- ब्लैकलिस्टेड ठेकेदार को थमाया करोड़ों का ठेका, सरकारी तंत्र की बड़ी लापरवाही!
- जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की सांठगांठ से निलंबित पंजीयन के बावजूद ठेकेदारी और भुगतान
- ठेकेदार संजीव शर्मा पर धोखाधड़ी के तहत कार्रवाई की मांग
डिंडौरी न्यूज। जिले के समनापुर ब्लॉक अंतर्गत रनगांव जलाशय निर्माण कार्य में गंभीर अनियमितता का मामला उजागर हुआ है, जहां ठेकेदार संजीव शर्मा द्वारा पंजीयन निलंबित होने के बावजूद कार्य कर शासन से फर्जी तरीके से करोड़ों रुपये का भुगतान प्राप्त किया गया। जबकि ब्लैकलिस्टेड होने के बाद फर्म कार्य करने हेतु अपात्र होते हैं, लेकिन जब सरकारी तंत्र के नुमाइंदे ही शासन की आंखों में धूल झोंककर गड़बड़ी करें तो सभी तरह के अवैधानिक कार्य संभव हैं। उक्त मामले की शिकायत ग्वालियर निवासी अशोक शर्मा ने अपर मुख्य सचिव जल संसाधन, मुख्यमंत्री समेत उच्च स्तर पर करती हुए इस मामले में ठेकेदार और जिम्मेदार अधिकारियों के विरूद्ध (धोखाधड़ी) के तहत एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।
– ठेकेदार का पंजीयन पहले ही हो चुका था निलंबित
प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार, ठेकेदार संजीव शर्मा का पात्रता पंजीयन क्रमांक EC02753 दिनांक 26/08/2011 को हुआ था, जो कि दिनांक 08/05/2014 को मुख्य अभियंता, लोक निर्माण विभाग, उत्तर परिक्षेत्र, ग्वालियर द्वारा आदेश क्रमांक सा/401/कान/126/2012/7663 के माध्यम से तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था।
इसके बावजूद, ठेकेदार ने जल संसाधन विभाग अंतर्गत डिंडोरी जिले के रनगांव में डेम निर्माण (NIT क्रमांक 391DL दिनांक 20/10/2015) हेतु कार्य किया और एग्रीमेंट क्रमांक 10DL/2015-16 दिनांक 16/12/2015 के अंतर्गत कार्य स्वीकृत करवाकर ₹3.5 करोड़ की लागत का भुगतान भी प्राप्त कर लिया।
– सूचना का अधिकार के तहत जानकारी देने में भी टालमटोल
शिकायतकर्ता अशोक शर्मा के भाई राकेश शर्मा द्वारा सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम 2005 के अंतर्गत ठेकेदार के पंजीयन की स्थिति व भुगतान की जानकारी मांगी गई, लेकिन लोक सूचना अधिकारी डिंडोरी द्वारा स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई। इस मामले में राज्य सूचना आयोग, भोपाल में दिनांक 08/09/2023 को द्वितीय अपील दर्ज की जा चुकी है। इसके अतिरिक्त 22 फरवरी और 15 मार्च 2025 को भी जानकारी मांगी गई, लेकिन आज तक जवाब नहीं मिला।
– ब्लेक लिस्टेड ठेकेदार ने कई जिलों में किया करोड़ों रुपए का कार्य
सूत्रों की मानें तो संजीव शर्मा द्वारा पंजीयन निलंबन के बावजूद डिंडोरी सहित अन्य जिलों में भी सरकारी निर्माण कार्य किए गए हैं, जो कि मप्र लोक निर्माण नियमावली, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 और भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 468, 471 (धोखाधड़ी, जालसाजी और नकली दस्तावेजों का उपयोग) के सीधे उल्लंघन की श्रेणी में आता है, एमपी लोक निर्माण विभाग के नियम अनुसार केवल वैध पंजीकृत ठेकेदार ही टेंडरिंग और एग्रीमेंट प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं। लेकिन ठेकेदार को अधिकारियों ने नियमों को नकारते हुए अवैध रूप से करोड़ों रुपए का भुगतान किया है।
– शिकायत कर्ता ने की निष्पक्ष जांच और FIR की माँग
शिकायतकर्ता अशोक शर्मा निवासी ग्वालियर ने ने अपर मुख्य सचिव, जल संसाधन विभाग को पत्र प्रेषित कर मामले की उच्च स्तरीय जांच कराए जाने तथा ठेकेदार संजीव शर्मा के खिलाफ FIR दर्ज करने सहित अन्य धाराओं में विधिसम्मत कार्रवाई की मांग की है।
उपयंत्री/एसडीओ बने गोपनीय पेटी ठेकेदार, डिंडौरी को कर रहे बर्बाद
जिले में जल संसाधन विभाग द्वारा किसानों को सिंचाई सुविधा मुहैया कराने के नाम पर 100 से अधिक बांध एवं जलाशय का निर्माण कराया गया है, जिससे विभागीय अधिकारी 40 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित किए जाने का कागजी दावा किया जा रहा है। दरअसल दशकों से जमे कथित अधिकारी ठेकेदारो को मोहरा बना कर खुद पेटी ठेकेदार बनकर निर्माण कार्यों के नाम पर पलीता लगा रहे हैं। जिससे कागजों में विकास दौड़ रहा है और जमीनी हकीकत बद से बदतर है। स्वयं ठेकेदार बने अधिकारी /उपयंत्री कागजों में ही काम पूर्ण कर अपना विकास कर रहे वही डिंडौरी के बुनियादी विकास को बर्बाद कर रहें हैं।