डिंडौरी मध्यप्रदेश

जिले में स्थित प्राचीन प्राकृतिक एवं ऐतेहासिक स्थलों को विकसित करने की माँग

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– डिंडौरी को राष्ट्रीय पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने प्रमुख सचिव को भेजा प्रतिनिधित्व पत्र- एड. सम्यक् जैन एवं दीपेश कुमार ठाकुर ने प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग शिवशेखर शुक्ला को भेजा ज़िले के प्राकृतिक क्षेत्र का ब्लूप्रिंट

– चिन्हित प्राकृतिक एवं ऐतेहासिक महत्व के स्थलों को राष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने पर युवाओं को रोजगार के अवसर और सरकार को मिलेगा राजस्व

डिंडौरी। सूबे का आदिवासी बाहुल्य डिंडौरी ज़िला जो कि बड़ी संख्या में प्राकृतिक सौंदर्य स्थलों एवं ऐतेहासिक महत्व के धरोहरों से सम्पन्न है,जिम्मेदारो के द्वारा जिले में चिन्हित स्थलों का राष्ट्रीय पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित किया जाए तो निश्चित ही बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित होंगे वही राज्य सरकार को भी मोटी राजस्व प्राप्त होगी ,किन्तु दुर्भाग्य की बात यह है कि आज तक इस और जनप्रतिनिधियों के साथ ही प्रशासनिक अमले व जिम्मेदार मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग के द्वारा प्राकृतिक के अनमोल धरोहरो को प्रचारित और विकसित करने के लिए समुचित प्रयास नही किया गया है,जिसके चलते प्रकृति के अनुपम कृति और ऐतेहासिक,भौगोलिक महत्व के दर्जनों से अधिक संख्या के स्थल उपेक्षित हैं,पर्यटन की विकसित होने की संभावनों से कोसों दूर है। यहाँ माँ नर्मदा का अपार जल सम्पदा भी है। लिहाज़ा प्रशासन को ज़िले में पर्यटन क्षेत्र पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ,ताकि स्थानीय लोगों को उनके क्षेत्र में ही रोज़गार मिले और उनका पलायन रुक सके।

 

 

प्राकृतिक सौंदर्यता से अच्छादित हैं डिंडौरी जिला

डिंडौरी पहाड़ों के बीच में स्तिथ है जिसकी ख़ूबसूरती मानसून में निखर कर सामने आती है यहाँ की सुहाने प्राकृतिक वादियां लोगों को एक अलग सा अहसास महसूस कराती है । परंतु बारिश जाने के बाद ऐसा लगता है मानो जैसे दूर दूर तक फैले पहाड़ों को प्रकृती ने मख़मली चादर ओढा दी हो। डिंडौरी वनो और पहाड़ों से आच्छादित ज़िला है जहाँ चहुओर आज भी घने जंगल पहाड़ और इठलाती जीवंत नादिया है । इन नदियों में ढेरों जल प्रपात है और मनमोहक झरने हैं जो सहसा ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते है, यह नदियाँ, झरने और जंगल व पहाड़ ज़िले की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन के रूप में बन सकते है । ज़रूरत है तो सिर्फ़ इन प्राकृतिक धरोहरों को संरक्षित कर विकसित करने की । इनके संरक्षण व विकास से ज़िले के युवाओं को जहाँ रोज़गार मिलेगा वही ज़िला पर्यटन की दृष्टि से प्रदेश ही नहीं देश में भी अपनी पहचान बना सकेगा ।

 

बड़ी संख्या में मौजूद हैं प्राकृतिक,ऐतेहासिक एवं भौगोलिक महत्व के स्थल

ज़िले में राष्ट्रीय जीवाश्म उद्यान घुघवा, कारोंपानी ब्लैक बग पार्क, नैचरल नेवसा फ़ॉल, डगोना फ़ॉल, देवनाला, हल्दी करेली, गौराकनहरी जल प्रपात, लक्ष्मण मड़वा, गोरखपुर डैम शाहपुर आदि के अलावा भी कई ऐसे प्राकृतिक स्थल है जो अपने आप में काफ़ी रोमांचक है ।

 

 

जागरूक युवाओं ने लिखा मध्यप्रदेश पर्यटन विकास विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र

जिले के जागरूक युवा एड. सम्यक् जैन एवं दीपेश कुमार ठाकुर ने प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग को चिन्हित स्थलों को विकसित किये जाने को लेकर ज़िले के प्राकृतिक क्षेत्र का ब्लूप्रिंट तैयार कर भेजा हैं। पत्र के मध्यम से उन्होंने माँग किया है कि ब्लू प्रिंट में उल्लेखित सम्पूर्ण विषय को गम्भीरता से लेते हुए प्राकृतिक स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने हेतु सार्थक प्रयास किया जाए। जिससे स्थानीय युवाओं को रोज़गार का अवसर प्राप्त होगा, रोजगार के लिए महानगरों की ओर बड़ी मात्रा में हो रहे पलायन पर रोक लग लगाया जा सके। राज्य सरकार पर्यटन और अन्य तरह की करो से मोटी राजस्व प्राप्त कर सकेगी और प्रकृति का संरक्षण करते हुए जीवन शैली एवं स्थानीय समृद्ध आदिवासी संस्कृति का पैगाम दुनिया के सामने आ सकेगा। इसके पूर्व मध्यप्रदेश के पूर्व गवर्नर महामहिम श्रीमती आनंदी बेन पटेल से प्रतिनधि मंडल ने भेंट कर उन्हें भी जिले में पर्यटन की अपार संभावनाओ को लेकर ब्लू प्रिंट सौंपा था, उन्होंने पर्यटन एवं पुरातत्व विभाग को निर्देश जारी करने का आश्वासन भी दिया था किंतु फिलहाल तक कोई समुचित पहल होता नजर नही आ रहा है।

 

 

 

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