नहीं बची…

बता दें कि यह घोटाला सिर्फ 15वें वित्त तक ही सीमित नहीं है, सरपंच,सचिव के द्वारा पंचायत को में मिली 5वें वित्त की राशि का भी दुरुपयोग किया गया। वहां भी बिना किसी योजना मनमाने भुगतान किए गए, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पंचायत में भ्रष्टाचार एक सुनियोजित प्रक्रिया बन चुकी है।

वही इस पूरे मामले को लेकर स्थानीय ग्रामीणों ने उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि पूरे भुगतान और दस्तावेजों की निष्पक्ष जांच की जाए तो लाखों करोड़ों के घोटाले का खुलासा हो सकता है।

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