उमरिया

*कब मिलेगी मानपुर को नगर की शक्ल-ओ-सूरत* —-

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*कब मिलेगी मानपुर को नगर की शक्ल-ओ-सूरत*
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*भवन स्वीकृत, स्टाफ नहीं, कब सर्वे होगा? कब बुनियादी सुविधाओं का विस्तार ?

*उमरिया । राज्य शासन ने मानपुर को ग्राम पंचायत से नगर पंचायत के रूप में अधिसूचित करने में जितनी तीव्रता दिखाई थी, अन्य कार्यवाहियों के मामले में उतना ही सुस्त नजर आ रहा है । उम्मीद की जा रही थी कि नगर परिषद की अधिसूचना के बाद मानपुर को नगर की शक्ल-ओ-सूरत प्रदान करने के लिए भी राज्य शासन उतनी ही रुचि, उत्साह और प्राथमिकता प्रदर्शित करेगा लेकिन अभी तक की प्रगति से लोगों को निराशा ही हाथ लगी है । ध्यान देने योग्य है कि मानपुर का ये हाल तब है जबकि मानपुर शिव सरकार की वरिष्ठ मंत्रिमंडलीय सहयोगी और काबिल काबीना मंत्री मीना सिंह की विधानसभा का मुख्यालय है । मौजूदा स्थिति में नजर डालें तो नगर परिषद के कार्यालय भवन के लिए राशि तो स्वीकृत हो चुकी है, लेकिन स्टाफ नहीं है । एक सफाई के काम को छोड़ दें तो बाकी चीजों को रफ्तार ही नही मिल रही है । कब टोपोग्राफिकल सर्वे होगा ! कब सड़कों का वर्गीकरण ? कब बुनियादी सुविधाओं का विस्तार ? सब कुछ अनिश्चय के गर्त में है । कोरोना महामारी ने नाकामियों को ढकने का एक बहाना जरूर दिया है, लेकिन कब तक ! एक समय के बाद यह बहाना भी काम नही आने वाला ।*

*भवन स्वीकृत, स्टाफ नही*
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राज्य शासन द्वारा नगर परिषद मानपुर के कार्यालय भवन के निर्माण हेतु राशि रुपए 75,00000 स्वीकृत किये जा चुके हैं । उम्मीद की जा रही है कि अगले हफ्ते-दस दिन में इसका टेंडर भी जारी हो जाएगा । लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि नगर परिषद का कार्यालय चलाने के लिए अभी तक स्टाफ प्रदान नहीं किया गया है । सीएमओ, उपयंत्री और प्रभारी अकाउंटेंट के भरोसे चीजें किसी तरह घिसट रही हैं । जो एक निर्माणाधीन नगर परिषद की सेहत के लिए ठीक नही है । होना ये चाहिए था कि नगर परिषद के लिए नियमतः स्वीकृत पूरा स्टाफ दिया जाता, ताकि वह अपनी पूरी क्षमता से इस नगर परिषद का स्वरूप शीघ्रातिशीघ्र गढ़ने में मददगार साबित होता ।

*शूटकेस में कार्यालय*
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मानपुर के लोग मजाक में कहते हैं कि नगर परिषद का कार्यालय उपयंत्री के शूटकेस में चलता है । ज्ञात हो कि नगर परिषद मानपुर के उपयंत्री देवल सिंह की मूल पदस्थापना नगर पालिका उमरिया में है, इसके अलावा चंदिया नगर परिषद का प्रभार भी उनके पास है, बावजूद इसके उनको मानपुर में भी पदस्थ कर दिया गया । अब एक आदमी कहां-कहां पूजेगा । चूंकि ग्राम पंचायत के स्टाफ का संविलियन नगर परिषद में अभी तक हुआ नही है इसलिए उन्हें कोई महत्वपूर्ण दायित्व दिया नहीं जा सकता और सीएमओ व उपयंत्री के अलावा दूसरा कोई है नहीं । जाहिर सी बात है ऐसी स्थिति में नगर परिषद मानपुर का कार्यालय सूटकेस में चलाने के अलावा और कोई विकल्प भी नहीं है ।
नगर परिषद के कार्यालय के विधिवत संचालन के लिए एक स्थाई अकाउंटेंट, राजस्व शाखा में के लिए एक मुख्य लिपिक और एक सहायक लिपिक एक कंप्यूटर ऑपरेटर की न्यूनतम आवश्यकता है ।

*नहीं हुआ टोपोग्राफिकल सर्वे*
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टाउनशिप की थोड़ी सी समझ रखने वाले इंसान को भी यह मालूम है कि उसके लिए सड़कों का वर्गीकरण और जल मल निकासी के लिए ढलान का सही सही आंकलन आवश्यक है, जो बिना टोपोग्राफिकल सर्वे के लगभग असंभव है । लेकिन हैरानी की बात है कि मानपुर के समुचित विकास के लिए ना तो अभी तक कोई व्यवस्थित प्लानिंग की गई है, न जरूरी सर्वे ऐसी स्थिति में या तो विकास कार्य रुके रहेंगे अथवा होंगे तो उनमें शासकीय राशि तो व्यय हो जाएगी लेकिन जरूरी नहीं कि वह शहर की दीर्घकालीन आवश्यकताओं की पूर्ति करें ।

*इनका कहना है*–
*भवन निर्माण की निविदा शीघ्र ही जारी होगी , टोपोग्राफिकल सर्वे की नोटशीट प्रशासक को भेजी जा चुकी है , प्रक्रिया प्रगतिरत है । लिपिकीय स्टाफ की जरूर सख्त आवश्यकता है । मामला राज्य शासन के संज्ञान में है, शीघ्र ही पदस्थापना हो जाएगी ।*
*देवल सिंह, उपयंत्री, नगर परिषद , मानपुर, जिला – उमरिया ( म. प्र. )*

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