संवाददाता:- रितेश गुप्ता
लोकेशन:- कोरबा
कटघोरा वनमंडल में कराए जाने वाले निर्माण कार्यों के ठेकेदार बने कैंपा के पीसीसीएफ व्ही श्रीनिवास राव अपने रिश्तेदारों को दिलाया सप्लाई का ठेका और रिश्तेदारों को दिलाया निर्माण का भी ठेका घटिया समाग्री सप्लाई कोई माई- बाप नही..! घटिया सीमेंट, जंगल के पत्थरों की गिट्टी, नदी से रेत निकालकर दिया जा रहा स्टॉपडेम के घटिया निर्माण को अंजाम, भ्रष्ट्राचार चरम पर
कोरबा-पाली।* लगता है भ्रष्टाचार करने के लिए छत्तीसगढ़ शासन में वन विभाग में पदस्थ कैंपा मत के सीईओ एवं पीसीसीएफ वी श्रीनिवास राव की दखलंदाजी से कटघोरा वन मंडल में भ्रष्टाचार चरम पर है वर्तमान सरकार में शासन- प्रशासन नाम की कोई चीज ही नही है जहाँ कटघोरा वनमंडल द्वारा जंगलों में कराए जा रहे स्टापडेम के निर्माण पर भ्रष्टाचार हावी है और ठेकेदार द्वारा जंगल से ही गिट्टी, रेत निकाल कर स्टॉपडेम में खपाया जा रहा है तथा सीमेंट भी घटिया लगा रहा है। वहीं मजदूरी भी कम दे रहा है तो भला अधिकारियों से सांठगांठ में कोई कसर कैसे छोड़ेगा। अगर अधिकारी और अधीनस्थ जिम्मेदार कर्मचारी बिके नहीं हैं तो भला ऐसे घटिया कार्य पर रोक लगाकर ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट/ठेका निरस्तीकरण की कार्यवाही आखिर क्यों नहीं करते..?
कटघोरा वनमंडल के पाली वनपरिक्षेत्र अंतर्गत जेमरा सर्किल के बगदरा बीट में कोकमा (आराडबरा) नाला में करीब 28 लाख के स्टापडेम का निर्माण कार्य एक दो दिन पूर्व शुरू किया गया है। इस कार्य में अधिकारियों की मिलीभगत से सीमेंट के आपूर्तिकर्ता ठेकेदार द्वारा हाईटेक एवं पॉवर प्लस जैसे बेहद सस्ते सीमेंट की आपूर्ति की गई है जबकि निर्माण कार्यों के मजबूती के लिए 53 ग्रेड सीमेंट जैसे- लाफार्ज, अल्ट्राटेक, एसीसी, सेंचुरी गोल्ड, डालमिया और डबल बुल का उपयोग होना है लेकिन ठेकेदार द्वारा बेहद हल्का 32 ग्रेड का हाईटेक एवं पॉवर प्लस सीमेंट उपयोग में लाया जा रहा है जिसकी बाजार भाव थोक में 130- 140 व चिल्हर 160- 170 रुपए भाव है जिसमे राखड़ की मात्रा काफी अधिक होती है तथा जिसके उपयोग करने से निर्माण की गुणवत्ता व टिकाऊपन की कोई गारंटी नही रहती। एक गरीब वर्ग भी अपना मकान बनाते समय अच्छे से अच्छा सीमेंट का उपयोग करने की सोचता है ऐसे में भला इस तरह के घटिया सीमेंट का निर्माण में किये जा रहे उपयोग से स्टापडेम की मजबूती व पानी को रोके रख पाने पर संदेह उठना जायज है। मौके पर पाया गया कि बेस कार्य में 40 एमएम क्रशर गिट्टी के स्थान पर समीप से ही पत्थर खोदकर उसे बड़े-बड़े हथौड़ों से तोड़कर गिट्टी का आकार देते हुए उसी गिट्टी का उपयोग किया जा रहा है जो कि गलत है। उपरोक्त नाला के निर्माण कार्य के लिए बाकायदा गिट्टी की मांग भी जारी हुई है लेकिन ठेकेदार के द्वारा गिट्टी की सप्लाई ना कर जंगल से ही पत्थरों को तोड़कर डाला जा रहा है। स्थानीय बगदरा निवासी मजदूरों के माध्यम से 1 हजार रुपये प्रति ट्रेक्टर की दर से पत्थर तोड़वाने की जानकारी मजदूरों ने दी है। इसी तरह निकटस्थ आराडबरा नाला के ही रेत को जेसीबी के माध्यम से उत्खनन कर कार्य में लगाया जा रहा है।
*0 मजदूरी खाता में लोगे तो 280, नगद में 200 रुपये*
मजदूरों के खाते में मजदूरी भुगतान के बजाय नगद 200 के हिसाब से भुगतान किया जा रहा है जबकि वन विभाग के कार्यो में शासकीय दर 280 रुपये के हिसाब से भुगतान किया जाना निर्धारित है। मजदूरों को च्वाइस दी गई है कि खाता में पैसा लोगे तो 280 रुपये मिलेगा व न जाने कब पैसा आये, न आये और नगद लोगे तो 200 रुपये मिलेंगे। अब मजदूर वनविभाग द्वारा कराए गए पूर्व कार्यों के भुगतान हालात से वाकिफ हैं इसलिए कम ही सही नगद ले रहे हैं। लाखों के निर्माण कार्य में कहीं पर भी छड़ का उपयोग नजर नहीं आ रहा और ना ही आसपास भंडारण देखने को मिला है।
*0 रेंजर का दावा – करेंगे अच्छा निर्माण*
इस मामले में रेंजर केदारनाथ जोगी की सफाई यह रही कि स्थल पर गुणवत्तापूर्ण कार्य कराया जाएगा। एसीसी और अच्छे क्वालिटी के सीमेंट का उपयोग किया जा रहा है लेकिन जब हाईटेक और सुपर पावर सीमेंट मौजूद होने की जानकारी दी गई तो कहा कि धोखे से आ गया होगा लेकिन अच्छा सीमेंट लगाएंगे। उनके इस कथन से यह जाहिर हो रहा है कि या तो वे निर्माण स्थल का कभी निरीक्षण नही करते या फिर सबकुछ जानते हुए अनजान बनने का प्रयास कर रहे हों। वहीं स्टॉपडेम कार्य के लिए खोदे जा रहे पत्थरों को तोड़कर लगाने के जवाब में कहा कि 65 एमएम एन ब्रोकर का उपयोग का प्रावधान है। अकलतरा से गिट्टी मंगवाई गई है, काम पूरी तरह गुणवत्तापूर्ण होने का दावा फिलहलाल उन्होंने किया है।
*0 अवैध खनन पर बनता है आपराधिक मामला*
जब हमने इस तरह के कार्यों के जानकारों से जानकारी जानना चाहा तो बताया गया कि बेस कार्य में 40 एमएम क्रेशर की गिट्टी का ही उपयोग अनिवार्य है। इसके बाद के कार्यों में 20 एमएम की गिट्टी उपयोग होना है। यदि बड़े नाले पर स्टॉप डैम का निर्माण हो रहा हो तो वहां एक दो ट्रैक्टर बड़े पत्थरों की गिट्टी का उपयोग किया जा सकता है लेकिन प्रावधान में कहीं भी नहीं है कि जंगल से पत्थर तोड़ कर गिट्टी लगाया जाए। यह तो अवैध खनन का अपराध भी है क्योंकि जंगल से पत्थर तोड़ने पर पूर्ण पाबंदी है जिसके लिए माइनिंग एक्ट और वन अधिनियम के तहत कार्यवाही होनी चाहिए।
भला जंगल से पत्थर तोड़ने की जरूरत क्यों जबकि टेंडर गिट्टी आपूर्ति का हुआ है। स्थानीय मजदूरों के बताए अनुसार उपरोक्त स्टॉपडेम निर्माण कराने वाले ठेकेदार ने उन्हें 70 ट्रैक्टर गिट्टी तोड़ने के लिए कहा है जिसमे प्रति ट्रैक्टर 1000 रुपये की मजदूरी तय की गई है। अब 70 ट्रैक्टर गिट्टी में तो पूरा स्टॉपडैम का निर्माण हो जाएगा। हालांकि दिखाने के लिए निर्माण स्थल के निकट लगभग तीन हाईवा गिट्टी अकलतरा से मंगा कर डंप करा दी गई है। अवैध गिट्टी का उपयोग कब और कितना किया जाएगा यह तो ठेकेदार और कार्य की देखरेख करने वाले रेंजर तथा डिप्टी रेंजर ही जानें लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि स्टॉपडेम के निर्माण में जमकर बंदरबांट और गुणवत्ताहीन कार्य कराकर खुला भ्रष्ट्राचार को अंजाम दिया जा रहा है।
*0 वनविभाग द्वारा कराए जा रहे गुणवत्ताहीन निर्माण पर कार्यवाही होनी चाहिए : सरपंच*
इस विषय में ग्राम पंचायत जेमरा के सरपंच भंवरसिंह उइके ने भी निर्माण स्थल के पास जाकर कार्य का जायजा लिया है और कहा है कि कार्य पूरी तरह गुणवत्ताहीन नजर आ रहा है।
घटिया से घटिया क्वालिटी के सीमेंट का उपयोग, जंगल का पत्थर और नदी से निकाली गई रेत उपयोग की जा रही है जिससे कार्य कितना टिकाऊ हो पाएगा यह संदेहास्पद है। जंगल में पानी रोकने के लिए बनाया जा रहा स्टॉपडेम ज्यादा समय तक लाभ नहीं दे पाता और बरसात में बह जाता है। इसका लाभ ना तो जंगल के आसपास रहने वाले किसानों को और ना ही गर्मी के मौसम में जानवरों को मिल पाता है। यही कारण है कि पानी के अभाव में जंगली जानवर इधर-उधर भटक कर शहर और गांव में पहुंच जाते हैं। सरपंच ने इस तरह के कार्यों पर रोक लगाने, ठेकेदार पर कार्यवाही और जिम्मेदार अधिकारियों पर भी सख्ती की अपेक्षा जाहिर की है।