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फर्जी डिग्री मामले में बड़ी कार्रवाई: 24 शिक्षकों पर FIR, 40 से अधिक प्रकरणों की जांच जारी

akvlive.in

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दमोह न्यूज़ ब्यूरो | ज़िले में शिक्षा विभाग में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शासकीय नौकरी हासिल करने वाले शिक्षकों के खिलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) कार्यालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, अब तक ऐसे कुल 40 प्रकरणों की शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिनमें कथित रूप से फर्जी अंकसूचियों और डिग्रियों के आधार पर नियुक्तियाँ ली गईं।

इन 40 प्रकरणों में से 24 मामलों में जांच के दौरान यह स्पष्ट हो चुका है कि संबंधित शिक्षकों द्वारा प्रस्तुत की गई डिग्रियाँ या अंकसूचियाँ फर्जी हैं। इन मामलों में संबंधित विश्वविद्यालयों से पुष्टि हो चुकी है कि दस्तावेज़ वास्तविक नहीं हैं। इन तथ्यों को गंभीरता से लेते हुए, जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने पुलिस अधीक्षक को प्रतिवेदन भेजकर FIR दर्ज करने की अनुशंसा की है। प्रथम दृष्टया आपराधिक कृत्य पाए जाने पर यह कदम उठाया गया है। अब आगे की कार्रवाई पुलिस द्वारा की जाएगी।

फर्जी डिग्री से नौकरी वाले शिक्षकों के विरूद्ध कानूनी कार्रवाई तेज

– जांच चल रहे प्रकरणों की स्थिति

11 प्रकरणों की विभागीय जांच संयुक्त संचालक, लोक शिक्षण सागर कार्यालय स्तर पर जारी है।

2 प्रकरणों की जांच जिला स्तर पर अंतिम चरण में है।

1 प्रकरण में राज्य स्तर पर, यानी लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा जांच की जा रही है।

10 शिक्षकों को दोषी पाए जाने पर पहले ही नौकरी से बर्खास्त किया जा चुका है।

1 मामला डिग्री से नहीं, बल्कि दिव्यांगता प्रमाण पत्र से जुड़ा है, जिसकी जांच भी चल रही है।

15 प्रकरण ऐसे हैं जिनमें संबंधित विश्वविद्यालय या बोर्ड से अभी तक डिग्री या अंकसूची की पुष्टि लंबित है। इसके लिए विभाग द्वारा पत्राचार कर त्वरित पुष्टि की मांग की गई है।

– 4 नए मामले भी सामने आए

इसके अलावा, बीते 1-2 दिनों में 4 नए प्रकरण और प्राप्त हुए हैं, जिनकी प्रारंभिक जांच शुरू कर दी गई है। शिक्षा विभाग का कहना है कि जैसे-जैसे नए प्रमाण सामने आते जाएंगे, वैसे-वैसे दोषी पाए गए व्यक्तियों के खिलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

– शिक्षा विभाग सख्त

जिला शिक्षा अधिकारी ने स्पष्ट किया है कि फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से सरकारी सेवा में प्रवेश करने वालों के खिलाफ़ बर्दाश्त की कोई नीति नहीं है। दोषी पाए गए प्रत्येक शिक्षक पर कानूनी व प्रशासनिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

यह मामला न केवल शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है, बल्कि भविष्य में ऐसी नियुक्तियों की सत्यता की जांच के लिए कड़े प्रावधान लागू किए जाने की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है। अब देखना यह होगा कि विभाग इन मामलों को कितनी पारदर्शिता और गति से निपटाता है।

Chetram Rajpoot

चेतराम राजपूत मध्यभूमि के बोल समाचार पत्र के संपादक हैं। 2013 से इस दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने madhyabhoomi.in को विश्वसनीय समाचार स्रोत बनाया है, जो मुख्यधारा की मीडिया से अलग, विकास, समानता, आर्थिक और सामाजिक न्याय जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्रित है। हम सच्चाई और पारदर्शिता में विश्वास रखते हैं। मीडिया की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए सतत प्रयासरत हैं। बेखौफ कलम... जो लिखता है बेलिबास सच..

Chetram Rajpoot

चेतराम राजपूत मध्यभूमि के बोल समाचार पत्र के संपादक हैं। 2013 से इस दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने madhyabhoomi.in को विश्वसनीय समाचार स्रोत बनाया है, जो मुख्यधारा की मीडिया से अलग, विकास, समानता, आर्थिक और सामाजिक न्याय जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्रित है। हम सच्चाई और पारदर्शिता में विश्वास रखते हैं। मीडिया की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए सतत प्रयासरत हैं। बेखौफ कलम... जो लिखता है बेलिबास सच..