– पिपरिया ज़मीन विवाद पहुंचा थाना, बैगा आदिवासियों ने दलालों के खिलाफ दर्ज कराया नामजद आवेदन
डिंडौरी न्यूज। जिले के बजाग विकासखंड अंतर्गत ग्राम पिपरिया में बैगा आदिवासियों की ज़मीनों को लेकर उपजा विवाद अब कानून के दरवाजे तक पहुंच गया है। बुधवार को सैकड़ों बैगा आदिवासी बजाग थाना पहुंचे और क्षेत्र के कथित भू-माफियाओं के खिलाफ नामजद शिकायत दर्ज करवाई। ग्रामीणों का आरोप है कि मुकेश यादव, पन्ने लाल यादव और जस्सू साहू जैसे दलालों द्वारा उनकी ज़मीनें औने-पौने दामों में रजिस्ट्री करवाई गईं, और विरोध करने पर धमकी भी दी जा रही है। विशेष संरक्षित जनजाति बैगा समाज के लोगों का कहना है कि जमीनों के बिक्री में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई है, प्रभावित लोगों का कहना है कम क्षेत्र की जमीन खरीदने की बात खाकर नाम में दर्ज सभी जमीनों को विक्रय करा लिया गया है, एक उद्योगपति विधायक की गिद्ध दृष्टि बैगाओं के जमीं के नीचे दबे अकूत खनिज संपदा पर लगा हुआ था, जिसके इशारे पर बिचौलिये दलालों ने दशकों तक सक्रिय रहकर बैगाओ को उजाड़ने की पटकथा लिखी है।
एसडीएम ने दिया जांच और कार्रवाई का आश्वासन
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए एसडीएम रामबाबू देवांगन स्वयं थाना पहुंचे और ग्रामीणों से बात कर मामले की जानकारी ली। उन्होंने निष्पक्ष जांच और दोषियों के विरुद्ध जल्द कार्रवाई का भरोसा दिलाया।
बॉक्साइट खनन और ज़मीन खरीद में अवैध गतिविधियों का आरोप
ग्रामीणों के अनुसार, बीते एक माह से पिपरिया क्षेत्र में अचानक तेज़ी से बॉक्साइट खदान खोलने की प्रक्रिया शुरू हुई है। इस प्रक्रिया के साथ ही क्षेत्रीय दलालों द्वारा बैगा समुदाय की ज़मीनों को जबरन या कम दामों में खरीदने की घटनाएं बढ़ गई हैं। गांव के आदिवासी लगातार ग्राम पंचायत और प्रशासन के माध्यम से विरोध जता रहे हैं। उन्होंने पेसा एक्ट के तहत भी प्रस्ताव पारित कर खनन व ज़मीन सौदों का विरोध किया है।
ग्रामीणों को दी जा रही धमकियां, पूर्व में भी हो चुकी है संदिग्ध मौत
ग्रामीणों ने बताया कि दलालों द्वारा ज़मीन रजिस्ट्री के बाद पैसे नहीं दिए गए और मांगने पर जान से मारने तक की धमकियां दी जाती हैं। पूर्व में धामन बैगा नामक व्यक्ति की ज़मीन का रजिस्ट्री प्रकरण भी इसी तरह सामने आया था, जिसकी बाद में संदिग्ध हालातों में मृत्यु हो गई। आरोप है कि इस मौत की जानकारी भी छिपाकर दफन कर दी गई।
राजनीतिक चुप्पी पर सवाल
ग्रामीणों का आरोप है कि इस गंभीर मामले में क्षेत्रीय विधायक ओमकार मरकाम ने अब तक कोई हस्तक्षेप नहीं किया है, जबकि बैगा आदिवासी लंबे समय से कांग्रेस के परंपरागत मतदाता रहे हैं। वहीं जिला प्रशासन और राज्य सरकार की निष्क्रियता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
पर्यावरण और पर्यटन पर संकट
पिपरिया सहित तातार, बघरेली और अन्य क्षेत्रों में स्वीकृत बॉक्साइट खदानों से पर्यावरणीय संकट गहराने की आशंका जताई जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि जहां क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से संवारा जाना चाहिए था, वहीं खनिज माफियाओं को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से क्षेत्र को उजाड़ा जा रहा है।
आंदोलन की चेतावनी
ग्रामीणों ने स्पष्ट किया है कि यदि जल्द ही प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई, तो वे वृहद आंदोलन करेंगे। अब देखने वाली बात यह होगी कि मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व वाली राज्य सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है और क्या वंचित बैगा आदिवासियों को न्याय मिल पाता है या नहीं।