मध्यप्रदेश के डिंडौरी जिले की किसलपुरी ग्राम पंचायत के पोषक ग्राम बनवासी टोला के ग्रामीणों ने शिक्षा की महत्ता को समझते हुए अद्भुत मिसाल पेश की है। जब उनकी फरियाद प्रशासन और जिम्मेदारों तक पहुंचकर भी अनसुनी रह गई, तो उन्होंने ठान लिया कि अपने बच्चों के भविष्य से समझौता नहीं करेंगे। यही वजह रही कि ग्रामीणों ने न केवल चंदा इकट्ठा किया बल्कि श्रमदान भी शुरू कर दिया और अपने पैसों से स्कूल भवन का निर्माण आरंभ कर दिया।
जर्जर भवन से शुरू हुई परेशानी
बनवासी टोला का पुराना स्कूल भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका था। हालात इतने खतरनाक थे कि बच्चों की पढ़ाई के दौरान किसी बड़ी दुर्घटना का खतरा बना रहता। लगभग एक माह पूर्व जिलाप्रशासन के आदेश पर उस भवन को ध्वस्त कर दिया गया, लेकिन नए भवन की कोई व्यवस्था नहीं की गई।
अस्थायी इंतज़ाम भी नाकाफी
भवन गिराए जाने के बाद पहले तो ग्रामीणों ने अपने बच्चों की पढ़ाई एक घर में शुरू की। बाद में उन्हें मजबूरीवश दो किलोमीटर दूर एक पुराने भवन में शिफ्ट करना पड़ा। लेकिन उस भवन की हालत भी बेहद खराब और बच्चों के अनुकूल नहीं थी। कई बार अधिकारियों से गुहार लगाई गई, मगर समाधान नहीं मिला।
बच्चों के भविष्य की खातिर ग्रामीणों का संकल्प
समस्या का समाधान न देखकर ग्रामीणों ने खुद जिम्मेदारी उठाने का फैसला किया। गांव के हर परिवार से दो-दो हजार रुपये का चंदा इकट्ठा किया गया। इसके बाद महिलाएं, युवा, बच्चे और बुजुर्ग सभी ने मिलकर श्रमदान शुरू कर दिया।
ईंट-पत्थर ही नहीं, उम्मीदों का निर्माण
फिलहाल लगभग 65 बच्चों की पढ़ाई जारी है और नए भवन का निर्माण तेजी से आगे बढ़ रहा है। ग्रामीणों की यह पहल सिर्फ ईंट-पत्थर जोड़ने का काम नहीं है, बल्कि यह उनके बच्चों के उज्ज्वल भविष्य को गढ़ने की जद्दोजहद है।
ग्रामीणों का मानना है कि जब तक शासन-प्रशासन पहल नहीं करता, तब तक वे खुद अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की लड़ाई लड़ते रहेंगे। बनवासी टोला के लोगों की यह कोशिश पूरे जिले ही नहीं, पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है।
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