बता दें कि अत्यंत कम मानदेय के साथ सत्रह वर्षों से अनिश्चित रोजगार में लगे अतिथि शिक्षकों को नियमित रोजगार शीघ्र दिलाने नीति बनाने की मांग मध्यप्रदेश सरकार से लंबे समय से चली आ रही है।जिस पर बड़ी मशक्कत के बाद सरकार ने मानदेय दोगुना करने के अलावा सुनिश्चित रोजगार देने को लेकर आज भी कोई नीति नहीं बना पा रही है। अब तो किसी भी तरह से अतिथि शिक्षक विरोधी नीति नियम बनाकर मध्यप्रदेश के बहत्तर हजार अतिथि शिक्षकों को धीरे-धीरे सब काम से बाहर भी किये जाने की साज़िश सी चल रही है।
वर्षों का अनुभव रखने वाले अतिथि शिक्षकों को बाहर करके नये नये लोगों को अतिथि शिक्षक के काम पर भर्ती कर भाई भतीजावाद चलाया जा रहा है।इस तरह अतिथि शिक्षकों के संगठन और संघर्ष को कमजोर करने की नीति चलाई जा रही है।अब ज्यादा सहन करने की स्थिति में अतिथि शिक्षक नहीं हैं। बैठक में प्रहलाद झरिया,संजय सिसोदिया,उपासना सिंह, श्रवण कुमार यादव,हेमराज मसराम, सुनील उईके, अनुभव झारिया, नंदलाल बरमैया, संदीप विश्वकर्मा, यशोदा मरावी,सूरज परवार, दुलीचंद मरावी,पतंगी धनंजय,राजू यादव मुख्य रूप से उपस्थित रहे।