अखलाक कुरैशी, गोरखपुर। जिले के करंजिया विकासखंड अंतर्गत कस्बा गोरखपुर में प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी स्थानीय नागरिकों ने परंपरानुसार दशहरा के दिन विधिपूर्वक विदा यात्रा निकालकर परंपरा का निर्वहन किया। इस मौके पर लोगों ने सर्वप्रथम ठाकुर देव बाबा की विधिवत पूजा अराधना के बाद भेंट प्रदान कर यात्रा का शुभारंभ किया। यहां से यह यात्रा मुख्य मार्ग पहुंची जहां चौराहे के नजदीक मां बजराहिन देवी की मढ़िया व मां दुर्गा के मंदिर में श्रद्धालुओं ने विधिवत आरती पूजा कर देवी देवताओं के समक्ष शीष नवाया। इसके बाद हाइवे से होते हुए गोरखनाथ बाबा मंदिर में भी विधिवत आरती पूजा कर कस्बा की सीमा पर जाकर यात्रा। रूकी। जहां मुख्य पंडा द्वारा नियमानुसार पूजा पाठ करते हुए भगवान की शक्तियों का गुणगान करते हुए भेंट आदि देकर कस्बा की समस्त विपदा बुरी ताकतों को विदा करने का आव्हान किया गया। इस दरमियान विदा यात्रा में समस्त नागरिकों ने अंतिम रस्म को अदा कर सार्वजनिक रूप में भगवान से कस्बा पर आने वाली समस्त विपदाओं से रक्षा करने प्रार्थना की गई। इसके बाद यात्रा का समापन किया गया।
– विदा यात्रा की यह हैं मान्यता
स्थानीय जानकारों के मुताबिक दशहरा के दिन इस तरह से विदा यात्रा निकालना अनादिकाल से उनके पूर्वजों की परंपरा रहीं है। इसके पीछे मान्यता हैं कि ऐसा करने से हमारे गांव में अचानक आने वाले दुख, बीमारी, आपदा आदि जैसे परेशानियों से ईश्वर हमारी रक्षा करता हैं। वैसे भी दशहरा का दिन असत्य पर सत्य की जीत के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व को लेकर
लोगों का ऐसा विश्वास हैं कि इस दिन से शुरू किया गया कार्य सफल रहता है। यह हर्ष और उल्लास के साथ विजय का पर्व हैं। बताया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह की यात्रा का आयोजन करने का उद्देश्य नकारात्मक ऊर्जा और राक्षसी प्रवृत्तियों को विदा कर गांव से बाहर किया जाना रहता है, ताकि ये दोबारा पलटकर ग्रामीणों पर हमला न केर पाएं। गांव, कस्बा समस्त प्रकार की आपदा विपदा और बीमारियों से सुरक्षित रहें। बताया गया कि विदा यात्रा में साथ चलने वाले लोग अपने अपने घरों से अनुपयोगी वस्तु, अनाज साफ करने वाली बांस से बनी टोकरी, उपयोग किया गया झाडू आदि लेकर घर से इसी तरह की कामना करते हुए निकलते हैं कि हमारे घर से अब समस्त प्रकार की नकारात्मक शक्ति, अचानक घटने वाली घटनाएं, बीमारी आदि अब घर से विदा लें रहें हैं।
– स्वच्छता की होती हैं शुरुआत
कस्बा के दीपक तेकाम ने बताया कि इस दिन घरों से अनुपयोगी सामग्री के निकालने के बाद घर की साफ सफाई की शुरुआत हो जाती है। बरसात के दिनों में घरों के आसपास खरपतवार और झाड़ियों के उग आने से जो कूडा कचरा कै रूप में जमा होता हैं, उसको नष्ट करने का कार्य शुरू कर दिया जाता हैं।
हालांकि इस यात्रा को लेकर लोगों के अपने अपने विचार बन गए हैं। कोई इसे फसलों के पकने से जोड़कर देखता हैं तो कौई इसे दीपावली पर्व की तैयारी व स्वागत से जोडता है। दशहरा के दिन के बाद से लोग उत्साह से भर जाते हैं। एक ओर जहां कृषि कार्य करने वालों के लिए खरीफ की फसलें कम दिन की धान व सोयाबीन खेतों में पककर कटने के लिए तैयार रहतीं है।