– “समनापुर कन्या आश्रम में बच्चियों से सफाई कराना उजागर – शिक्षा विभाग की लापरवाही और ‘पैसा दो, पोस्टिंग लो’ के गंभीर आरोप
-“पढ़ाई नहीं, सफाई” कर रहीं मासूम बच्चियां – आदिवासी अधिकारों की खुली अनदेखी
डिंडौरी| शिक्षा का अधिकार और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे सरकारी नारे तब खोखले लगते हैं जब ज़मीनी हकीकत इनके बिल्कुल उलट दिखे। डिंडौरी जिले के समनापुर स्थित कन्या आश्रम (अंग्रेजी माध्यम) की कुछ तस्वीरों ने पूरे सिस्टम को कठघरे में खड़ा कर दिया है, जहां पढ़ने की उम्र की मासूम बच्चियों से झाड़ू, पोछा और सफाई करवाई जा रही है।
आश्रम की व्यवस्थाएं पूरी तरह ठेके पर टिकी हैं, जिनका उद्देश्य सिर्फ खानापूर्ति नजर आता है। बताया जा रहा है कि अधीक्षिका धानी मोगरे बीते दस वर्षों से बिना स्थानांतरण के इसी छात्रावास में जमी हुई हैं। उनकी मूल पदस्थापना पिपरिया स्कूल में है, लेकिन प्रभाव और पहुंच के चलते उन्हें कभी हटाया नहीं गया।
सहायक आयुक्त संतोष शुक्ला पर गंभीर आरोप हैं कि उनके संरक्षण में “पैसा दो, पोस्टिंग लो” का खेल वर्षों से चल रहा है, जिसके चलते न सिर्फ प्रशासनिक निष्क्रियता सामने आई है, बल्कि बच्चों के अधिकारों की भी खुलेआम अवहेलना हुई है।
सूत्रों के मुताबिक, छात्रावास में गुणवत्ताहीन भोजन परोसा जा रहा है, और बच्चों के हिस्से का राशन तक अधीक्षिका द्वारा हड़प लिया जाता है। डरी-सहमी बच्चियां शिकायत नहीं कर पातीं, क्योंकि उन्हें छात्रावास से निकालने की धमकी दी जाती है।
यह मामला सिर्फ शिक्षा की गिरती व्यवस्था का नहीं, बल्कि आदिवासी बच्चों के संविधानिक अधिकारों की अवहेलना और सरकारी मंशा पर सवाल उठाने वाला बन गया है।
मांग की जा रही है कि इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच हो, दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए और मासूम बच्चियों को सम्मानपूर्वक शिक्षा, संरक्षण और सुरक्षा का अधिकार दिलाया जाए।