सच्चाई और न्याय को कुचलने की साजिश में हेड कांस्टेबल से लेकर एसपी तक शामिल : इंसाफ माँगने पुलिस मुख्यालय पहुँचा पीड़ित
- सच्चाई और न्याय के लिए खड़े होना पुलिस महकमा को नही आया रास, साजिश रचकर पूरे परिवार को भेजा जेल - पीड़ित ने सूचना का अधिकार के तहत निकाला दस्तावेज,जो बयां कर रही पुलिस षड्यंत्र की कहानी..? - धोखाधड़ी और कूटरचना करने व षड्यंत्र रचने वाले पुलिसकर्मियों पर उच्च अधिकारी क्यों मेहरबान...?
डिंडौरी न्यूज । आम जनता की सुरक्षा, मानवीय गरिमा और न्याय के लिए पुलिस महकमे की जवाबदेही तय हैं, पीड़ितो को पुलिस अधिकारियों से सुरक्षा और समुचित कार्रवाई की काफी उम्मीदें रहती हैं लेकिन जब जिम्मेदार अधिकारी पद और अधिकार का दुरूपयोग कर आम जनों को प्रताडित करने में अधिकारिक शक्ति का उपयोग कर सिर्फ पद की हनक दिखाने के लिए मनगंढत अपराध दर्ज कर आमजनों को जेल भेजने लगें तो आखिर आम जन न्याय और मानवीय गरिमा की सुरक्षा के उम्मीद किससे करें..?
पुलिस उत्पीड़न से तंग और जिला स्तर पर अनेको बार तथ्यात्मक षिकायत करने के बावजूद समुचित कार्रवाई न होने से त्रस्त दीपक ठाकुर इंसाफ माॅगने मध्यप्रदेष पुलिस मुख्यालय भोपाल पहुॅच कर उन्होने पुलिस महानिदेषक से षिकायत कर डिंडौरी पुलिस के विरूध्द गंभीर आरोप लगाते हुए उच्च स्तरीय जाॅच एवं कार्रवाई की माॅग की हैं। दरअसल 10 अपै्रल 2022 को दुर्घटनाकारित वाहन बदलने और राजीनामा होने को लेकर अमरपुर मे सरेबाजार हुई मारपीट करने वाले आरोपियों के विरूध्द अमरपुर चैकी में अपराध दर्ज किया गया था, सीएम हेल्पलाईन में षिकायत और षिकायत बंद कराने के नाम पर षिकायत कर्ता से गाली गलौच का वीडियो वायरल होने तथा चैकी प्रभारी मनोज त्रिपाठी के विरूध्द लाईन अटैच की कार्रवाई होने से बौखलाये समनापुर और अमरपुर पुलिस ने किसी भी हद तक जाकर षिकायतकर्ता को जेल भेजने आतुर हो गये, संविधान की शपथ लेने वाले पुलिस अधिकारियों ने कानूनी मर्यादा को तार तार करते हुए साजिष रच कर पीड़ितो को ही आरोपी बनाकर पूरे परिवार को जेल भेज दिया । मामले से संबधित दस्तावेजंों की पडताल करने पर तत्तकालीन एसपी संजय सिंह, तत्तकालीन थाना प्रभारी धीरजराज, तत्त. चैकी प्रभारी मनोज त्रिपाठी, रंजीत सैयाम, रोहन मरावी का फर्जी मामला बनाने के षडयंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका से इंकार नही किया जा सकता हैं। ।
डीजीपी पुलिस मुख्यालय भोपाल में किए गये षिकायत में आरोप लगाया है कि दिनाॅक 27/02/2022 को ग्राम भाखा छापा टिकरा नाला के पास मोटरसाईकल चालक संतोष पिता महेष राठौर के द्वारा लापरवाही पूर्वक वाहन चलाते हुए सड़क किनारे पटरी पर खेल रही 5 वर्षीय कु. शषी ठाकुर का एक्सीडेंट किया गया था, जिसके विरूध्द अमरपुर चैकी में अपराध क्र 0074/2022 धारा 279,337 के तहत संतोष राठौर के विरूध्द मामला पंजीबध्द किया गया था। अंतिम फार्म रिपोर्ट चालान दिनाॅक 28/03/2022 को न्यायालय में पेष किया गया था जिसमें दुर्घटना करने वाले वाहन को बदलते हुए एमपी 52 एमडी 5371 दर्ज किया गया है। जबकी एक्सीडेंट वाहन क्र एमपी 52 एमए 8865 से हुआ था, मेडिकल रिपोर्ट के साथ वाहन नम्बर की सूचना अमरपुर चैकी में दिनाॅक 07/03/2022 को दी गई थी, जिसकी पावती चैकी प्रभारी मनोज त्रिपाठी के द्वारा 07/03/2022 को दी गई हैं। आरोपी से साॅठगाॅठ कर जब अमरपुर पुलिस ने दुर्घटना कारित वाहन को ही बदल दिया,वही अनावेदक गण मामलें में राजीनामा करने के लिए दवाब बना रहा था, राजीनामा नही करने पर 10/04/2022 को अमरपुर बाजार में कृष्णकुमार एवं माॅ गुलुम बाई की बेरहमी से पिटाई करने के चलते प्राथमिक उपचार के बाद ईलाज के लिए जिला अस्पाताल रिफर किया गया था, अमरपुर में दर्ज एफआईआर में सही रिपेार्ट दर्ज न करने के कारण 10 अप्रेल को दीपक ठाकुर द्वारा सीएम हेल्पलाइन में षिकायत कर अनावेदको के विरूध्द मारपीट के दौरान जेवरात छीनने का आरोप लगाया गया था, जिसको बंद कराने के लिए अमरपुर चैकी प्रभारी द्वारा थाने बुलाकर आवेदक से गाली गलौच करते हुए अभद्रता की गई थी, जिसका वीडियो वायरल होने पर एसपी महोदय द्वारा अमरपुर चैकी प्रभारी मनोज त्रिपाठी को तत्काल लाईन अटैच किया गया था।
पहली षिकायत बदल कर रचा षडयंत्र
मारपीट की घटना के दूसरे दिन 11 अप्रैल को अमरपुर चैकी में षिकायत पत्र आवक क्र. 143 दिनाॅक 11/04/2022 प्रस्तुत कर चम्पाबाई ने कृष्णकुमार एवं गुलुमबाई के साथ मारपीट एवं झूमा झपटी करना स्वीकार की थी,, जिस मूल आवेदन में दीपक ठाकुर का नाम नही था, क्योंकि आवेदक दीपक ठाकुर लड़ाई झगड़े के दौरान मौके पर मौजूद नही था किन्तु उपनिरीक्षक मनोज त्रिपाठी के विरूध्द लाईन अटैच की कार्रवाई होने से मूल आवेदन को बदलकर दूसरा आवेदन पत्र तैयार किया जाकर आवेदक दीपक ठाकुर का नाम जोड़ते हुए षडयंत्र रच कर गंभीर अपराध में फंसाने का आरोप लगाया हैं
पुलिस ने दुर्घटना कारित वाहन बदला, जाॅच में दोष सिध्द…?
अमरपुर पुलिस द्वारा जिस वाहन से दुर्घटना हुआ उसे बदल कर अन्य वाहन की जप्ती बनाई गई, प्राप्त जानकारी के अनुसार दुर्घटना कारित वाहन का बीमा नही था, जिसे बदलकीकार्यालय उप पुलिस अधीक्षक(महिला सुरक्षा ) डिंडौरी द्वारा षिकायत की जाॅच में उपनिरीक्षक मनोज त्रिपाठी द्वारा दुर्घटना कारित वाहन बदलना प्रमाणित पाया गया हैं, पत्र क्र. उ.पु.अ./म.सु./डिं/षिका.जाॅच/94/2023 दिनाॅक 05/05/2023 को जाॅच प्रतिवेदन पुलिस अधीक्षक डिंडौरी को प्रेषित किया गया हैं, किन्तु आज दिनाॅक तक दोषी उपनिरीक्षक के विरूध्द कार्रवाई नही की गई हैं । अमरपुर कस्बा में घटना दिनाॅक 10/04/2022 को अनावेदक चम्पाबाई पति महेष, संतोष पिता महेष, आषोक पिता महेष, एवं महेष पिता प्रहलाद सभी निवासी ग्राम देवरी के द्वारा आवेदक दीपक ठाकुर के भाई एवं माॅ के साथ मारपीट किया गया था, जिसमें आवेदक के षिकायत पर उपरोक्त आरोपियों के विरूध्द मामला दर्ज हैं, चम्पाबाई के द्वारा दिनाॅक 11/04/2022 को अमरपुर चैकी में स्वंय षिकायत कर उल्लेख किया गया हैं कि गुलुम बाई के साथ झूमा झपटी एवं मारपीट की हूॅं।
षिकायत से पहले पुलिस ने करा दी एमएलसी
सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त दस्तावेजंो से अजीब तथ्य उजागर हुआ हैं, षिकायत से एक दिन पूर्व ही अमरपुर चैकी पुलिस द्वारा दिनाॅक 10/04/2022 को अनावेदको का मेडिकल परीक्षण कराया गया हैं, जबकी 11 अप्रैल को अनावेदको द्वारा षिकायत किया गया हैं, ऐसे में सवाल उठता है कि जब षिकायतकर्ता 11 अप्रैल को थाने पहूॅचे तो आखिरकार 10 अप्रैल को मेडिकल परीक्षण कैसे संभव हैं..?
आवेदक दीपक ठाकुर के षिकायत पर दिनाॅक 10/04/2022 अनावेदक चम्पा बाई पति महेष एवं संतोष पिता महेष, महेष पिता प्रहलाद एवं आषोक पिता महेष के विरूध्द अपराध क्र. 0156 दर्ज कर भा.द.स. 1860 की धारा 341, 294, 355,323, 506, 34 के तहत मामला दर्ज किया गया हैं, वही अनावेदकों के षिकायत पर आवेदक एवं परिजनों के विरूध्द अपराध क्र. 0175 भा.द.वि. 1886 की धारा 341,327, 355, 323, 294,506,34 के तहत मामला दर्ज करते हुए सिर्फ अनावेदको के सगे परिजनों को मामले का गवाह बनाया गया हैं। अमरपुर चैकी में पदस्थ प्रधान आरक्षक श्री रोहन मरावी द्वारा अनावेदको के विरूध्द दर्ज प्रकरण क्र. 0156 के चालान में आवेदक के फर्जी कथन एवं फर्जी हस्ताक्षर कर चालान प्रस्तुत किया गया हैं। पीड़ित दीपक ठाकुर ने पुलिस महानिदेषक से षिकायत करते हुए वाहन बदलने के मामले को दबाने और आरोपियों को गैर कानूनी ढंग से संरक्षण देते हुए पद एवं अधिकारों का दुरूपयोग करने वाले पुलिस अधिकारियों के विरूध्द सख्त कार्रवाई की माॅग की हैं।