होमराज्यमध्यप्रदेशछत्तीसगढ़़क्राइम न्यूजइंटरनेशनल न्यूजकोर्ट न्यूजराजनीतिसंसदीयसंपादकीयअर्थ जगतहेल्थशिक्षाखेल विज्ञान

डिंडौरी SP कार्यालय पर सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग का आरोप, CM व DGP से उच्चस्तरीय जांच की मांग

akvlive.in

Published

– नियमों की खुलेआम धज्जियां, निजी व्यक्तियों को सरकारी सुविधाएं, बाबुओं की मिलीभगत उजागर

डिंडौरी न्यूज़ । जिले के पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पदस्थ अधिकारी/कर्मचारियों द्वारा भारी भ्रष्टाचार और अनियमितता किए जाने की गंभीर आरोप लगाते हुए शिकायतकर्ता दीपक ठाकुर ने सीएम डॉक्टर मोहन यादव, कैलाश मकवाना डीजीपी मध्यप्रदेश, आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ मध्यप्रदेश, आईजी बालाघाट सहित अन्य को तथ्यात्मक शिकायती पत्र प्रेषित कर उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की मांग की है। शिकायतकर्ता ने 05 बिंदुओं में विभिन्न आरोप लगाते हुए कार्यवाही किए जाने की मांग की है। गंभीर आरोपो की दस्तावेजी साक्ष्यों सहित शिकायत मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को भेजी गई है, जिसमें पुलिस विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर शासकीय धन, आवास और वाहनों के दुरुपयोग सहित नियमविरुद्ध कार्यों में लिप्त होने के आरोप लगाए गए हैं। प्रकरण की संवेदनशीलता और गंभीरता को देखते हुए शिकायतकर्ता ने उच्च स्तरीय जांच की मांग भी जिले के बाहर के वरिष्ठ अधिकारियों से कराए जाने की मांग की गई है।

– जी-टाइप शासकीय आवासों में भारी गड़बड़ी

पुलिस लाइन डिंडौरी में बने 48 अराजपत्रित (G-Type) आवासों में से अधिकांश आवास नियमों को दरकिनार कर बाबू स्टाफ को आवंटित कर दिए गए। वर्ष 2016 में हुए इस आवंटन में लिपिकीय कर्मचारियों को अधिकारी मानते हुए वरिष्ठता सूची में जबरन शामिल किया गया और ऐसे अधिकारियों को वंचित कर दिया गया, जो वास्तव में इन आवासों के लिए पात्र थे। बाद में वर्ष 2024 में इन्हीं आवासों को एच टाइप घोषित कर, लाइसेंस शुल्क ₹600 से घटाकर ₹300 कर दिया गया, और अंतर की राशि ₹2,04,600 बाबू स्टाफ ने शासन से एरियर के रूप में आहरित कर अपने खातों में जमा कर ली। यह पूरी प्रक्रिया पुलिस मुख्यालय के नियमों और आदेशों के खिलाफ है।

– सरकारी मोटरसाइकिल का निजी उपयोग और ड्राइवर डायरी में हेराफेरी

स्टेनो गीतेन्द्र दांदरे को सरकारी मोटरसाइकिल MP-03-A-4337 वर्ष 2016 में आवंटित की गई थी, जिसे उन्होंने 2024 तक उपयोग किया। परंतु इस दौरान ड्राइवर डायरी में किसी भी प्रकार का रिकॉर्ड नहीं रखा गया। वाहन से लिए गए डीजल-पेट्रोल (POL) का कोई विवरण न होने से यह स्पष्ट होता है कि शासकीय संपत्ति का दुरुपयोग हुआ है। जब इस पर सवाल उठे तो गाड़ी को वापस कर दिया गया, लेकिन डायरी आज तक जमा नहीं की गई।

– निजी व्यक्ति को वाहन, हथियार और POL आबंटित करने का आरोप

तत्कालीन एएसपी जगन्नाथ मरकाम ने न केवल नियमों की धज्जियां उड़ाईं, बल्कि एक निजी व्यक्ति सचिन व्यौहार ,को सरकारी मोटरसाइकिल और डीजल-पेट्रोल (POL) उपलब्ध करवा दिया। आरोप है कि सचिन स्वयं POL प्राप्त कर हस्ताक्षर करता रहा, ड्राइवर डायरी की एंट्री एक विशेष दस्ता के लड़कों से करवाई जाती रही, और वह सरकारी हथियार AK-47 का भी उपयोग करता रहा। इतना ही नहीं, तत्कालीन एएसपी मरकाम के विरुद्ध अजाक डीएसपी के लिए बने सरकारी आवास पर भी कथित रूप से अवैध कब्जा करने का गंभीर आरोप हैं ।

– नियमों की अनदेखी कर अपात्र कर्मचारियों को आवास आवंटन

एक कार्यवाहक सहायक उप निरीक्षक, जो मूलतः प्रधान आरक्षक है, को जी-टाइप आवास दे दिया गया। जबकि पुलिस मुख्यालय के परिपत्र में स्पष्ट प्रावधान है कि ऐसे आवास केवल निरीक्षक और उप निरीक्षक को दिए जा सकते हैं।

– डीजल-पेट्रोल घोटाला, बाजार में सस्ते दामों पर सरकारी POL की बिक्री

रक्षित केन्द्र के एमटी शाखा में एक प्राइवेट व्यक्ति कमलेश ठाकुर के नाम से दर्जनों बार POL जारी किया गया और बाद में वही POL खुले बाजार में कम कीमत पर बेचा गया। कई सरकारी वाहनों जैसे MP-03A-9445, MP-03A-4467, MP-03A-8909 आदि की डायरी फर्जी तरीके से भरकर खर्च दर्शाया गया। हस्ताक्षर भी कमलेश ठाकुर के पाए गए हैं।

– निष्पक्ष जांच की मांग, जिले से बाहर के अधिकारियों की जांच पर जोर

शिकायतकर्ता ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि समस्त संबंधित शाखाओं से दस्तावेजों को तत्काल प्रभाव से जप्त कर, डीआईजी स्तर के अधिकारियों से जांच करवाई जाए। साथ ही, यह भी स्पष्ट किया गया है कि जांच किसी भी हाल में डिंडौरी जिले के अधिकारियों से नहीं करवाई जाए, ताकि निष्पक्षता बनी रहे।