Home / सड़क निर्माण कंपनी की मनमानी का खामियाजा भुगत रहे यात्री,राजमार्ग मंत्रालय ने सचिव को दिए कार्यवाही के निर्देश 

सड़क निर्माण कंपनी की मनमानी का खामियाजा भुगत रहे यात्री,राजमार्ग मंत्रालय ने सचिव को दिए कार्यवाही के निर्देश 

– कुंडम से शहपुरा हाईवे निर्माण में एस्कॉन कंपनी व अधिकारियों पर लगाये लापरवाही बर्तने के आरोप डिंडोरी न्यूज़। केंद्रीय सड़क परिवहन ...

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Chetram Rajpoot

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Chetram Rajpoot

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– कुंडम से शहपुरा हाईवे निर्माण में एस्कॉन कंपनी व अधिकारियों पर लगाये लापरवाही बर्तने के आरोप
डिंडोरी न्यूज़। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री द्वारा 5,315 करोड़ रुपये के निवेश वाली राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का शिलान्यास किया था जिसके तहत उन्होंने मण्डला पुलिस ग्राउंड से लगभग 1261 करोड़ रुपए की लागत वाली 329 किमी लंबी परियोजना, जिसमे कुंडम से शहपुरा, शहपुरा से डिंडौरी, डिंडौरी-सागर टोला- कबीर चबूतरा एवं डिंडौरी से मण्डला सीआरआईएफ़ के अंतर्गत टू-लेन सड़क निर्माण लॉन्च किया था, जिसका टेंडर निजी कंस्ट्रक्शन कंपनी यानी एस्कॉन कंपनी को कुंडम से शहपुरा तक सड़क बनाने हेतु आवंटित किया गया है। ईपीसी मोड पर मध्य प्रदेश राज्य में एनएच-45 के कुंडम से शहपुरा खंड के डिज़ाइन किमी 68.100 से 103.700 (कुल लंबाई- 35.600 किमी) को पेव्ड शोल्डर कॉन्फ़िगरेशन के साथ दो लेन में पुनर्वास और उन्नयन किया जाना था। परंतु मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सम्यक् जैन ने निर्माण एजेंसी व ठेकेदार पर निर्मित सड़क की प्रोफाइल को सही ढंग से नहीं बनाये जाने व हाईवे निर्माण में की जा रही लापरवाही में तकलीफ़ का सामना करने पर मंत्रालय में बैठे अधिकारियों के संज्ञान में लाया गया था, परेशानी से गुजरते हुए सम्यक् जैन ने बताया कि हाईवे निर्माण में डीबीएम परत सही नहीं है जिससे हो सकता है बिटुमेन प्रतिशत भी पर्याप्त और उचित नहीं होगा। हाईवे के निर्माण में ग्रेडिएंट सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है ।
 हाईवे अलाइनमेंट की लंबाई के साथ उचित रूप से अपेक्षित ग्रेडिएंट देना आवश्यक है, लेकिन प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि निर्माण कंपनी हाईवे के ग्रेडिएंट को बनाए रखने में व स्लोप की उचित कटिंग करने में विफल रहा है जिससे आने वाले समय में वाहन चालक को समस्या का सामना करना पड़ेगा वही मानसून के दौरान विजिबिलिटी और भूस्खलन की समस्या बढ़ने के कारण जनहानि का ख़तरा बना रहेगा जो सेवा में कमी को दर्शाता है । मंत्रालय में बैठे अधिकारियों ने उक्त मामले को त्वरित संज्ञान में लेकर सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव युद्धवीर सिंह मलिक को कार्यवाही के निर्देश दिये है। बता दें कि 145 किमी की दूरी तय करने में साढ़े तीन घंटे का समय लगा था।
सलाहकार अधिकारियों के द्वारा मॉनिटरिंग का अभाव –
हैरानी की बात तो यह है कि हाईवे की मॉनिटरिंग के लिए बैठे सलाहकार अधिकारी भी सही ढंग से ध्यान नहीं दे रहे है हालांकि हाईवे निर्माण के ज़िम्मेदार अधिकारी ज़रूर हर दिन निर्माण कार्य की मॉनिटरिंग का दावा कर रहे है।
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