डिंडौरी मध्यप्रदेश

जिला चिकित्सालय में लड़खड़ाई स्वास्थ्य सेवायें,मरीज हलाकान

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– जिला चिकित्सालय में पदस्थ डॉ. स्वयं के निवास स्थान पर कर रहै डयूटी
– मरीजों को संबंधित डॉक्टर को खोज कर इलाज कराने की दे रहै नसीहत
– निजी क्लीनिक संचालित कर रहै सरकारी डॉक्टर,जिला चिकित्सालय की व्यवस्था ठप

 

डिंडौरी। जिले का सबसे बड़ा अस्पाताल जिला चिकित्सालय लंबे समय से पदस्थ चिकित्सको के मनमानी के चलते सफेद हाथी साबित हो रहा है,जिला चिकित्सालय के माध्यम से आदिवासी बाहुल्य जिले के आम जनो को बेहतर स्वास्थ सेंवायें मुहैया कराने के उदद्ेष्य से राज्य सरकार के द्वारा प्रतिवर्ष अरबो रू. व्यय किया जा रहा है,किन्तु जिला चिकित्सालय की व्यवस्थाएं दिनो दिन बेपटरी होती जा रही हैं,कहने को तो जिला चिकित्सालय में 24 घंटे स्वास्थ सेवायें उपलब्ध है किन्तु जब अस्पाताल से चिकित्सक ही नदारत रहेंगें तो रोगियो का ईलाज कौन करेगा…?

 

जिला चिकित्सालय में दिन भर आसपास एवं दूरांचल ग्रामों के बिमारियो से ग्रसित मरीज इलाज कराने आते हैं, पर डॉक्टरो के न मिलने से निराश हो जाते है। वही आपातकालीन वार्ड से भी चिकित्सक नदारत रहते हैं ,जिससे गंभीर मरीजो को भी डॉक्टर के आने का इंतजार करना पड़ता है। जिला अस्पताल की तमाम व्यवस्थाएं नर्सों के भरोसे चल रही है। कोरोना संक्रमण के दौरान अस्पातालो के हालात सुधारने के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार के द्वारा कडे़ प्रयत्न किए गये थे जिसका असर भी डिंडौरी जिला चिकित्सालय में दिखाई नही दे रहा है ,एक तरफ डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, स्मार्ट इंडिया, हेल्थ ़फॉर ऑल, आयुष्मान भारत जैसी विभिन्न योजनाओं के ढोल पीटा जा रहा है वही दूसरी ओर आम लोगों को बुनियादी स्वास्थ्य सेवा तक उपलब्ध नहीं होना रहनुमाओं को आईना दिखाने के लिए काफी है। लापरवाह व हांफते हुए सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था के चलते मजबूरी में लोग झोलाछाप डॉक्टरो व सरकारी चिकित्सको के निजी दवाखाना के शरण में जाने पर मजबूर हैं।

 

 

जनप्रतिनिधि एवं कद्द्ावर नेता मौंन
जिले समेत क्षेत्र के तमाम राजनीतिक दलो के स्वघोषित दिग्गज नेता जिनकी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर होती है वह भी स्वास्थ्य व्यवस्थाएं दुरूस्त कराने में नाकाम हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार यहां पर पदस्थ डॉक्टर ड्यूटी के दौरान चैंबर एवं वार्डों से ही गायब रहते है। डॉक्टरों की मनमानी कार्यप्रणाली का खामियाजा ग्रामीण क्षेत्रो से उपचार कराने आये भोले भाले आम नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है। जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधार कराने में प्रषासन एवं जनप्रतिनिधियो के द्वारा समुचित पहल नही की जा रही है। सत्ताधारी पार्टी के कददावर राष्ट्रीय नेता एवं क्षेत्रीय सांसद समेत प्रभारी मंत्री के द्वारा कई बार दौरा किया गया है फिर भी स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमराई हुई है। जिला चिकित्सालय विधायक,सांसद और जिला प्रषासन के लिए फोटो सेषन पॉईंट बनकर रह गया है,जब भी कोई नेता मंत्री आते है तो निरीक्षण और निर्देष की औपचाकिता पूर्ण कर अखबारों की सुर्खियो में बने रहते है। अनेको दफा बैठक आयोजित कर स्वास्थ्य व्यवस्थाएं सुधार को लेकर संबंधित अधिकारी कर्मचारियों को निर्देषित किया गया है किंतु जिला चिकित्सालय की व्यवस्थाएं दिनो दिन बद से बदत्र होती जा रही है।

डॉक्टर स्वयं के निवास स्थान में कर रहे डयूटी
स्वास्थ विभाग के मुखिया सीएमएचओ की हीलाहवाली रवैये का असर सीधे स्वास्थ्य व्यवस्था पर पड़ रहा है। सुस्त कार्यप्रणाली के चलते पदस्थ डॉक्टर कर्तव्यो को दरकिनार करते हुए मनमानी पर उतारू है। डॉक्टर अपने निवास स्थान में ही डयूटी कर रहै है, जब एक डॉक्टर डयूटी के दौरान चैंबर एवं वार्डो में बैठने के बजाए अपने स्वयं के निवास स्थान में बैठकर डयूटी कर रहै थे। जॅहा पर पीड़ित मरीज एवं परिजनों के द्वारा ओपीडी पर्ची लेकर ईलाज कराने पहूॅच रहै थें। सोषल मीडिया में वायरल एक वीडियो में डॉक्टर ने गंभीर पीड़ित मरीजों को कहा कि संबंधित डॉक्टर को खोजकर इलाज कराएं मै ठेका नही लिया हूॅ।

 

अस्पताल में भर्ती गंभीर मरीज हो रहै परेषान
जिला चिकित्सालय में दूरांचल ग्रामों से लोग तमाम प्रकार की बीमारियों का इलाज कराने स्वास्थ होने के उम्मीद लगाकर आते है कि षासकीय अस्पताल में बेहतर उपचार एवं बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराया जाता है किंतु अस्पताल में आने के बाद मरीजों को काफी परेषानियों का सामना करना पड़ता है। आरोप है कि यहां पर मरीजों को बेहतर उपचार नही मिल पा रही है। यह है कि अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर चैंबर एवं वार्डों में कई दिनों से गायब रहते है,इतना ही नही बल्कि डॉक्टर आते भी है तो जिला चिकित्सालय का दर्षन कर पुन : चले जाते है। वहीं उपचाररत पीड़ित मरीज एवं परिजनों के द्वारा बताया गया है कि यंहा पर 6 से 7 दिनों तक डॉक्टर देखने नही आए और न ही किसी प्रकार की जांच किया जा रहा है।

 

नर्सो के भरोसे जिला चिकित्सालय
बताया गया कि जिला चिकित्सालय में उपचार कराने आए पीड़ितो को नर्सो के द्वारा ही इलाज किया जाता है, जो कि इनके द्वारा भी समय समय पर देख रेख नही किया जाता है। मौके पर उपस्थित नर्सों को यह भी जानकारी नही रहता है कि कौनसी डॉक्टर का डयूटी है, बताया गया कि अधिकांष सरकारी डॉक्टर निजी क्लीनिक संचालित कर कमाई करने में लगे हुए है,उन्है डयूटी और कर्तव्यो से कोई मतलब नही है…? मरीजों ने नाम प्रकाषित न करने की शर्त पर यह सब जानकारी दी है, बताया गया कि अस्पताल में पेयजल समेत तमाम प्रकार की पर्याप्त सुविधाएं नही मिल पा रही है और वॉटर टंकी एवं बाथरूम का सफाई नही होने के कारण तेजी से गंदगी पैर पसार रही है।

 

 

 

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