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वनग्राम दादरघुघरी के किसानों की फसलों को पडोसी गांव के ग्रामींण मवेषियों से करा रहे नष्ट 

akvlive.in

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डिण्डौरी  | मेंहदवानी थाना अंतर्गत वन ग्राम दादरघुघरी में किसानों की फसलों को पड़ोसी गांव कुकर्रा के ग्रामींण अपनी मवेषियों से नष्ट करा रहे है। जिससे किसानों के सामने जीवकोपार्जन की समस्या पैदा हो गई है। जिसकी षिकायत ग्रामीणों ने मंगलवार को जनसुनवाई में उपस्थित होकर कलेक्टर से की है। षिकायत में किसानों ने हवाला दिया है कि वन परिक्षेत्र वन विकास निगम मोहगांव के अंतर्गत यह ईलाका आता है और यहां स्थित भूमि भी निगम के कब्जे में थी जहां के रहवासियों ने वन भूमि में वर्षो से कृषि कार्य करते आ रहे हैं। जिसके मद्दे नजर वन अधिकार अधिनियम के तहत काबिज भूमि में अपना दावा जताते हुए आवेदन प्रस्तुत किया था जिसके बाद दादरघुघरी के लगभग 42 किसानों को पट्टा आवंटित किया गया था ।

किसान काबिज भूमि में खेती कर रहे थे, लेकिन पडोसी ग्राम कुकर्रा के ग्रामीणों को यह रास नही आ रहा है और उनके द्वारा किसानों की खडी फसल को मवेषियों से नष्ट करा रहे है। यह सिलसिला विगत 12 वर्षो से जारी है किसानों ने इसकी षिकायत कलेक्टर सहित पुलिस थाना मेंहदवानी में भी अनेको दफा कर चुके है। बावजूद इसके रोक लगाने में प्रषासन नाकाम रहा पुलिस थाना ,द्वारा महज औपचारिकता निभाते हुए मामूली धाराओं के तहत कार्यवाई की है। लेकिन कुकर्रा के ग्रामींणों को कानून का खौप नही है और अपनी हरकतों से बाज नही आ रहे है। कुकर्रा के ग्रामीणों का पक्ष है कि जिस भूमि में दादरघुघरी के ग्रामींण कृषि कर रहे है वह भूमि उनकी मवेषियों के लिए चारागाह के तौर पर सुरक्षित है।

लेकिन शासन द्वारा किसानों को भू-अधिकार पट्टा जारी किया गया है जिससे कुकर्रा के ग्रामींणों का यह दावा कितना सही माना जाये । आलम यह है कि लगातार विगत 12 वर्षो से दादर घुघरी के ग्रामींणों की धान , दलहन, कोदो, कुटकी की फसलों को मवेषियों से नष्ट कराया जा रहा है । विगत वर्ष तो प्रषासनिक अमले के सामने किसानों की खडी फसल को नष्ट कराया गया । बावजूद इसके कार्यवाई नही की गई जिससे किसान आर्थिक और मानसिक रूप से से परेषान है। किसानो ने बतलाया कि किसी तरह फसलों के बीज की व्यवस्था कर हर वर्ष बोबनी करते है लेकिन पडोसी ग्राम के ग्रामींण बोबनी और फसल कटाई के समय उनकी भूमि में पहुंच जाते है। अपना हक जताते हुए लडाई झगडा कर खडी फसल को मवेषियों से नष्ट करा देते है। षिकायतकर्ताओ में सतेन्द्र , मायाराम, राजेष कुमार, फगनूसिंह, डुमारी, श्रवण कुमार, सोनसिंह , सालिकराम सहित अन्य ग्रामींण शामिल है।

 

 

Chetram Rajpoot

वर्ष 2010 से जमीनी स्तर पर खोजी पत्रकारिता कर रहे हैं, भेदभाव से परे न्याय, समानता, भाईचारा के बुनियादी उसूलों के साथ समाज के अंतिम व्यक्ति की आवाज शासन - प्रशासन तक पहुंचाने प्रतिबद्ध हैं।

Chetram Rajpoot

वर्ष 2010 से जमीनी स्तर पर खोजी पत्रकारिता कर रहे हैं, भेदभाव से परे न्याय, समानता, भाईचारा के बुनियादी उसूलों के साथ समाज के अंतिम व्यक्ति की आवाज शासन - प्रशासन तक पहुंचाने प्रतिबद्ध हैं।