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हैप्पी सीडर से गेंहू की बुवाई के लिये किसानों को किया जा रहा प्रेरित

akvlive.in

Published

डिंडौरी, 20  नवम्बर 2024 |  वर्तमान में रबी वर्ष 2024-25 में बुवाई का कार्य प्रारंभ है एवं आधुनिक खेती में कृषि यंत्रों के बढ़ते महत्व को देखते हुए नवीन कृषि यंत्र विकसित किये जा रहे है। जिससे कृषक कम समय एवं लागत से अपनी आय बढ़ा सकते है। धान की पराली जलाने से वातावरण एवं मृदा को हानि होती है। जिससे मृदा में उपस्थित लाभदायक पोषक तत्व नष्ट हो जाते है। उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है। गेंहू की बुवाई के लिये कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त करने एवं आय बढ़ाने में हैप्पी सीडर मशीन सहायक है। इससे धान की पराली जलाने से छुटकारा मिलता है। पराली और डन्ठल के सड़ने से खेत में जैविक खाद की कमी पूरी हो जाती है। हैप्पी सीडर गेंहू की बुवाई करने वाली एक ऐसी मशीन है जो धान के डन्ठल को काटती एवं उखाडती है साथ ही साफ की गयी मिट्टी में गेंहू के बीज और खाद को एक साथ नालियों में डाल देती है। इससे मिट्टी की संरचना में सुधार के साथ मृदा अपरदन नियंत्रित होता है एवं मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि होती है।

 

हैप्पी सीडर से बुवाई के लाभ

   फसल अवशेष प्रबंधन एवं बुवाई का कार्य एक साथ किया जा सकता है। बुवाई के समय होने वाली सिंचाई की बचत तथा कटी नरवाई से मलचिंग होने से नमी का संरक्षण एवं खेत में खरपतवार की समस्या कम होती है जिससे फसल उत्पादन में वृद्धि होने के साथ साथ समय एवं श्रम की बचत होती है।

हैप्पी सीडर मशीन से ऐसे करें बुवाई

  हैप्पी सीडर मशीन रोटर एवं जीरो ड्रिल मशीन को मिलाकर तैयार किया गया बुवाई के काम के लिये उपयोगी कृषि यंत्र है। इसमें ब्लेड का एक लाईन लगा हुआ होता है, जो खेत में नरबाई को कटाने का कार्य करता है। इस नशीन में दो बॉक्स लगे होते है जिसमें एक में खाद एवं दूसरे में बीज रखे जाते हैं। इस मशीन में बीज की गहराई को कम या अधिक किया जा सकता है। इससे गेंहू के अलावा चना, मटर एवं मसूर की बुवाई भी की जा सकती है।

     विकासखण्ड शहपुरा में ग्राम मुड़की में कृषक श्री राममिलन साहू के एकड़ खेत में एवं ग्राम शहपुरा के कृषक श्री हेतराम साहू के एकड़ खेत में हैप्पी सीडर द्वारा गेंहू की बुवाई की गयी है। ग्राम करौंदी, सुहगी, चरगांव, बिलगाव, बरगांव, बरोदी एवं पडरिया में भी गेहू की बुवाई का कार्य किया जाना है। हैप्पी सीडर की सहायता से फसलों के अवशेषों को खेत में ही उपयोग कर फसल अवशेष प्रबंधन / नरवाई प्रबंधन एवं बुवाई करने हेतु जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम का आयोजन कर कृषकों को प्रशिक्षण प्रदाय करते हुए जागरूक किया गया। उक्त प्रशिक्षण में वारलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया (बीसा) जबलपुर के प्रतिनिधि, विकासखण्ड स्तरीय अधिकारी एवं कृषकगण उपस्थित रहे।

 

 

 

Chetram Rajpoot

वर्ष 2010 से जमीनी स्तर पर खोजी पत्रकारिता कर रहे हैं, भेदभाव से परे न्याय, समानता, भाईचारा के बुनियादी उसूलों के साथ समाज के अंतिम व्यक्ति की आवाज शासन - प्रशासन तक पहुंचाने प्रतिबद्ध हैं।

Chetram Rajpoot

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