डिंडौरी न्यूज । ज़िले की अमरपुर जनपद पंचायत के अंतर्गत ग्राम पंचायत किसलपुरी में 15वें वित्त आयोग के तहत प्राप्त टाईट फंड में भारी भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। आरोप है कि पंचायत सरपंच उषा बाई और प्रभारी सचिव नंद कुमार गौतम ने बिना किसी वास्तविक निर्माण, स्थल निरीक्षण और तकनीकी स्वीकृति के फर्जी बिल और अमान्य फोटो के माध्यम से लाखों रुपए का गबन किया है।
फर्जी भुगतान का खुलासा
ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर दर्ज दस्तावेजों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024-25 और 2025-26 के बीच पेयजल और चेक डैम निर्माण जैसे कार्यों के नाम पर बिना किसी भौतिक प्रगति के करोड़ों की राशि खर्च दिखाई गई। इन कार्यों के लिए न तो स्थल निरीक्षण किया गया और न ही अनिवार्य जीओ टैगिंग की गई। कई मामलों में बिना निर्माण कार्य के ही भुगतान कर दिया गया।
बयानबाज़ी से बढ़ा संदेह
जब इस घोटाले के बारे में पंचायत सचिव नंद कुमार गौतम से सवाल किया गया, तो उन्होंने कन्वर्जेंस मद के अंतर्गत चेक डैम निर्माण की बात कही, जबकि सरपंच पति ने अमृत सरोवर का हवाला दिया। दोनों बयानों में विरोधाभास ने मामले को और अधिक संदिग्ध बना दिया है।
गाइडलाइन की खुलेआम अवहेलना
15वें वित्त आयोग की गाइडलाइन के अनुसार ग्रामसभा से स्वीकृति, तकनीकी स्वीकृति और जीओ टैगिंग अनिवार्य है, विशेष रूप से 50,000 रुपए से अधिक के कार्यों के लिए। इन शर्तों से बचने के लिए अधिकांश भुगतान 45 से 49 हजार की राशि में किए गए ताकि तकनीकी स्वीकृति की आवश्यकता न रहे।
प्रशासन की निष्क्रियता से बेलगाम भ्रष्टाचार
जनपद पंचायत अमरपुर के सीईओ की निष्क्रियता के कारण पंचायतों में विकास कार्यों की निगरानी ठप हो चुकी है। यही कारण है कि भ्रष्ट अधिकारियों को खुला अवसर मिला है और वे सरकारी धन की खुलेआम बंदरबांट कर रहे हैं।
ग्रामीणों की नाराज़गी और जांच की मांग
गांव के जागरूक नागरिकों और जनप्रतिनिधियों ने मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते ऐसे मामलों पर सख्त कदम नहीं उठाए गए तो विकास की जगह भ्रष्टाचार ही पंचायतों की पहचान बन जाएगा।