डिंडोरी। आईसीडीएस केंद्र सरकार की योजना है पोषण ट्रैक्टर एप केंद्र सरकार का एप है इसमें पूरे देश में कार्य किया जा रहा है। इस एप में आईसीडीएस संबंधी सर्वे से लेकर सभी रजिस्टरों का कार्य करवाया जा रहा है। ऐसी कोई भी जानकारी नहीं है जो पोषण ट्रैकर एप में न ली जा रही हो।
मध्य प्रदेश में अलग से संपर्क एप में वही काम लिया जा रहा है जो पोषण ट्रैक्टर में भी लिया जा रहा है। इस तरह आंगनवाड़ी कर्मियों को बही कार्य दो एप-पोषण टैंकर एप एवं संपर्क एप में करना पड़ रहा है इससे एक ही काम को पुनरावर्ती होने के साथ काम में समय डबल लग रहा है। दो एप में एक साथ काम करने में समस्या पैदा हो रही है। पोषण ट्रैक्टर एप तो खुल जाता है लेकिन संपर्क एप खोलने में कई बार दो,दो तीन,तीन घंटे लग जाते हैं। नेटवर्क का समय पर न मिलाना, नेटवर्क आते जाते रहना और बहुत से गांव ऐसे भी हैं जहां केंद्र से तीन चार किलोमीटर दूर जाकर ऊंचे स्थान पर चढ़कर नेटवर्क मिलता है। जैसे पहाड़ी पर या कहीं ऊंचे घर है तो उनकी छत के किसी कोने में जाकर नेटवर्क मिलता है और कभी नेटवर्क मिलता भी नहीं है। ऐसी स्थिति में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता काम तो कर रही होती है लेकिन उसके काम की गणना नहीं होती और उसके मानदेय की भी कटौती कर ली जाती है। काम करने पर भी उसका मानदेय काट लिया जाता है जो सरासर अन्याय है।
सरकार द्वारा जो मोबाइल दिए गए हैं उनमें व्हाट्सएप भी डाउनलोड नहीं होता है। जिससे फोटो भेजना भी मुश्किल होता है। मोबाइल की क्षमता कम होने के कारण लोड नहीं लेता है। ऐसी बहुत सी समस्याएं मोबाइल में है जिसके कारण आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को दो. दो एप में काम करना बड़ा मुश्किल हो रहा है। हर दो-तीन दिन में मया वर्जन आता है जिसेडाउनलोड करने में भी दिखतें होती हैं। अतः पोपण ट्रैकर एप को निरंतर किया जाए यदि उसमें कुछ कमी है तो उसे कभी को पोषण ट्रैकर ऐप में ही जोड़ दिया जाए एवं संपर्क एप को बंद किया जाए। पोषण ट्रैकर ऐप में ही काम करवाया जाए।
किसी भी एप में मानदेय को ना जोड़ा जाए किसी भी तरह की मानदेय में कटौती बंद की जाए। मध्य प्रदेश की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए इस बात पर भी गौर किया जाए कि हर समय हर जगह नेटवर्क मिलेगा यह जरूरी नहीं है। कभी सरवर रहता है तो कभी सर्वर डाउन हो जाता है जिसके कारण कार्य प्रभावित होता है जिससे समय पर कार्य नहीं हो पता है इस बात को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। यदि नेटवर्क के माध्यम से काम होगा तो नेटवर्क नहीं रहने पर काम भी प्रभावित होगा इसमें आंगनबाड़ी कर्मियों की कोई गलती नहीं होती इसलिए एप से मानदेय को अलग रखा आए।
आंगनबाड़ी कर्मियों से ऑनलाइन काम लिया जाए या ऑफ़लाइन काम लिया जाए, सभी रजिस्टर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को संधारित करने पड़ते हैं लेकिन 2013 से आज तक विभाग की ओर से रजिस्टर नहीं दिए गए है। उसके लिए किसी तरह का कोई भुगतान नहीं किया जाता है। यदि ऑफलाइन काम करवाना है तो उसके लिए रजिस्टर उपलब्ध करायें जाएं या जो भी अधिकारी केंद्र में जांच के लिए आए वह मोबाइल में संधारित रजिस्टरों से अवलोकन करें रजिस्टर की मांग आंगनबाड़ी केन्द्रों में ना की जाए।
सरकार द्वारा 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए सरकारी स्कूलों में एडमिशन के आदेश जारी किए गए हैं इससे आंगनवाड़ी में आने वाले बच्चे स्कूल में जाने से आंगनबाड़ी में बच्चों की उपस्थिति नगण्य हो जाएगी।
आईसीडीएस योजना जब शुरू की गई थी तब यह परिकल्पना की गई थी कि इस योजना का उद्देश्य क्या होगा जिसके लिए इस योजना को शुरू किया गया था उसमें मातृ मृत्यु दर एवं बाल मृत्यु दर को कम करने, बच्चों में कुपोषण की दूर करने, गर्भवती महिला को टीकाकरण व पोषण आहार देने, धात्रि महिला को पोषण आहार और पोषण शिक्षा देने, जीरो से 6 वर्ष के बच्चों को टीकाकरण, पोषण आहार वितरण करने और 3 से 6 वर्ष के बच्चों को आंगनबाड़ी केदो में अनौपचारिक शिक्षा देने की सेवाएं मुख्य रूप से शामिल हैं जो आज तक आंगनबाड़ी केन्द्रों में दी भी जा रही है।
राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा क्रमांक/पा, पु/सीसीई/2024/746-भोपाल, दिनांक 27. 3. 2024 को आदेश जारी किया गया जिसमें कुछ जिलों के चयनित विद्यालय में पूर्व प्राथमिक कक्षाएं संचालित की जाएगी जिसमें के जी-1, के जी-2, 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए प्रदेश के पांच जिलों में भोपाल, छिंदवाड़ा, सीहोर, सागर, एवं शहडोल के 1415 विद्यालय में 15 जून 2024 से संचालन प्रारंभ किए जाने वाले हैं। यदि आंगनवाड़ी में आने वाले बच्चे स्कूलों में प्रवेश लेंगे तो आईसीडीएस योजना का क्या होगा ? क्या बच्चों को आईसीडीएस द्वारा दी जाने वाली सेवाओं से वंचित कर दिया जाएगा ?
संगठन उक्त आदेश को निरस्त करने की मांग करता है और आंगनबाड़ी का विस्तार करते हुए आंगनबाड़ी में ही के. जी,के.जी.-1, के.जी.-2, की शिक्षा दिए जाने की व्यवस्था किए जाने की मांग करता है।
संघ की 16 सूत्रीयप्रमुख मांगे
उक्त परिस्थितियों को देखते हुए संपर्क एप तत्काल बंद किया जाए।
सरकारी स्कूलों में 3 से 6 वर्ष के बच्चों के प्रवेश के सरकारी आदेश पर रोक लगाई जाए। आंगनवाड़ी केन्द्रों ( में ही के जी.-1, के. जी. 2, की शिक्षा दिए जाने की व्यवस्था की जाए।
सहायिका से कार्यकर्ता पद पर पदोन्नति में उम्र का प्रावधान समाप्त किया जावे एवं पूर्व के आदेशों की तरह पदोन्नति की जावे।
मिनी कार्यकर्ता को पुल कार्यकर्ता बनाए जाने के अन्य राज्यों की तरह तत्काल आदेश जारी किए जाएं मिनो कार्यकर्ताएं केंद्र में अकेले होने के कारण बच्चों को स्वयं बुलाने जाना पड़ता है जिसके कारण केंद्र का कार्य एवं सुबह की उपस्थिति लगाना प्रभावित होता है।
ग्रेच्युटी का लाभ सेवेनिवृत्त हुए सभी आंगनबाड़ी कर्मियों को दिया जाए।
आंगनवाड़ी कर्मियों को अप्रैल 2024 से लागू मानदेय वृद्धि का तत्काल एरियर सहित भुगतान कराया जावे। आंगनवाड़ी कर्मियों के सेवानिवृत्त होने पर सेवानिवृत्ति लाभ की राशि उनके अधिम मानदेय के साथ भुगतान की जाए सेवानिवृत्ति लाभ की राशि के लिए उन्हें कार्यालयों के चक्कर ना लगाने पड़े। आंगनवाड़ी कर्मियों की सेवा काल में मृत्यु होने पर 5 लाख रुपए की राशि मृत्यु उपरांत परिवार को सहायता राशि के रूप में दी आय।
आंगनवाड़ी भवन किराया बढ़ी हुई नई दरों पर भुगतान किया जाय।
आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषण ट्रैकर में 100 प्रतिशत उपस्थित मांगी जाती है पर 100 प्रतिशत बच्चे केन्द्रों में नहीं आते। इसलिये उपस्थित बच्चों की वास्तविक संख्या को पोषण ट्रेकर में दर्ज करने की अनुमति दिया जाये।
टेक होम राशन 2 वर्षों से पूरे प्रदेश में आंगनबाड़ी कार्यकर्तायें गोदाम से आंगनबाड़ी केंद्र तक स्वयं के परिवहन से ले जा रही हैं लेकिन उन्हें आज तक परिवहन व्यय नहीं दिया गया है। कृपया तत्काल भुगतान कराया जाए। राशन आंगनबाड़ी केंद्रों तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाए। आंगनवाड़ी केन्द्रों में उपयोगिता से कम टेक होम राशन दिया जाता है उपयोगिता के अनुसार पर्याप्त राशन दिया जाए। पर्याप्त मात्रा में राशन केन्द्रों में नहीं होने पर हितग्राहियों को कम दिन का वितरण होता है जिसके कारण अधिकारियों द्वारा कम दिन पोषण आहार वितरण के आरोप में आंगनबाड़ी कर्मियों की मानदेय कटौती की जाती है। टेक होम राशन नहीं होने की स्थिति में भी आंगनबाड़ी कर्मियों को पूरे दिनों का टेक होम राशन वितरण दिखाने के लिए विवश किया जाता है। इस तरह हर बात पर गलती ना होने के बाद भी मानदेय कटौती किए जाने की प्रथा को बंद किया जाए।जिन आंगनबाड़ी भवनों में पानी लाइट पंखे नहीं है उन में पानी लाइट पंखे की व्यवस्था की जाए।
स्कूलों में शीतकालीन अवकाश एवं ग्रीष्म कालीन अवकाश में स्कूलों से सांझा चूल्हा से प्राप्त होने वाला भोजन आंगनबाड़ियों में प्राप्त नहीं होता जिसके कारण बच्चों को भोजन नहीं मिल पाता एवं वे भोजन लाभ से बंचित रह जाते हैं जबकि रिपोर्ट में बच्चों को भोजन वितरण दिखाया जाता है। भोजन न मिलने पर भी रिपोर्ट में दिखाना यह गलत है इसे बंद किया जाना चाहिए और स्कूलों की छुट्टी होने पर भी आंगनबाड़ी के बच्चों को भोजन प्राप्त होना चाहिए यह विभाग की जिम्मेदारी है।
आंगनबाड़ी कर्मियों को किसी भी मीटिंग व ट्रेनिंग में जाने आने के लिए टी ए डी ए दिया जाए। हर माह 4- 5 बार सेक्टर बैठक एवं परियोजनाओं में बुलाया जाता है जिसका टी ए डी ए नहीं दिया जाता है, भुगतान कराया जावे।
उच्च न्यायालय के आदेश अनुसार आंगनवाड़ी कर्मियों से अन्य विभागों का कार्य न लिया जाए।आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से पर्यवेक्षक के पद पर नियुक्ति के लिए उम्र का प्रावधान खत्म किया जाए सभी को परीक्षा देने की अनुमति दी जाए जो परीक्षा पास होगा वहीं पर्यवेक्षक के पद पर नियुक्त का हकदार होगा।