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बंदरों के कलेजा निकालने प्रयासरत शिकारियों की जमानत खारिज,न्यायालय ने भेजा जेल

akvlive.in

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– वन्यजीव हत्या की मंशा , हथियार बरामद , आरोपियों की नीयत उजागर

डिंडौरी न्यूज़। वन्यजीव संरक्षण को लेकर डिंडौरी में न्यायालय ने कठोर रुख अपनाते हुए दो आरोपियों की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया। आरोपियों पर बंदरों को बेहोश कर मारने की साजिश का गंभीर आरोप है।

 मीडिया सेल प्रभारी ने बताया कि 22 जुलाई को समनापुर-डिंडौरी मुख्य मार्ग पर दो युवक – महासिंह गोंड (20 वर्ष) एवं प्रताप सिंह धुर्वे, निवासी ग्राम पिपरिया (जिला मंडला), बंदरों को नमकीन और बिस्किट खिलाकर बेहोश कर रहे थे। राहगीरों की सतर्कता से एक बंदर को बचाया जा सका।

सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और पूछताछ में आरोपियों ने स्वीकार किया कि वे बंदरों का कलेजा निकालने के लिए आए थे, जिसे कथित तौर पर ‘औषधीय’ उपयोग में लाया जाता है। तलाशी में उनके पास से एक धारदार बका, दो तांत वाली बोरी और एक थैला बरामद हुआ।

प्रकृति और जीवों के प्रति संवेदनहीन इस कृत्य को लेकर आरोपियों पर वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 09 और 51 के तहत मामला दर्ज किया गया। सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी लक्ष्मीनारायण साहू ने जमानत का विरोध करते हुए अदालत को बताया कि यह केवल वन्यप्राणी ही नहीं, बल्कि समाज की नैतिकता पर हमला है। न्यायालय ने तर्कों से सहमत होते हुए आरोपियों की जमानत अर्जी सिरे से खारिज कर दी।

यह फैसला वन्यजीवों के प्रति क्रूरता के खिलाफ एक उदाहरण बनकर सामने आया है, जिससे अवैध शिकारियों और अंधविश्वास के भरोसे अपराध करने वालों को साफ चेतावनी मिलती है।