डिंडौरी। जिले के करंजिया जनपद मुख्यालय के इंदिरा कालोनी में शेरु बाबा के निवास स्थान पर प्रतिवर्षानुसार इस बार भी मोहर्रम माह के खास दिन आशूरा पर्व बुधवार को नियमानुसार श्रद्धा भाव के साथ सादगीपूर्ण वातावरण में मनाया गया । प्रमुख शेरु बाबा अजमत अली ने जानकारी देते हुए बताया कि मोहर्रम पर्व को लेकर चार दिन से लगातार धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन चल रहा है जिसमें मिलादे मुस्तफा और प्रवचन के साथ आयोजित प्रारंभ किया गया जहां धर्म के जानकार हाफिज अतीक खान ने पर्व से संबंधित बारीक जानकारियों से श्रोताओं को अवगत कराया गौरतलब हैं यहां मोहर्रम माह के शुरुआत से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का आना जाना लगा हैं वहीं बाबा के अनुयायियों के द्वारा परिसर में प्रतिदिन भंडारा प्रसाद वितरण का आयोजन किया गया । उन्होंने बताया कि वैसे तो यहां आए दिन लोगों का आना जाना लगा रहता है मगर मोहर्रम के शुरुआती दस दिनों में भक्तों की अधिक भीड़ रही रहतीं हैं बुधवार को आशूरा का खास दिन रहा सुबह से यहां कुरान पाठ और फातिहा का आयोजन किया गया तत्पश्चात विशाल भंडारा प्रसाद वितरण दिन भर चलता रहा।

जबकि आशूरा के पावन अवसर पर हुसैन अलैहिस्सलाम के अनुयायियों ने घरों में रात्रि जागरण कर स्वेचछि नमाज की अदाएगी करतें हुए कुरान का पठन पाठन में लीन रहें। इस तारतम्य में बुधवार की सुबह मस्जिद में कुरान ख्वानी और फातिहा के कार्यक्रम के बाद विशेष प्रार्थना का आयोजन किया गया। इस दौरान समाज के लोगों ने दो दिवसीय व्रत धारण भी किया।
समाज के लिए होता है खास दिन : गौरतलब हैं कि आशूरा का दिन इस्लाम धर्मावलंबियों के लिए बडा खास दिन होता हैं। इसी दिन हुसैन अलैहिस्सलाम ने अपने धर्म को बचाने के खातिर अपने करीबी साथियों के साथ कर्बला के मैदान में
भूखे प्यासे धर्म की रक्षा के लिए दुश्मनों से युद्ध करतें हुए अपने प्राणों को त्याग दिया, लेकिन गलत व्यक्ति के हाथ में अपना हाथ नहीं दिया। आज उसी कुर्बानी के कारण इस्लाम धर्म असल रूप में हैं, न तो हमारे धर्मग्रंथों में बदलाव किया जा सका और न ही नियमों में फेरबदल किया गया। अन्यथा आज इस्लाम धर्म का क्या स्वरुप होता कोई नहीं जानता। तब से इस्लाम धर्म में इस दिन का महत्व और बढ़ गया। इसके अलावा अल्लाह ने इस दिन अपना चमत्कार दिखाते हुए अपने देवदूतों नेक बंदों के कष्टों को दूर कर उनकी नैया को पार लगाकर उनका और उनके अनुयायियों का भला किया हैं। इस कारण इस्लाम धर्म में यह दिन महत्वपूर्ण हैं।