– कंचनपुर पंचायत में करोड़ों का भ्रष्टाचार उजागर, सरपंच-सचिव पर आरोप
– पहले भी पकड़ी गई गड़बड़ी, फिर भी जारी अनियमितता
मध्यप्रदेश के डिंडौरी जिले की ग्राम पंचायत कंचनपुर में बड़ा घोटाला सामने आया है, आरोप है कि मनरेगा और 15वें वित्त की राशि में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का मामला सामने आया है। ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने सरपंच, सचिव और उपयंत्री पर भ्रष्टाचार व फर्जी बिलिंग का आरोप लगाते हुए अनुविभागीय अधिकारी शहपुरा को ज्ञापन सौंपा है। शिकायत की प्रतियां कमीश्नर जबलपुर, कलेक्टर डिण्डौरी, जिला पंचायत सीईओ और जनपद पंचायत सीईओ शहपुरा को भी भेजी गई हैं।
– पहले भी पकड़ी गई गड़बड़ी, फिर भी जारी अनियमितता
पूर्व में भी कंचनपुर पंचायत के सरपंच और सचिव पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे। जांच के बाद दोषी पाए जाने पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला डिण्डौरी ने 1 अगस्त 2025 को आदेश जारी कर दोनों से ₹5.57 लाख की वसूली का निर्देश दिया था। बावजूद इसके, ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच और सचिव ने उपयंत्री की मिलीभगत से पंचायत की राशि का दुरुपयोग जारी रखा।
– फर्जी बिल और घटिया निर्माण के आरोप
ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि नाला विस्तार के नाम पर फर्जी बिल लगाकर लाखों रुपए आहरित किए गए। स्टाम्प डेम को स्वीकृत स्थान के बजाय अनुपयोगी जगह पर बनाया गया, जिसमें गलत मूल्यांकन कर करोड़ों का नुकसान पहुंचाया गया। कंचनपुर में पहले से बने ग्रेवल कार्य को कागजों में नया दर्शाकर पुनः भुगतान करवा लिया गया। डुण्डीसाई के बैगा मोहल्ला में पुलिया निर्माण में घटिया काम कराकर करीब नौ लाख रुपए निकाल लिए गए।
– तालाब निर्माण में भारी गड़बड़ी
शिकायत में कहा गया है कि राजेंद्र आर्मों नामक कर्मचारी को पद से हटाए जाने के बाद भी तालाब निर्माण कार्य में भुगतान किया गया। कंचनपुर में शमशान घाट क्षेत्र में निजी भूमि पर पच्चीस लाख रुपए की लागत से तालाब बनाया गया, लेकिन यह पानी में डूबकर अनुपयोगी साबित हुआ। डुण्डीसरी गांव में भी वन विभाग की भूमि पर बिना अनुमति तालाब का निर्माण कराया गया, जिसकी लागत पच्चीस लाख रुपए बताई जाती है, परंतु यह अधूरा और मानकविहीन है।
– 15वें वित्त की राशि का दुरुपयोग
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया है कि सरपंच और सचिव ने 15वीं वित्त आयोग की राशि का दुरुपयोग किया है। बैनर, ग्लास और स्टेशनरी जैसे खर्चों के नाम पर हजारों रुपए सीधे अपने खातों में ट्रांसफर कर लिए गए।
– ग्रामसभा नहीं, पारदर्शिता पर सवाल
ग्रामीणों का कहना है कि 15 अगस्त से अब तक पंचायत में ग्रामसभा आयोजित नहीं हुई। ग्रामसभा न होने से पारदर्शिता पूरी तरह समाप्त हो गई है और पंचायत प्रतिनिधि मनमानी कर रहे हैं।
– ग्रामीणों ने की सख्त कार्रवाई की मांग
ग्रामीणों ने मांग की है कि सभी संदिग्ध कार्यों के बिल भुगतान पर तत्काल रोक लगाई जाए। हल्का पटवारी की मौजूदगी में स्थल निरीक्षण कर जांच कराई जाए और दोषी सरपंच, सचिव तथा उपयंत्री पर कठोर कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में पंचायतों में भ्रष्टाचार पर रोक लग सके।