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करोड़ों रुपये की ग्रेवल सड़क निर्माण में बंदरबांट, जिला पंचायत सीईओ ने जाँच समिति गठित कर माँगी स्पष्ट अभिमत
– जाँच में अनियमितता उजागर होने के बाद भी भ्रष्ट अधिकारी, कर्मचारियों के विरूद्ध नहीं हुई कार्रवाई डिंडोरी। पूरे देश में पिछड़े ...
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– जाँच में अनियमितता उजागर होने के बाद भी भ्रष्ट अधिकारी, कर्मचारियों के विरूद्ध नहीं हुई कार्रवाई
डिंडोरी। पूरे देश में पिछड़े जिले के तौर पर यूँ ही डिंडोरी की पहचान नहीं होती, इसके पीछे बुनियादी सुविधाओं के नाम पर स्वीकृत निर्माण कार्यों एवं कल्याणकारी योजनाओं में फर्जीवाड़ा और भ्रष्टाचार का अहम योगदान हैं, प्रतिवर्ष विकास के नाम पर अरबो रु. भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा हैं, मामला उजागर होने और करोड़ो रूपये की आर्थिक अनियमितता जाँच में उजागर होने के बावजूद जिम्मेदार अधिकारियो के विरूद्ध कार्रवाई न होने से जवाबदेह अधिकारियों की कार्यशैली में प्रश्नचिन्ह लगाता हैं।

नियमों कों दरकिनार कर करोड़ों रु.का किया बंदरबाँट
कलेक्टर द्वारा गठित तीन सदस्ययी समिति द्वारा जाँच की गई हैं, जिसमें खाल्हे भंवरखंडी से बसनिया गोलीमार घाट तक ग्रेवल सड़क निर्माण लागत राशि 135.2 लाख, ग्रेवल सड़क बसनिया-गोलीमार घाट से जोहिला नदी लागत 140.682 लाख एवं बघाड़ से रामगूढ़ा लागत राशि 148.52 लाख, भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग द्वारा बिना काम कराये क़ानूनी प्रक्रिया पूर्ण किए बिना सप्लायर को करोड़ों का भुगतान करके शासकीय धन एवं पद का दुरुपयोग किया है। वही कलेक्टर द्वारा मामला संज्ञान में लेते हुए सीईओ ज़िला पंचायत को निर्देशित कर जाँच करने के आदेश दिये थे, मामले में जाँच दल ने अपने जाँच प्रतिवेदन में उल्लेखित किया कि ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग द्वारा रोड निर्माण कार्य में लगने वाली सामग्री के क्रय हेतु कोटेशन आमंत्रण कर सामग्री न्यूनतम दरो पर क्रय की गई किंतु कोटेशन आमंत्रण का प्रकाशन समाचार पत्रों में प्रकाशित किया गया अथवा नहीं इसके अभिलेख विभाग द्वारा उपलब्ध नहीं कराये गये,वही प्राप्त न्यूनतम दर महेश सिंह परमार की स्वीकृत है,किंतु सप्लाई ऑर्डर मेसर्स अन्नपूर्ण मटेरियल सप्लायर को दिये गये,साथ ही खनिज विभाग से रिवर बेड सामग्री का नदी से खनिज करने की किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई ना ही रोड निर्माण की परीक्षण रिपोर्ट व एम.ए.एस रजिस्टर विभाग ने जांच समिति कों उपलब्ध कराये जो यह दर्शा सके की वास्तव में रोड का निर्माण किया गया है या नहीं। वही जाँच दल ने अपनी रिपोर्ट में यह भी ज़िक्र किया है की विभाग द्वारा संपूर्ण अभिलेख उपलब्ध नहीं कराने के कारण मूल्यांकन किया जाना संभव नहीं है।
वर्तमान कार्यपालन यंत्री पर लग रहें मामला प्रभावित करने के आरोप
वर्ष 2014 – 15 में राजेंद्र सिंह धुर्वे आरईएस विभाग में कार्यपालन यंत्री के पद पर पदस्थ थे,पदस्थापना अवधि में कार्यपालन यंत्री के द्वारा उपरोक्त ग्रेवल सड़को के निर्माण कार्य में अनियमित तौर पर करोड़ो रूपये का भुगतान किए जाने का आरोप हैं,फिलहाल मामले की जाँच रिपोर्ट में अनियमितता उजागर हुई हैं,मामले में लिप्त कार्यपालन यंत्री वर्तमान में डिंडोरी में पदस्थ रहते हुए मामले कों प्रभावित कर रहें हैं, शिकायतकर्ता सम्यक जैन ने मामले कों प्रभावित करने का आरोप लगाया हैं। उक्त मामले की पूर्व में जांच समिति द्वारा जांच के नाम पर महज खाना पूर्ति करते हुए रफा दफा करने का प्रयास किया गया था,लेकिन जिला पंचायत सीईओ ने एक बार फिर तीन सदस्यीय टीम गठित कर अनियमितता करने वाले अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के साथ ही स्पष्ट अभिमत मांगी है,अब देखना होगा कि नवगठित जांच समिति मामले को लेकर क्या रिपोर्ट प्रस्तुत करती हैं।
