– रेत ठेकेदार पर जनपद पंचायत अमरपुर सीईओ मेहरबान?
– ग्राम पंचायत पर प्रस्ताव पारित कर ठेकेदार को देने का बना रहे दवाब
डिंडौरी न्यूज। ग्राम पंचायत कमको मोहनिया में पेसा एक्ट और पंचायत राज अधिनियम की खुली अवहेलना का मामला सामने आया है। ग्रामीणों का आरोप है कि रेत खदान संचालन के लिए बिना ग्राम सभा का आयोजन किए पंचायत से जबरन प्रस्ताव मांगा जा रहा है। अमरपुर जनपद पंचायत के सीईओ पर आरोप है कि वे सरपंच और सचिव पर दबाव बनाकर बिना ग्राम सभा के सहमति प्रस्ताव तैयार करवाना चाहते हैं, जो कि पेसा कानून का स्पष्ट उल्लंघन है।
– ग्राम पंचायत ने जताई असहमति, प्रोसिडिंग फार्म में दर्ज की गईं गंभीर आपत्तियां
ग्राम पंचायत कमको मोहनिया ने रेत खदान खसरा नंबर 546, हेक्टेयर 6 के लिए पूर्व पर्यावरणीय स्वीकृति को अस्वीकार करते हुए प्रोसिडिंग फार्म में कई गंभीर बिंदु दर्ज किए हैं, जो प्रशासनिक मनमानी और नियमों के उल्लंघन को उजागर करते हैं ।
सूचना का अभाव
पंचायत को रेत खदान से जुड़ी कोई जानकारी ठेकेदार या खनिज विभाग द्वारा उपलब्ध नहीं कराई गई।सामाजिक कार्यकर्ता कामता परस्ते द्वारा मांगी गई जानकारी खनिज विभाग ने नहीं दी। यहां तक कि ADM न्यायालय के आदेश के बावजूद दस्तावेज नहीं दिए गए। राज्य सूचना आयोग में मामला लंबित: सूचना का अधिकार से जुड़ा मामला अब भोपाल स्थित राज्य सूचना आयोग में लंबित है। मंडला जिले से रेत निकालकर डिंडोरी जिले का रॉयल्टी काटा गया, जिससे खदान की निर्धारित मात्रा का उल्लंघन हुआ और ग्राम पंचायत को सूचना नहीं दी गई। रेत खनन नीति 2020 के अनुसार समय सीमा सुबह 7 से शाम 6 तक है, लेकिन रात्रि में भी परिवहन किया जा रहा है।
अवैध भारी वाहन संचालन
रात में भारी वाहनों जैसे 10-12-16 चक्का ट्रकों द्वारा लोडिंग व भंडारण किया जा रहा है, जो नियमों के खिलाफ है। ई टीपी तो दिया जाता है, लेकिन बिल/इनवॉइस नहीं, जिससे राज्य, केंद्र सरकार, डी एम एफ और आयकर विभाग को नुकसान हो रहा है। पर्यावरणीय स्वीकृति पर संदेह: ठेकेदार के नाम और पर्यावरण स्वीकृति के नाम में भिन्नता है, जिससे वैधानिकता पर सवाल खड़े होते हैं।
सीएसआर /डी एम एफ का दुरुपयोग
खनन कंपनी द्वारा सीएसआर अंतर्गत 7200 पौधारोपण का दावा किया जा रहा हैं और 19 लाख से अधिक की राशि के उपयोग का कोई प्रमाण नहीं है, ग्राम पंचायत को इसका कोई लाभ नहीं मिला।
– ग्राम सभा की उपेक्षा गंभीर अपराध
कामता परस्ते ने बताया कि 15 नवंबर 2022 से पेसा नियम 2022 लागू हो चुके हैं, जिसके तहत किसी भी खनन परियोजना से पहले ग्राम सभा की स्वीकृति अनिवार्य है। इसके बावजूद अब तक खदान संचालन जारी है, जो संविधान, पंचायत राज और पेसा एक्ट का मजाक उड़ाने जैसा है।
– प्रशासन पर गंभीर आरोप, न्यायालय जाने की तैयारी
प्रभावित ग्रामवासी और सामाजिक कार्यकर्ता अब इस मामले को न्यायालय में ले जाने की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि जो अधिकारी पेसा कानून और ग्रामीणों के अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं, उनके विरुद्ध संविधान के अनुच्छेदों के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया जाए और ग्राम सभा को मुआवजा प्रदान किया जाए।
इनका कहना है,,,
खनिज विभाग और जिला प्रशासन सब मिलकर अवैध खनन भंडारण में सहयोगी है। कई बार आवेदन शिकायत के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं किया जा रहा है। आरटीआई, प्रथम अपील में एडीएम साहब भी जानकार अनदेखा किया जा रहा है। ऑनलाइन ई टीपी में वास्तविक रॉयल्टी, राजस्व टैक्सी, स्तर जीएसटी, सेंट्रल जीएसटी और डीएमएफ में कितनी राशि जमा होती है कोई पारदर्शिता नहीं है। क्योंकि ट्रैक्टर और ट्रक, हाइवा, डंफर की रॉयल्टी का बिल इनवॉइस नहीं दिया जाता है।
पूर्व पर्यावरण की स्वीकृति, की पारदर्शिता नहीं है रेत खदान और स्टेट गवर्नमेंट के बीच अनुबंध हुआ है। और रॉयल्टी जो ऑनलाइन ई टीपी काटी जाती है तो गुरमीत सिंह भेदी कॉन्ट्रैक्टर लिखा आता है। पूर्व पर्यावरण स्वीकृति ई सी की पारदर्शिता नहीं है जिससे ग्राम पंचायत कमको मोहनियां को खसरा नंबर 546 हैक्टेयर 6 की पूर्व पर्यावरण प्रबंधन हेतु बजट लगभग 19 लाख डीईआईए अनुसार निर्देशित है। परंतु जब से ठेका हुआ रेत खनन भंडारण परिवहन हो रहा है परन्तु कोई नियमुसार खनन भंडारण नहीं हो रहा है।
रेत खदान मंडला जिला मैनपुरी, पिपरी रैयत, से निकाल कर रॉयल्टी डिंडोरी जिला के दिवारी और कमको मोहनियां की रॉयल्टी कटा जा रहा है खनन मात्रा और आवंटित खनन क्षेत्रफल से अधिक क्षेत्रफल में अवैध खनन किया जा रहा है। लेकिन आलाधिकारी ग्रामीणों का गर्मियों के दिनों में कुआं तालाब हैंड पंप जैसे जल स्त्रोतों का जल स्तर दिनों दिन गिरा रहे है और मनमानी रॉयल्टी बिना पारदर्शिता के लूट पर लूट मचा रहे है।
जिससे साफ होता है जिला खनिज अधिकारी, अपर कलेक्टर, और संपूर्ण जिला प्रशासन इस भ्रष्टाचार में शामिल है। नियम, अधिनियम, विनियम, की जानकारी नहीं होना और जानते हुए उल्लंघन करना दोनों ही एक प्रशासनिक अधिकारी का सिविल सेवा आचरण अधिनियम का अवहेलना है।
– कामता सिंह परस्ते स्थानीय ग्रामीण