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Dindori News : नर्मदाखण्ड राज्य बनाने एवं समस्याओं को लेकर पीएम एवं सीएम के नाम एसडीएम को सौंपा ज्ञापन

- चार राज्यों के 39 जिलों को जोड़कर  नर्मदा खंड राज्य बनाने की मांग

 

Dindori News,  डिंडौरी न्यूज । नर्मदाचंल क्षेत्रवासी सम्पूर्ण क्षेत्र के समग्र विकास के साथ-साथ क्षेत्र की अस्तित्व और मूल पहचान को बनाये रखने हेतु नया राज्य बनाने की मांग करते हुए नर्मदा सेवक संघ के बैनर तले पीएम एवं सीएम के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा गया हैं। उल्लेख है कि नर्मदाचंल क्षेत्र की प्राकृतिक, सांस्कृतिक एवं भौगोलिक रूप से प्रथक पहचान आज से पाए नहीं आदिकाल से है लेकिन अब तक क्षेत्रीय राजनैतिक उदासीनता और उपेक्षा के शिकार ही होते आ रहा है, जबकि नर्मदाचंल प्रदेश बनने से माँ नर्मदा के सहारे सम्पूर्ण क्षेत्र और देश को प्राकृतिक, धार्मिक पर्यटन राज्य के रूप में विकसित किया जा सकता है | सम्पूर्ण नर्मदाचंल क्षेत्र अनूसूचित जनजाति बहुल एवं वन क्षेत्र होने के कारण  पिछड़ा हुआ है , नर्मदा क्षेत्र के महत्व और इतिहास के आधार पर जो विकास होना था वो अब तक नही हुआ है,उन्नति तो ठीक है लेकिन बचानी होगी पहचान वर्तमान समय में नर्मदाचंल क्षेत्र देश के चार  राज्यों में विभाजित है और आने वाले समय में क्षेत्र में अन्य राज्यों की मांग चल रहा है।  इस तरह खण्ड-खण्ड में संपूर्ण क्षेत्र विभाजित होने से क्षेत्र की अस्तित्व पर गंभीर संकट है। इसलिए माँ नर्मदा सेवक संघ द्वारा माँ नर्मदा के साफ सफाई के साथ-साथ अखण्ड नर्मदाखण्ड बनाये रखने हेतु कार्य करेगा।

– 13 सूत्रीय मांगों को लेकर पीएम एवं सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन

नर्मदा सेवक संघ के बैनर तले देश के प्रत्येक क्षेत्र के विकास से एक विकसित राष्ट्र का निर्माण होता है। नर्मदाचंल क्षेत्र  आज भी उपेक्षित हैं , 5 राज्यों (नर्मदाखंड) नवनिर्माण का कार्य राष्ट्रभक्ति और हम क्षेत्रवासियों की नैतिक कर्तव्य है, ऐसे में आजादी के लगभग 77 वर्षों से उपेक्षा के शिकार इस नर्मदाचंल क्षेत्र (नर्मदा कछार) की अस्तित्व के दृष्टिकोण से संपूर्ण नर्मदाचंल क्षेत्र के भौगोलिक भू-भाग को सहजते हुए पृथक नर्मदाचंल प्रदेश (नर्मदाखंड राज्य) बनाया जाये ।

ताकि सम्पूर्ण नर्मदाचंल क्षेत्र में प्राथमिकतापूर्वक शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सांस्कृतिक खेलकूद, पर्यावरण आदि के सर्वांगिण विकास हेतु कार्य किया जाये प्रस्तावित नर्मदाचंल प्रदेश में छत्तीसगढ़ से गौरेला (ब्लॉक), मध्यप्रदेश से इन्दौर, बड़वानी, धार, अलीराजपुर, खण्डवा, खरगौन, बुराहनपुर, मण्डला, होशंगाबाद, झाबुआ, अनूपपुर, देवास, नरसिंहपुर, रायसेन, बैतूल, सिवनी, डिण्डौरी, दमोह, जबलपुर, सिहोर, छिन्दवाड़ा, बालाघाट, सागर व हरदा तथा महाराष्ट्र से- नन्दूरबार धुले, नासिक, जलेगांव और गुजरात से नर्मदा, भरूच, बड़ौदरा, छोटा उदयपुर, सूरत, वलसाड, डांग,नवसारी, तापी इस तरह चार राज्यों के पूरे नर्मदाचंल क्षेत्र से 39 जिलों के भौगोलिक भू-भाग सम्मिलित किया गया है, माँ नर्मदा उद्गम स्थल अमरकंठक को अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ ब्लॉक, डिण्डौरी जिले के करंजिया ब्लॉक को मिलाकर नया जिला बनाया जाए। अमरकंठक तीर्थ क्षेत्र के विकास की दृष्टि से दो राज्यों के महानगर जबलपुर (म.प्र.), बिलासपुर (छ.ग.) को अमरकंठक डिण्डौरी होते हुए रेल लाईन से जोड़ा जाये तथा सम्पूर्ण नर्मदाचंल क्षेत्र में आवागमन विकास की दृष्टिकोण से प्राथमिकता के आधार पर रेल मार्ग, वायु मार्ग एवं सड़क मार्गों का विस्तार किया जावे ।

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नर्मदाचंल क्षेत्र के महत्व, इतिहास का स्कूली शिक्षा में विस्तार पूर्वक वर्णन किया जाये । नर्मदा नदी में शहरों के नालों का गंदा पानी मिलने से रोकने एवं प्रदूषण मुक्त करने हेतु शासन स्तर से अविलंब उचित प्रयास किया जाये एवं अन्य सभी नदियों के उत्थान हेतु उचित पहल किया जाए । नर्मदा नदी से 100 मीटर के दायरे में आवासीय निर्माण को पूर्ण रोक लगाया जाये । नर्मदा संरक्षण हेतु नर्मदा जी से लगे प्रत्येक नगरो में नर्मदातट रक्षक की नियुक्ति की जाए ।नर्मदा परिक्रमा पथ अतिशीघ्र निर्माण किया जाये तथा परिक्रमा वासियों की आस्था की दृष्टि से उत्तर दक्षिण दोनों तटों में जगह-जगह सर्व सुविधा युक्त पार्क विकसित किया जाये । नर्मदाचंल क्षेत्र में बड़े अभ्यारण, बांध परियोजनाओं के निर्माण स्थानीय लोगों के मांग और विकास पर किया जाए तथा वर्तमान में निर्माण हेतु प्रस्तावित परियोजनाओं को निरस्त किया जावे। नर्मदा जी के दोनों ओर लगे वन और वृक्षों को शासन स्तर (वन विभाग) या स्थानीय लोगों द्वारा कटाई पर कुछ वर्षों तक पूर्ण रोक लगाया जाये, जब तक नये वृक्ष और वन तैयार नहीं हो जाते हैं, सम्पूर्ण नर्मदाचंल क्षेत्र में माँ नर्मदा जयंती को शासकीय अवकाश घोषित किया जाये, माँ नर्मदा, नर्मदाखण्ड और नर्मदाखण्ड वासियों के संवैधानिक हक और अधिकार की रक्षा हेतु 01 जनवरी नर्मदा संरक्षण दिवस घोषित किया जाये ।

 

त्रिस्तरीय पंचायत राज्य व्यवस्था में पंच की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है जो अंतिम छोर के अंतिम व्यक्ति का सेवा करता है लेकिन ग्राम पंचायत पंच वर्षों से उपेक्षा का शिकार होते ह। रहा है। जिन्हे कार्यों की जिम्मेदारियों के अनुरूप मानदेय भत्ते नही मिलने से त्रिस्तरीय पंचायत पंच में काफी निराशा है ऐसे में तत्काल वर्तमान स्वीकृत मानदेय भत्ते में वृद्धि कर सम्मान पूर्वक उचित मानदेय दिया जाये। पंचो को 1500ध्-, उपसरपंच को 2500ध्- मासिक भत्ता प्रदान किया जावे । नर्मदा सेवक संघ द्वारा  कंडिका क्रमांक 1 से 13 तक में संवैधानिक प्रक्रिया के तहत न्यापूर्ण कार्यवाही किये जाने की मांग किया गया , इस दौरान नर्मदा सेवक संघ के दर्जनों कार्य कर्ता मौजूद रहे हैं।

 

 

 

 

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Chetram Rajpoot

वर्ष 2010 से जमीनी स्तर पर खोजी पत्रकारिता कर रहे हैं, भेदभाव से परे न्याय, समानता, भाईचारा के बुनियादी उसूलों के साथ समाज के अंतिम व्यक्ति की आवाज शासन - प्रशासन तक पहुंचाने प्रतिबद्ध हैं।

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