उमरिया। मुख्यालय से करीब 15 किमी दूर ग्राम तामन्नारा स्थित कांजी हाउस की बदहाल तस्वीरें सामने आई हैं।यहाँ मवेशियों को जिस हाल में रखा जा रहा है,उसे देखकर किसी का भी दिल पसीज जाए।खुले आसमान तले, करीब एक फीट कादो में मवेशियों को खड़ा रहने पर मजबूर किया गया है।सूखे चारे की तलाश में ये बेजुबान मवेशी कीचड़ और कादो के बीच किस हाल में जी रहे होंगे,इसे सहजता से समझा जा सकता है।सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अधिकांश मवेशियों के पेट खाली नज़र आते हैं, जिससे साफ जाहिर होता है कि उन्हें पर्याप्त चारा तक उपलब्ध नहीं कराया जा रहा।बताया जाता है कि यह कांजी हाउस डोगरगवा मार्ग पर स्थित है,जिसकी वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पंचायत स्तर पर मवेशियों के चारा-पानी के लिए बाकायदा राशि आवंटित होती है, बावजूद इसके मवेशियों को इस तरह बेसहारा हालात में रखा जाना बेहद शर्मनाक है।
– कांजी हाउस और गौशालाओं की बदहाल स्थिति पर हिंदू मुस्लिम एकता मंच की गहरी चिंता
जिला प्रशासन से तत्काल ठोस कदम उठाने की जिले में मवेशियों की दुर्दशा की घटनाएँ लगातार सामने आ रही हैं। आज सोशल मीडिया पर ग्राम तामन्नारा स्थित कांजी हाउस का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसने एक बार फिर प्रशासनिक व्यवस्था और पंचायत स्तर पर पशुओं की देखरेख पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। खुले आसमान तले, घुटनों तक कीचड़ और कादो में खड़े मवेशियों की जो तस्वीरें सामने आई हैं, वे किसी भी संवेदनशील इंसान का दिल दहला देने वाली हैं।
वीडियो में साफ दिखाई देता है कि मवेशियों को न तो उचित चारा मिल रहा है और न ही रहने की व्यवस्था। अधिकांश मवेशियों के पेट खाली दिखाई दे रहे हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि उन्हें समय पर भोजन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा।स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत स्तर पर चारा-पानी के लिए बाकायदा राशि आवंटित होती है, बावजूद इसके मवेशियों को इस प्रकार के नारकीय हालात में छोड़ दिया गया है। यह न केवल पशु अधिकारों का हनन है, बल्कि मानवीय संवेदनाओं पर भी गहरा प्रहार है। यह स्थिति तब और भी चिंताजनक हो जाती है, जब हम बीते दिनों की घटनाओं पर नज़र डालते हैं। ग्राम पंचायत मुडगुडी गौशाला में हुई गायों की मौत और वहाँ की दयनीय स्थिति को लेकर हिंदू मुस्लिम एकता मंच ने पहले भी जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा था। उस समय मंच के संस्थापक मो. असलम शेर और जिला संयोजक राजेंद्र कोल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने कलेक्टर महोदय से जिले की सभी गौशालाओं का मौका निरीक्षण करने और तत्काल व्यवस्था सुधारने की मांग की थी। ज्ञापन में साफ उल्लेख किया गया था कि शासन की ओर से पर्याप्त धनराशि और चारागाह विकास की योजनाएँ होने के बावजूद, जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण मवेशियों की हालत खराब हो रही है।
*हिंदू मुस्लिम एकता मंच के संस्थापक मो. असलम शेर ने इस संदर्भ में गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा आज जो वीडियो सामने आया है, वह प्रशासनिक उदासीनता का जीता-जागता सबूत है। हमने पूर्व में भी चेताया था कि यदि समय रहते जिला प्रशासन और पंचायत स्तर पर जिम्मेदार लोग गंभीर कदम नहीं उठाते, तो ऐसी घटनाएँ बार-बार सामने आती रहेंगी। मवेशी बेजुबान हैं, वे अपनी पीड़ा खुद व्यक्त नहीं कर सकते। उन्हें भोजन, पानी और आश्रय की व्यवस्था करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। शासन की ओर से पर्याप् बजट उपलब्ध होने के बावजूद यदि पशु प्यासे मर रहे हैं तो यह सीधी-सीधी भ्रष्टाचार और लापरवाही का मामला है। हिंदू मुस्लिम एकता मंच इस घटना की कड़ी निंदा करता है और माँग करता है तत्काल जिम्मेदारों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाए।साथ ही, कांजी हाउस और जिले की सभी गौशालाओं का निरीक्षण कर ठोस व्यवस्था की जाए।
जिला संयोजक राजेंद्र कोल ने कहा यह बेहद शर्मनाक स्थिति है कि एक ओर सरकार गौसेवा और पशु कल्याण पर करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा करती है, वहीं दूसरी ओर जमीनी स्तर पर पशु कचरे और कीचड़ में जीवन जीने को मजबूर हैं। पंचायतों को हर वर्ष चारा-पानी और रखरखाव के लिए राशि आवंटित होती है, लेकिन वह राशि कहाँ खर्च हो रही है, इसकी पारदर्शी जाँच जरूरी है। मुडगुडी गौशाला की घटना के बाद हमने कलेक्टर महोदय को ज्ञापन सौंपा था, लेकिन आज तामन्नारा कांजी हाउस का मामला सामने आना यह साबित करता है कि हमारी मांगों पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया। हम पुनः जिला प्रशासन से अपील करते हैं कि सभी गौशालाओं और कांजी हाउस का निरीक्षण एक हफ्ते के भीतर किया जाए और दोषियों पर कठोर कार्रवाई हो।
हिंदू मुस्लिम एकता मंच की प्रशासन से कुछ माँगें है
1. जिले की सभी गौशालाओं और कांजी हाउस का तत्काल निरीक्षण कराया जाए।
2. चारा-पानी के लिए पंचायत स्तर पर जो राशि आवंटित होती है, उसकी ऑडिट जाँच करवाई जाए।
3. जिन पंचायतों और जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही सामने आए, उन पर दंडात्मक कार्यवाही की जाए।
4. मवेशियों के लिए स्थायी चारागाह, शेड और साफ-सुथरे आश्रय की व्यवस्था हो।
5. जिला स्तर पर एक विशेष निगरानी समिति बनाई जाए, जिसमें सामाजिक संगठनों और स्थानीय नागरिकों को भी शामिल किया जाए।