डिंडौरी न्यूज । जिले की सरकारी स्कूलों में एक ओर जहां शिक्षक विहीनता शिक्षा व्यवस्था को कमजोर कर रही है, वहीं दूसरी ओर कुछ रसूखदार शिक्षक अपने जुगाड़ और प्रभाव से व्यवस्था को चकमा देते हुए पद और विषय के विरुद्ध संलग्नीकरण करवाकर नियमों की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं। कलेक्टर नेहा मारव्या द्वारा जिले के सभी शासकीय स्कूलों से संलग्न शिक्षकों की सूची मंगाने के निर्देश दिए गए थे। इसके तहत सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग द्वारा विकासखंड शिक्षा अधिकारियों से संलग्नीकरण की विस्तृत जानकारी मांगी गई थी, जिससे रिक्त पदों पर युक्तियुक्त पदस्थापना संभव हो सके। लेकिन इस प्रक्रिया में भी “मैनेजमेंट” और “सांठगांठ” की बू साफ महसूस हो रही है।
सूची से नाम गायब, नियमों की अनदेखी
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार कई शिक्षकों ने बीईओ (विकासखंड शिक्षा अधिकारी) कार्यालय से सांठगांठ कर अपनी जानकारी सूची से ही गायब करवा दी। ये शिक्षक अभी भी उन्हीं स्कूलों में डटे हुए हैं जहाँ पर उन्हें नियम विरुद्ध तरीके से संलग्न किया गया था।
प्राचीन डिंडौरी का मामला चर्चा में
जिला मुख्यालय के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय प्राचीन डिंडोरी में वर्ष 2018 से एक ऐसा ही मामला लगातार नजर आ रहा है। 21 अगस्त 2018 को सहायक आयुक्त जनजाति विभाग द्वारा गोकुल प्रसाद पतोहिया, जो कि गणित विषय के शिक्षक हैं, को कृषि संकाय पढ़ाने हेतु पद और विषय के विरुद्ध इस विद्यालय में संलग्न किया गया। हैरानी की बात ये है कि उस विद्यालय में पहले से ही गणित विषय का शिक्षक पदस्थ था।
इतना ही नहीं, दिनांक 31 अगस्त 2021 को गोकुल पतोहिया ने अपने रसूख का उपयोग करते हुए अपनी पत्नी श्रीमती अंजुलता पतोहिया, जो कि विज्ञान विषय की माध्यमिक शिक्षक हैं और उस समय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कूड़ा में पदस्थ थीं, उन्हें भी नियमों को ताक पर रखते हुए प्राचीन डिंडोरी विद्यालय में कृषि संकाय के लिए संलग्न करा लिया। आदेश में स्वयं यह स्पष्ट किया गया कि यह संलग्नीकरण विषय के विरुद्ध है।
ट्रांसफर-पोस्टिंग बना धंधा?
यह मामला इस ओर इशारा करता है कि कुछ अधिकारी संभवतः पैसे लेकर ट्रांसफर और पोस्टिंग को ‘दुकान’ की तरह चला रहे हैं। जब जिला प्रशासन और विभाग प्रमुख खुद संलग्निकरण और अतिशेष शिक्षकों की सूची मंगाते हैं, तब भी ऐसी सूची में हेराफेरी कर ली जाती है।
बीईओ कार्यालय की भूमिका संदेह के घेरे में
जानकारी देने के बावजूद संकुल प्राचार्य कार्यालय से प्राप्त आंकड़े बीईओ कार्यालय में जाकर अचानक बदल जाते हैं। सूची से नाम गायब हो जाना यह दर्शाता है कि संलग्नीकरण की पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है और कुछ बीईओ खुद भी इन मामलों में ‘जुड़े हुए’ प्रतीत हो रहे हैं।
जरूरत है सख्त जांच की
इस पूरे मामले में अब जिला प्रशासन से अपेक्षा की जा रही है कि वह न केवल इन संलग्न शिक्षकों की समीक्षा करे, बल्कि संबंधित अधिकारियों की भी जांच कर उचित कार्रवाई सुनिश्चित करे। नियम विरुद्ध संलग्नीकरण शिक्षा व्यवस्था को अंदर से खोखला कर रहा है और इसका खामियाज़ा अंततः विद्यार्थियों को भुगतना पड़ता है।