– डिंडौरी की बनीं प्रेरणा की प्रतीक, सीमित संसाधनों के बावजूद एमपीपीएससी परीक्षा में रचा कीर्तिमान
डिंडौरी न्यूज । डिंडौरी जिले के आदिवासी अंचल से निकली तारा बनवासी ने वह कर दिखाया है जो कई युवाओं के लिए केवल एक सपना होता है। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग एमपीपीएससी की सहायक प्राध्यापक हिन्दी परीक्षा 2022 में चयनित होकर तारा ने न सिर्फ अपने परिवार और गांव का, बल्कि पूरे आदिवासी समाज और जिले का नाम रोशन किया है। यह सफलता तारा की मेहनत, आत्मबल और अडिग संकल्प की गवाही देती है।
विकासखंड अमरपुर के ग्राम बरसिंघा माल की निवासी तारा बनवासी ने बचपन से ही जीवन की कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए शिक्षा को अपना हथियार बनाया। उनके पिता नारायण सिंह बनवासी खेत मजदूरी करते हैं और माता श्रीमती तीजा बाई एक गृहिणी हैं। ऐसे परिवेश में पली-बढ़ी तारा ने कभी हार नहीं मानी।
एक आदिवासी बेटी की बुलंद उड़ान, जिसने यह साबित किया कि हौसलों की कोई सीमा नहीं होती।
उन्होंने मोहगांव हाईस्कूल विकासखंड अमरपुर से 10वीं और रानी अवंती बाई स्कूल मंडला से 12वीं की पढ़ाई पूरी की। आगे की पढ़ाई के दौरान आर्थिक संकट आड़े आए, लेकिन उन्होंने आत्मनिर्भरता और जुझारूपन से अपनी पढ़ाई जारी रखी। हिन्दी विषय में स्नातकोत्तर करने के बाद, तीसरे प्रयास में NET परीक्षा उत्तीर्ण की और फिर एमपीपीएससी की परीक्षा में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
वर्तमान में तारा बनवासी अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा से हिन्दी विषय में पीएचडी कर रही हैं। उनकी यह उपलब्धि सिर्फ एक व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि यह सामाजिक बदलाव और प्रेरणा की एक नई कहानी है, जो विशेषकर ग्रामीण और आदिवासी बेटियों के लिए एक प्रकाशस्तंभ की तरह है।
उनकी इस सफलता पर परिजन, शिक्षकगण, ग्रामीणजन और जिले भर के लोग गर्व अनुभव कर रहे हैं। चारों ओर से उन्हें बधाइयाँ मिल रही हैं और वे अब नयी पीढ़ी के लिए एक आदर्श बनकर उभरी हैं।
तारा कहती हैं, जब लक्ष्य स्पष्ट हो और मन में विश्वास हो, तो कोई भी विपरीत परिस्थिति आपकी राह नहीं रोक सकती। आज तारा बनवासी उस सच्चाई की मिसाल हैं कि प्रतिभा को अगर अवसर मिले, तो वह किसी भी ऊंचाई को छू सकती है।