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Dindori News : एससी/एसटी एक्ट और छेड़छाड़ मामलें में लोक सिंह दुर्वासा दोषमुक्त,विशेष न्यायाधीश का फ़ैसला… नारायण के कहने पर दर्ज कराई थी FIR…?
- फरियादी ने नारायण के कहने पर अभियुक्त के खिलाफ दर्ज कराई थी मामला - अपराध दर्ज होने के तीन दिन बाद फरियादी ने अभियुक्त के विरूध्द की गई रिपोर्ट वापस लेने एसपी के समक्ष प्रस्तुत किया था आवेदन
डिंडौरी न्यूज़। कोतवाली थाना डिंडौरी में आरोपी लोक सिंह दुर्वासा निवासी ग्राम कुकर्रामठ के विरुध्द पीड़िता के शिकायत पर दिनाँक 03/03/2020 को अपराध क्रमांक 159/ 2020 भादवि की धारा 354, 354 ए (1)(i ) एवं अनुसूचित जाति/ जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा 3(1)(w)(i),3(2)(va) के तहत मामला दर्ज किया गया था। पुलिस ने आरोपी को दिनाँक 19/06/2020 को गिरफ्तार जेल भेजा था, जिसे हाईकोर्ट के जमानती आदेश पर दिनाँक 27/06/2020 को रिहा किया गया था। मामले की सुनवाई करते हुए विशेष न्यायाधीश अजा/अजजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम डिंडौरी न्यायाधीश नीना आशापूरे ने मामलें में आये तथ्यों को देखते हुए आरोपी को उक्त मामलें में दोषमुक्त करने का आदेश पारित किया है।
– यह है पूरा मामला, आखिर कौन हैं नारायण….?
विशेष न्यायाधीश अत्याचार निवारण अधिनियम के समक्ष फरियादी ने कथन किये हैं कि घटना दिनांक की शाम 7 बजे वह अपने घर के सामने मैदान में शौच के लिए गई थी। एक आदमी मोटरसाइकिल से आया और दो आदमी पीछे से आ रहे थे, जिन्हें उसने चिल्लाई थी। अन्धेरा हो गया था, इसलिए वह उस व्यक्ति को नहीं देख पाई थी। इतने में वह व्यक्ति वहाँ से भाग गया था। नारायण नाम के व्यक्ति ने उसे बताया था कि वह व्यक्ति लोकसिंह था। किन्तु घटना के समय मौके से भागा हुआ व्यक्ति अभियुक्त लोकसिंह था, यह उसने नहीं देखा था। उस व्यक्ति ने उसका हाथ पकड़ लिया था, जिससे उसकी चूड़ी फूट गई थी। उसने आवेदन देकर घटना की रिपोर्ट की थी, जिसके आधार पर प्रथम सूचना रिपोर्ट लेख की गई थी। साक्षी को पक्षद्रोही घोषित कर परीक्षित किये जाने पर उसने अभियोजन मामले अनुसार अभियुक्त द्वारा उसके साथ कथित घटना किये जाने एवं का पुलिस कथन दिये जाने से इंकार किया है। प्रतिपरीक्षण में फरियादी ने स्पष्ट रूप से यह स्वीकार किया है कि उसके द्वारा रिपोर्ट करने के 3 दिन बाद उसने एस.पी. डिण्डौरी को आवेदनपत्र देकर यह निवेदन किया था कि अभियुक्त ने उसके साथ कुछ नहीं किया है, वह अपनी रिपोर्ट वापस लेना चाहती है। नारायण ने उसे अभियुक्त का नाम गलत बता दिया था।
फरियादी के पति ने पेश होकर कथन किये हैं कि घटना के समय मौके से चिल्लाने की आवाज सुनकर वह दौडकर मैदान की तरफ गया, तब उसकी पत्नि ने उसे बताया था कि एक आदमी उसका हाथ पकड़कर उसे मोटरसाइकिल में बैठा रहा था। पीछे से 2 आदमी दीपा और नारायण आ रहे थे, जिनमें से नारायण ने उसे बताया था कि वह व्यक्ति लोकसिंह राठौर था, तब उसकी पत्नि ने आवेदनपत्र देकर थाना डिण्डौरी में घटना की रिपोर्ट की थी। इस साक्षी को पक्षद्रोही घोषित कर परीक्षित किये जाने पर उसने अभियुक्त द्वारा उसकी पत्नि के साथ कथित घटना किये जाने और पुलिस कथन दिये जाने से इंकार किया है। प्रतिपरीक्षण में इस साक्षी ने यह स्वीकार किया है कि नारायण के कहने पर उसकी पत्नी ने अभियुक्त के नाम रिपोर्ट दर्ज कर दी थी।
– विशेष न्यायाधीश अत्याचार निवारण ने किया दोषमुक्त
मामलें में फरियादी फरियादी एवं घटना के चक्षुदर्शी साक्षी दोनों ने अभियोजन मामले का समर्थन नहीं किया है। उक्त दोनों साक्षीगण को पक्षद्रोही घोषित कर परीक्षित किये जाने पर भी उन्होंने अभियुक्त के विरूद्ध कोई कथन नहीं किये हैं। चिकित्सकीय साक्ष्य से भी फरियादी के साथ कथित घटना होने की पुष्टि नहीं हुई है। साक्ष्य के अभाव में अभियुक्त के विरूद्ध आरोपित आरोप प्रमाणित नहीं होते हैं। मामले की सुनवाई करते हुए दिनाँक 16/10/2024 को विशेष न्यायधीश नीना आशापुरे द्वारा आदेश पारित कर अभियुक्त के विरूद्ध आरोपित आरोप प्रमाणित नहीं होने से अभियुक्त लोकसिंह पिता पुहुपसिंह दुर्वासा, उम्र 42 वर्ष, निवासी ग्राम कुकर्रामठ थाना डिंडौरी, जिला डिण्डौरी (म.प्र.) को धारा 354 भा.दं. सं. एवं धारा 3(1) (w) (i). 3 (2) (va) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के आरोप में दोषमुक्त किया गया है।