डिंडौरी मध्यप्रदेश

सहायक आयुक्त ने मिठाई बाँट कर बच्चों से कराया सार्वजनिक चरण स्पर्श,गोंगपा फूकेंगी पुतला

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– छात्रावासी बच्चों को शिविर में भेजने की बाल अधिकार आयोग में दर्ज कराई शिकायत
– गोंगपा युवा मोर्चा फूकेंगी सहायक आयुक्त शुक्ला के पुतला
– एडवोकेट आर्यन उरमलिया ने बाल अधिकार आयोग में दर्ज कराया शिकायत

 

डिंडौरी। आदिवासी बहुल डिंडौरी जिले में अधिकारियों की मनमानी इस कदर हावी हैं कि छात्रावासी नोनिहालो को संगठनों के कार्यक्रम में भेजकर खुद की पीठ थपथपाते हुए संगठन की नजरों में महान बनने की कोशिश कर रहे हैं। सरकारी छात्रावासों में रह रहे बच्चों को उनके मर्जी के विरुद्ध जबरन शिविर में भेजने को लेकर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के युवा मोर्चा ने सहायक आयुक्त डॉ.संतोष शुक्ला का आज पुतला दहन करने का ऐलान किया है।

 

 

 

वही एडवोकेट आर्यन उरमलिया ने बाल अधिकार आयोग को लिखित शिकायत भेजकर अवगत कराया है कि सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग डिंडौरी के द्वारा आदिवासी स्कूली बच्चों को जनजाति कल्याण केंद्र बरगांव में आयोजित शिविर में भेजा गया है। पत्र में लेख हैं कि 24 अप्रेल से आयोजित शिविर में आदिवासी बहुल डिंडोरी जिले के शहपुरा, मेहँदवानी ,अमरपुर, डिंडोरी के छात्रावासों में रह रहे छात्रों को जबरन शिविर में भेजा गया है। उन्होंने लेख किया है कि सहायक आयुक्त ने पद का दुरुपयोग करते हुए शाशन के निर्देशों के विपरीत बच्चों को भेजा गया है, यह आचरण बाल अधिकारों के विरूद्ध हैं। बताया गया की शिविर का कार्यक्रम न तो शासकीय हैं न ही राजनीतिक हैं,इसके बावजूद स्कूली बच्चों को शिविर में भेजा जाना एक तरह से बच्चों का शोषण हैं। उन्होंने बाल संरक्षण आयोग से कठोर कार्यवाही करने की माँग की हैं।

बच्चो को बनाया जा रहा भीड़ का हिस्सा
अक्सर देखा जाता है कि नेताओ के आगमन और प्रशासनिक कार्यक्रमों में भीड़ की पूर्ति के लिए बड़े पैमाने पर स्कूली बच्चों को शामिल किया जाता है,एक तरह से स्कूली बच्चों को भीड़तंत्र में बदलने की परंपरा विकसित की जा रही हैं जो कि उनके विद्यार्थी जीवन में संकट बन रहा है। खासकर सरकारी स्कूलों और छात्रावासों में अध्ययनरत बच्चे अफसरशाही का शिकार होते हुए अधिकारियों के महत्वकांक्षा की भेंट चढ़ रहे हैं।

सामूहिक चरण स्पर्श का वीडियो वायरल
जनजाति कल्याण केंद्र में आयोजित कार्यक्रम के दौरान सहायक आयुक्त के द्वारा नोनिहालो को मिठाई बांट कर लाइन लगाकर बच्चो से।सामूहिक तौर से चरण स्पर्श कराया जा रहा है,जिसको लेकर चर्चा है कि अधिकारी किस हैशियत से बच्चों से चरण स्पर्श करा रहे हैं, दुर्भाग्य की बात यह हैं कि जिले में पदस्थ सरकारी नोकर जो जनता की सेवा करने के लिए भेजे गये हैं किंतु वह स्वयं को ही भाग्य विधाता समझ बैठे हैं,सरकार और प्रशासन को ऐसे अधिकारी की भृम जल्द दूर करना चाहिए जिससे उन्हें यह महसूस हो सके कि आखिर वह भी सरकारी सेवक हैं और सामूहिक तौर पर बच्चों से चरण स्पर्श करना असभ्यता का प्रतीक हैं।

 

 

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