– सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी गाइड लाइन की उड़ाई धज्जियां
– भ्रष्टाचार और लूट चरम पर, मंत्रीजी आप कहा हो
– कांग्रेस ने जारी की गुमशुदगी की पोस्टर,तब भी मंत्री जी लापता
– मंत्री ने किन महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर भेजा सीएम को रिपोर्ट..?

डिंडौरी। एक तरफ सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान संगठन और शासन को जन जन के द्वार तक पहुंचाने के लिए महत्वकांक्षी विकास यात्रा निकाल रहें हैं,वही दूसरी और जिले के प्रभारी मंत्री डॉक्टर मोहन यादव लंबे समय से गायब हैं, यहाँ तक कि जिला कांग्रेस ने प्रभारी मंत्री के गुमशुदगी के पोस्टर जारी कर खोजने वाले को ईनाम देने की घोषणा भी कर चुकी हैं, इसके बाद भी माननीय मंत्री जी का पता नहीं है। मुख्यमंत्री द्वारा जिलों में योजनाओं के सफल क्रियान्वयन व आम जनता के तकलीफों को दूर करने के लिए लिए मंत्री मंडल के सदस्यों को जिले का पालक मंत्री का दायित्व सौंपा जाता हैं,पालक मंत्री को प्रभार के जिलों का अभिभावक माना जाता है, प्रभारी मंत्रियों के मेहनत,विजन और सामंजस्य से ही जिले की दिशा व दशा तय होती हैं। शिवराज सिंह सरकार ने डिंडौरी जिले का प्रभारी मंत्री उच्च तकनीक शिक्षा मंत्री डॉक्टर मोहन यादव को जिम्मेदारी सौंपी है, लेकिन आदिवासी बहुल डिंडौरी जिला प्रभारी मंत्री मोहन यादव के उदासीनता और लापरवाह रवैये से दिशाहीन हो चला है।
प्रभारी मंत्री यादव प्रभार के डिंडौरी जिले को अनाथ छोड़ कर राजधानी में ऐशो आराम फरमा रहे हैं, वही सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा पालक मंत्रियों के पालन के लिए जारी की गई गाइडलाइन कि धज्जियां उड़ा रहे हैं। जिले में चर्चा है कि मोहन यादव के प्रभारी मंत्री रहते जिले में फर्जीवाड़ा और भ्रष्टाचार चरम पर हैं, और सीएम के आंख कहे जाने वाले प्रभारी मंत्री यादव आंख बंद कर तमाशबीन बने हुए हैं, जिस तरह से जिले में घपले घोटाले और बडे पैमाने पर भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं, वही प्रभारी मंत्री के जिले से नदारत रहने से कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं,जिले में चर्चा का विषय यह भी हैं क्या भ्रष्टाचारियो को मंत्री का मौन समर्थन और संरक्षण मिला हुआ है..?क्या इसी वजह से प्रभारी मंत्री जिले में आने से कतरा रहें हैं..?
ये हैं सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी प्रभारी मंत्री के लिए दिशा निर्देश
सामान्य प्रशासन विभाग वल्लभ भवन भोपाल के द्वारा दिनाँक 3 फरवरी 1999 को प्रभारी मंत्रियों के दायित्वों का पालन हेतु मार्गदर्शिका जारी की गई हैं, जिसमें उल्लेख है कि जिले की कमजोर वर्गों के लोगों से निकट संपर्क स्थापित करते हुए उनके समस्याओं व शिकायतों का स्थानीय स्तर पर निराकरण करते हुए जनता में विश्वास जाग्रत करेंगें की शासन और प्रशासन उनके साथ हैं एवं सेवा और विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। जिले में चल रहे विकास कार्यो व उच्च प्राथमिकता के कार्यो व प्राप्त आवंटन की मॉनिटरिंग करेंगें। मार्गदर्शिका के क्रमांक 04 में उल्लेख है कि जिले एवं राज्य सरकार के बीच समन्वय स्थापित कर, शासन स्तर पर लंबित जनहित स्वरूप के महत्वपूर्ण प्रस्तावों/प्रकरणों /समस्याओं के निराकरण की दिशा में कार्रवाई करेंगें। शासकीय गतिविधियों, कार्यक्रमों और संस्थानों का आकस्मिक निरीक्षण संबंधित अधिकारियों की गैर मौजूदगी में करेंगें। प्रभारी मंत्री आवश्यक रूप से दो माह में एक बार औपचारिक समीक्षा बैठक आयोजित कर विभिन्न विभागों के महत्वपूर्ण योजनाओं की समीक्षा करेंगें। प्रभारी मंत्री की यह भी जिम्मेदारी है कि वह प्रत्येक माह जिले से सम्बंधित महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर सीएम को मासिक रिपोर्ट देंगें, साथ ही मंत्री परिषद को जिले की स्थिति से अवगत कराया जाना है, इस समय जिस तरह से जिले की प्रशासनिक अधिकारियों के पद रिक्त होने से व्यवस्था चरमराई हुई है,जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में दयनीय स्थिति निर्मित है,वही प्रभारी मंत्री यादव लंबे समय से नदारत हैं,जानकारी के अनुसार प्रभारी मंत्री बनने के बाद अब तक मोहन यादव जिले में महज 7-8 बार ही आये हैं, अगर इनके द्वारा सही तरीके से दायित्वों का निर्वहन किया जाता, जिले महत्वपूर्ण मुद्दों की रिपोर्ट सीएम को देते और वस्तु स्थिति से मंत्री परिषद को अवगत कराते थे डिंडौरी जिला इस तरह अधिकारी विहीन न होती और भ्रष्टाचारी अधिकारी बैखोफ होकर सरकारी धन का बन्दर बांट न करते ..?
महत्वपूर्ण विभागों के प्रमुख पद हैं रिक्त
सामान्य प्रशासन विभाग के एडीएम, 2 डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदर 02,नायब तहसीलदार के 02 पद रिक्त हैं, कृषि विभाग के उप संचालक, आत्मा परियोजना अधिकारी, पशु चिकित्सा सेवाएं विभाग में उपसंचालक का पद रिक्त हैं। जिला शिक्षा अधिकारी, जिला रोजगार अधिकारी, आईटीआई प्राचार्य, जिला पेंशन अधिकारी, उप संचालक सामाजिक न्याय, जिला आयुष अधिकारी, सहायक संचालक पिछड़ा वर्ग कल्याण,अधीक्षक भू अभिलेख, परियोजना अधिकारी जिला शहरी विकास अभिकरण, जिला आपूर्ति अधिकारी, सहायक संचालक मत्स्य विभाग,कार्यपालन यंत्री पीएचई ,जनपद पंचायतो में सहायक यंत्री, आरईएस में एसडीओ,जल संसाधन विभाग में 03 एसडीओ समेत अन्य महत्वपूर्ण पद रिक्त हैं, जिनकी दोहरा और तिहरा प्रभार एक ही अधिकारी निर्वहन कर रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला अधिकारियों के रिक्त पदों का अतिरिक प्रभार अन्य जिले के अधिकारियों को सौंपा गया है। श्रम जैसे महत्वपूर्ण विभाग के जिला श्रम अधिकारी का प्रभार बालाघाट श्रम अधिकारी को सौंपा गया है, जिला परिवहन अधिकारी का प्रभार आरटीओ अनूपपुर को सौंपा गया है, जिला पंजीयक का प्रभार कटनी जिला पंजीयन को सौंपा गया है, ईई नर्मदा घाटी का प्रभार ईई नर्मदा घाटी मंडला को एवं जिला समन्यवक नेहरू युवा केन्द्र का प्रभार जिला समन्वयक उमरिया को सौंपा गया है। इस तरह डिंडौरी जिला पूरी तरह अम्रत काल के आत्मनिर्भर युग में प्रभारियों के भरोसे रेंग रहा है। रिक्त पदों में अधिकारियों की पदस्थापना हेतु कलेक्टर विकास मिश्रा ने 21 नवम्बर को अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन विभाग,वल्लभ भवन भोपाल को पत्र लिखा है लेकिन अभी तक शासन को द्वारा कोई सकारात्मक पहल नही की गई हैं। प्रभारी मंत्री चाहते तो इस मामले में हस्तक्षेप कर कुछ सकारात्मक परिणाम ला सकते थे, लेकिन उन्हें शायद डिंडौरी के विकास और जनकल्याण से कोई वास्ता नहीं है।
प्रभारी मंत्री नदारत,जिले में बैखोफ हो रहा भ्रष्टाचार
जिले में भाजपा समर्थित विधायक या जिला पंचायत अध्यक्ष नही है, ऐसे में प्रतिनिधित्व विहीन स्थिति में प्रभारी मंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने जिले को अनाथ छोड़ दिया है,प्रभारी मंत्री के लालफीताशाही का भरपूर फायदा जिले में बैठे कुछ भ्रष्ट अधिकारी उठा रहे हैं, जनजाति कार्य विभाग में स्मार्ट घोटाला,छात्रवृत्ति घोटाला, को लेकर विशाल जनांदोलन हुआ था, कुछ ऐसा ही अम्रत सरोवर निर्माण व जल जीवन मिशन,सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के नाम पर सरकारी धन का बंदरबांट किया जा रहा है,प्रभारी मंत्री मोहन यादव मौन धारण किये हुए जिले से कोसो दूर हैं..!