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डिंडौरी जिले की पेयजल संकट पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग सख्त, राज्य सरकार से चार सप्ताह में मांगी रिपोर्ट

akvlive.in

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– अधिवक्ता सम्यक जैन, मनन अग्रवाल ने दायर की याचिका पर नोटिस जारी 

डिंडौरी न्यूज । डिंडौरी सहित मध्यप्रदेश के ग्रामीण अंचलों में भीषण पेयजल संकट को लेकर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) ने गंभीर रुख अपनाया है। आयोग ने हाल ही में अधिवक्ता सम्यक जैन व मनन अग्रवाल द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश शासन, प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, जल संसाधन विभाग, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग, तथा कलेक्टर डिंडौरी को नोटिस जारी किया है। आयोग ने चार सप्ताह के भीतर पूरे मामले में कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। एनएचआरसी ने इस बात पर जोर दिया है कि स्वास्थ्य का अधिकार, जिसमें स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल तक पहुंच शामिल है, एक मौलिक मानव अधिकार है। यदि आरोप सत्य हैं, तो यह इस अधिकार का गंभीर उल्लंघन है। आयोग की कार्रवाई जल प्रदूषण के मुद्दों को संबोधित करने और सभी नागरिकों के लिए सुरक्षित पेयजल तक पहुंच सुनिश्चित करने के महत्व को उजागर करती है।

जनहित याचिका में अधिवक्ताओं ने आरोप लगाया कि डिंडौरी जिले में नल जल योजना बुरी तरह विफल हो चुकी है। योजना पर खर्च हुए करोड़ों रुपये के बावजूद अधिकांश गांवों में लोगों को पीने का पानी नसीब नहीं हो रहा है। याचिका में बताया गया कि अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत, भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के चलते सरकार की मंशा पर पानी फिर गया है।

अधिवक्ताओं का कहना है कि पर्याप्त सरकारी बजट होने के बावजूद, जमीनी स्तर पर पानी की सप्लाई व्यवस्था ध्वस्त है। महिलाओं और बच्चियों को कई किलोमीटर दूर से पानी ढोना पड़ रहा है, जिससे न केवल उनका शारीरिक शोषण हो रहा है बल्कि उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि नल-जल योजना में निर्माण कार्य अधूरे छोड़ दिए गए, पाइपलाइनें क्षतिग्रस्त हैं, कई जगह पंप खराब पड़े हैं और उनकी मरम्मत तक नहीं कराई गई। कई जगह योजना का उद्घाटन तो हो गया, लेकिन पानी की एक बूंद भी लोगों को नहीं मिली।

आयोग ने इसे मानव अधिकारों का उल्लंघन मानते हुए संबंधित विभागों से विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की सिफारिश की जाएगी।

ग्रामीणों की पीड़ा को लेकर याचिकाकर्ताओं ने शासन-प्रशासन से अपील की है कि जल्द से जल्द समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाए और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो।

Chetram Rajpoot

चेतराम राजपूत मध्यभूमि के बोल समाचार पत्र के संपादक हैं। 2013 से इस दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने madhyabhoomi.in को विश्वसनीय समाचार स्रोत बनाया है, जो मुख्यधारा की मीडिया से अलग, विकास, समानता, आर्थिक और सामाजिक न्याय जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्रित है। हम सच्चाई और पारदर्शिता में विश्वास रखते हैं। मीडिया की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए सतत प्रयासरत हैं। बेखौफ कलम... जो लिखता है बेलिबास सच..

Chetram Rajpoot

चेतराम राजपूत मध्यभूमि के बोल समाचार पत्र के संपादक हैं। 2013 से इस दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने madhyabhoomi.in को विश्वसनीय समाचार स्रोत बनाया है, जो मुख्यधारा की मीडिया से अलग, विकास, समानता, आर्थिक और सामाजिक न्याय जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्रित है। हम सच्चाई और पारदर्शिता में विश्वास रखते हैं। मीडिया की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए सतत प्रयासरत हैं। बेखौफ कलम... जो लिखता है बेलिबास सच..